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प्रिंट मीडिया के लिए राहत

प्रिंट मीडिया के लिए राहत

प्रिंट मीडिया के लिए यह समय काफी मुश्किलों भरा चल रहा है। इन सबके बीच इंडियन रीडरशिप सर्वे (IRS) के आंकड़े नॉन मेट्रो सिटीज से इंडस्ट्री के लिए थोड़ी राहत भरी खबर जरूर लाए हैं। वैसे तो अंत में आशा की किरण रीजनल एरिया से ही सामने आती दिखाई दे रही है, क्योंकि वे ही पब्लिशर्स की ग्रोथ लगातार जारी रखे हुए हैं।

बता दें कि पिछले दिनों ‘मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल’ (MRUC) द्वारा इंडियन रीडरशिप सर्वे 2019 की चौथी तिमाही (IRS 2019 Q4) के डाटा जारी किए गए हैं। यह रिपोर्ट इंडियन रीडरशिप सर्वे 2019 की पिछली तिमाही यानी पहली (Q1), दूसरी (Q2) और तीसरी तिमाही (Q3) के जारी किए गए डेटा पर आधारित है, जिसकी औसतन रिपोर्ट के बाद चौथी तिमाही के नतीजे तैयार किए गए हैं। इन आकड़ों को देखने से पता चलता है कि विभिन्न केंद्रों पर प्रिंट मीडिया की रीडरशिप में कमी आई है, लेकिन मेट्रो शहरों से बाहर जरूर इसमें ग्रोथ दिखाई दे रही है।

एक तरफ कुछ रीजनल अखबारों की ‘कुल रीडरशिप’ (total readership) में बढ़ोतरी देखने को मिली है, जबकि कुछ रीजनल अखबारों की ‘एवरेज इश्यू रीडरशिप’ (average issue readership) बढ़ी है। संयोग से, देश के कुछ लोकप्रिय ब्रैंड्स जैसे- ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala), ‘लोकमत’ (Lokmat),  ‘डेली थांथी’ (Daily Thanthi) और ‘बर्तमान’ (Bartaman) की टोटल रीडरशिप और एवरेज इश्यू रीडरशिप दोनों में इजाफा देखने को मिला है।

उत्तर प्रदेश में हिंदी अखबारों से शुरुआत करें तो ‘आज’ (Aj) अखबार की कुल रीडरशिप चौथी तिमाही (Q4) में 4095 हो गई है, जबकि तीसरी तिमाही (Q3) में यह 4053 थी। ‘नवभारत टाइम्स’ (Navbharat Times) की एवरेज इश्यू रीडरशिप का पिछली चार तिमाहियों का आंकड़ा देखें तो यह 488 से 521 और फिर 490 होकर 550 के आंकड़े पर पहुंच गई है।

बिहार में, ‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar)  ने भी पिछली चार तिमाहियों में लगातार कुल रीडरशिप में बढ़ोतरी दर्ज की है और यह क्रमश: 4970, 5877 और 6263 से बढ़कर चौथी तिमाही में 6706 तक पहुंच गई है। दैनिक भास्कर को हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में इसी तरह का ट्रेंड देखने को मिला है। वहीं, पंजाब में ‘दैनिक सवेरा’ और ‘अमर उजाला’ की भी कुल रीडरशिप लगातार बढ़ी है।

हरियाणा में वर्ष 2019 की चारों तिमाहियों में दो अखबारों की कुल रीडरशिप और एवरेज इश्यू रीडरशिप दोनों में ग्रोथ देखने को मिली है। इनमें ‘अमर उजाला’ भी शामिल है। पहली तिमाही में अखबार की कुल रीडरशिप 1925 थी जो दूसरी तिमाही में बढ़कर 1952 हो गई थी, लेकिन तीसरी तिमाही में इसमें गिरावट दर्ज की गई थी और यह 1872 रह गई थी, लेकिन चौथी तिमाही में तेजी से आगे बढ़ते हुए यह 2027 हो गई है। चारों तिमाहियों में अखबार की एवरेज रीडरशिप इश्यू में लगातार इजाफा हुआ है और यह 391 से 401 और फिर 411 होकर चौथी तिमाही में 474 हो गई है।

माना जा रहा है कि ब्रैंड द्वारा स्ट्रैटेजी में किया गया बदलाव ही इस ग्रोथ का राज है। इस बारे में ‘अमर उजाला लिमिटेड’ के डायरेक्टर प्रोबल घोषाल का कहना है, ‘हरियाणा में, शुरू में रोहतक से सिर्फ एक संस्करण छपता था। हालांकि, हमने हाल ही में दो और संस्करण एक करनाल और दूसरा हिसार शुरू किया, इन दोनों केंद्रों में प्रिंट की सुविधा है। चूंकि सेंटर पर ही अखबार छपता है, ऐसे में यह सुबह बिना किसी परेशानी के पाठकों तक जल्दी पहुंच जाता है। इन दो एडिशन के और शामिल हो जाने से हम ज्यादा से ज्यादा लोकल खबरें और देर रात तक की खबरें भी शामिल करने लगे हैं। ज्यादा से ज्यादा स्थानीय खबरें शामिल करने से स्थानीय लोगों से जुड़ने में मदद मिल रही है।’

हरियाणा की तरह, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में भी दैनिक भास्कर और अमर उजाला जैसे लोकप्रिय अखबारों की रीडरशिप में वृद्धि देखी गई है। हालांकि, इंडस्ट्री के लिए पिछला समय ज्यादा अच्छा नहीं रहा है। न्यूज प्रिंट की कीमतों में बढ़ोतरी और विज्ञापन की कमी के कारण इंडस्ट्री के सामने तमाम आर्थिक कठिनाई आई। न्यूजप्रिंट की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के कारण वर्ष 2017 से 2019 के आखिर तक अखबारों की प्रॉडक्शन कॉस्ट काफी बढ़ गई। न्यूजप्रिंट की कीमतें 60 प्रतिशत तक बढ़ गईं। कई अखबारों ने अपने एडिशन कम कर दिए। हालांकि कुछ अखबारों ने हार नहीं मानी और बहादुरी के साथ डटे रहे। कुछ ने अपने कंटेंट की मजबूती पर काम किया तो कुछ ने सोशल मीडिया के जरिये पाठकों तक पहुंच बनाने पर जोर दिया। इन्हीं अखबारों की रीडरशिप में यह बढ़ोतरी देखने को मिली।

इस बारे में ‘एबीपी प्राइवेट लिमिटेड’ (ABP PVT LTD) के एमडी और सीईओ डीडी पुरकायस्थ का कहना है, ‘पिछले साल लगभग प्रत्येक ब्रैंड को तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हालांकि, हमने हमेशा अपने पाठकों को क्वालिटी कंटेंट और क्रेडिबल न्यूज के द्वारा अपने साथ जोड़े रखने का भरसक प्रयास किया। सोशल मार्केटिंग पर भी हमने काफी जोर दिया और तमाम कैंपेन व पहल शुरू कीं। इसके पीछे हमारी सोच हमेशा लोगों को ज्यादा सशक्त और जागरूक बनाने की है।’

वास्तव में कुछ राज्यों में रीजनल अखबारों की ग्रोथ काफी बेहतर रही है। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में सभी प्रमुख रीजनल अखबारों की ग्रोथ देखने को मिली है। यहां ‘लोकमत’ की कुल रीडरशिप पहली से चौथी तिमाही तक क्रमश: 19469, 20169, 21457 और 22012 हो गई है। वहीं ‘डेली सकाल’ (Daily Sakal) की कुल रीडरशिप एक से चौथी तिमाही तक क्रमश: 11668, 12771, 13960 और 14661 रही है। ‘पुधारी’ (Pudhari) और ‘पुण्य नगरी’ (Punya Nagari) की कुल रीडरशिप में भी वर्ष 2019 की चारों तिमाहियों में बढ़ोतरी देखने को मिली है।

केरल की बात करें तो ‘देशाभिमानी’ (Deshabhimani) और ‘केरल कौमुदी’ (Kerala Kaumudi), कर्नाटक में ‘विजय कर्नाटक’ (Vijay Karnataka), ‘विजयवाणी’ (Vijayavani), ‘प्रजावाणी’ (Prajavani) और  ‘उदयवाणी’ (Udayavani), तमिलनाडु में ‘डेली थांथी’ (Daily Thanthi), ‘दिनामलार’ (Dinamalar) और गुजरात में ‘दिव्य भास्कर’ (Divya Bhaskar) की कुल रीडरशिप में बढ़ोतरी देखने को मिली है।

Courtesy: समाचार4मीडिया

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