ओमप्रकाश दास
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन यानी बीबीसी दुनिया के बेहतरीन प्रसारकों में से गिना जाता है, विशेषकर लोक प्रसारकों के नज़रिए से यह दुनिया भर में एक मानक की तरह देखा जाता है। बीबीसी की पेशेवर दक्षता और दुनिया भर में पहुंच पहले ही कई मानकों को स्थापित कर चुकी है। यहां हम विशेषकर बीबीसी के टेलीविज़न प्रसारण की बात कर रहे हैं
बीबीसी शुरुआत की कहानी बेहद उतार-चढ़ाव भरी है, क्योंकि रेडियो प्रसारण में एक नाम बन चुकी बीबीसी ने शुरु में टेलीविज़न प्रसारण को एक तरह से हतोत्साहित ही किया था, या कहें बीबीसी टेलीविज़न प्रसारण को लेकर भारी असमंजस में था।
बीबीसी की कहानी 19वीं शताब्दी के अंतिम सालों और 20वीं शताब्दी के शुरुआती सालों से शुरु होती है। यह वह दौर था जब ऑडियो प्रसारण तो तेज़ी से पैर फैला रहा था लेकिन अभी तस्वीरों यानी विजुअल प्रसारण को लेकर तकनीकी समस्याएं बनी हुईं थी। बीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक (नवंबर 1922) तक आते आते बीबीसी इंग्लैंड में अपनी नियमित प्रसारण शुरु कर चुका था। यह वह समय भी था जब कई निजी कंपनियां, वैज्ञानिक और लोग फोटो-टेलीग्राफी पर काम कर रहे थे।
वैसे तो टेलीविज़न में इस्तेमाल होने वाली कैथोड-रे ट्युब्स का आविष्कार और व्यवसायिक उत्पादन 1897 से शुरु हो चुका था, जो कि सेंट पीटर्सबर्ग में काम करते थे। इधर, इंग्लैंड में ए.ए.कैंपबेल ने संभावना जताई की इस कैथोड-रे ट्युब्स के इस्तेमाल से ‘हाई-डेफिनिशन’ टेलीविज़न को संभव बनाया जा सकता है। हालांकि, इस मामले पर साल 1914 तक कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई, लेकिन जॉन बेयर्ड इसी समय में विजुअल सिगनल को प्रसारित करने और सिगनल को फिर से रिसीव करने को लेकर प्रयोग कर रहे थे।
आज कहा जा सकता है कि जॉन बेयर्ड ने टेलीविज़न प्रचारित करने का जितना काम किया, उतना शायद ही किसी और ने किया होगा, लेकिन जब टीवी ने अपने को स्थापित किया तब शायद ही जॉन बेयर्ड की चर्चा हुई हो। क्योंकि इस सबके पीछे रणनीतियों और उठाने-गिराने का खेल हावी था। जॉन बेयर्ड अक्टूबर 1925 तक किसी तरह एक टेलीविज़न दृश्य का निर्माण करने तक पहुंच गए। बात लंदन की ही है जब 1928 में जॉन बेयर्ड की टेलीविज़न कंपनी ब्रिटेन की सरकार से लंबे समय तक अपने टेलीविज़न प्रसारण के प्रयोग के लिए इजाज़त मांगती रही, क्योंकि इसके लिए टेलीग्राफी और सरकार के दूसरे तकनीकी विभागों का सहयोग चाहिए था। लेकिन, जॉन बेयर्ड के प्रस्ताव को काफी समय तक लटकाया गया, यहां तक कि उन्हें कहना पड़ा कि यह देरी ब्रिटेन के लिए काफी दुर्भाग्यपूर्ण हो सकता है, क्योंकि हो सकता है कि वह अपना प्रयोग ब्रिटेन की जगह अमेरिका में करना पसंद करें। इस धमकी के कुछ दिनों बाद ही सरकार के पोस्ट ऑफिस विभाग ने प्रयोगात्मक टेलीविज़न ट्रांसमिशन को मंजूरी दे दी।
ऐसा नहीं था कि टेलीविज़न प्रसारण का यह प्रयोग सिर्फ लंदन या इंग्लैंड में ही चल रहा था बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में भी इसकी कोशिशें जारी थीं। जॉन बेयर्ड यह जानते थे और उन पर एक तरह का व्यवसायिक दबाव भी था। क्योंकि यह तय लग रहा था कि जो पहले सफल होगा, आगे उसे ही व्यवसायिक लाभ भी मिलेगा।
मई 1927 में, अमेरिकी टेलीफोन और टेलिग्राफ कंपनी ने ब्रिटेन के बाहर पहली टेलीविजन प्रसारण का पब्लिक प्रदर्शन का आयोजन किया। वहीं, दूसरी तरफ जॉन बेयर्ड ने भी टेलीविज़न प्रसारण का सार्वजनिक प्रदर्शन का आयोजन किया, वो लंदन से ग्लासगो के बीच करीब 438 मील के बीच प्रसारण का प्रदर्शन करने वाले थे। इस प्रदर्शन में वह टेलीफोन की तारों का इस्तेमाल विजुअल सिगनलों के लिए करने वाले थे।
जॉन बेयर्ड और उनकी कंपनी बीबीसी से लगातार इस बात का अनुरोध करते रहे कि इस टेलीविज़न प्रसारण के लिए बीबीसी के कई उपकरणों, फ्रिक्वेंसी की उपलब्धता सुनिश्चित करे, लेकिन बीबीसी की अनिच्छा और असहयोग बार बार सामने आ रही थी। शायद यह कहा जा सकता है कि बीबीसी जो रेडियो प्रसारण को लेकर गंभीरता से काम कर रही थी, उसे शायद टेलीविज़न के भविष्य को लेकर अंदाज़ा नहीं था।
बीबीसी को इस बात को लेकर भी आशंका थी क्या वह वक्त आ पहुंचा है जब हमें टेलीविज़न प्रसारण को लेकर काम करना चाहिए कि नहीं। बीबीसी इस बात पर भी मंथन कर रहा था कि क्या सचमुच जॉन बेयर्ड का प्रयोग लोगों को एक गुणवत्तापूर्ण टेलीविज़न प्रसारण मुहैया करने में सक्षम है भी या नहीं। लेकिन बदलता समय बीबीसी पर भी जल्दी से जल्दी कोई न कोई कदम उठाने को लेकर अपना दबाव बना रहा था।
जुलाई 1928 में बीबीसी ने एक प्रेस स्टेटमेंट दिया कि जब विज्ञान एक स्तर तक विकास कर चुका हो और लोगों की सेवा के लिए तैयार हो तो उसे नहीं रोका जाना चाहिए। इन सबके बीच, दूसरी तरफ जॉन बेयर्ड की टेलीविज़न कंपनी ने विज्ञापन देने शुरु कर दिया जिसमें कहा गया कि ‘टेलीविज़न सबके लिए’ और ‘हर घर के लिए टेलीविज़न’। लेकिन बीबीसी अभी ऑडियो-विजुअल्स प्रसारण के लिए तैयार नहीं दिख रहा था, इन विज्ञापनों के जवाब में बीबीसी ने साफ कहा कि ये विज्ञापन बरगलाने वाले हैं।… इसके बाद की कहानी टेलीविज़न कंपनियों के बीच व्यावसायिक जंग और बीबीसी की टेलीविज़न कंपनियों के साथ मिलीभगत का भी है। लेकिन इस संघर्ष के बीच टेलीविज़न एक सच्चाई के रूप में उभर कर सामने आया। (बीबीसी के टेलीविज़न प्रसारण की शेष कहानी अगले अंक में)
संदर्भः
Briggs, Asa. The BBC: The First Fifty Years. Oxford University Press, 1985.
Briggs, Asa. The History of Broadcasting in the United Kingdom: Volume II: The Golden Age of Wireless. Oxford University Press, UK, 1965.
Parks, Lisa and Kumar, Shanti. Planet TV: A Global Television Reader, NYU Press, 2003.
लेखक ओमप्रकाश दास एक टेलीविज़न पत्रकार हैं और मीडिया शोधार्थी हैं. टेलीविज़न पत्रकारिता में अपने दो दशक से भी अधिक करियर के दौरान उन्होंने अनेक कार्यकर्मों का प्रोडक्शन किया है और टेलीविज़न एंकरिंग में अपना एक विशेष स्थान बनाया है . संपर्कः omsdas2006@gmail.com, +91-9717925557