About
Editorial Board
Contact Us
Saturday, April 1, 2023
NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India
No Result
View All Result
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal
No Result
View All Result
NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India
Home Journalism Radio and Television Journalism

महान अभिनेता ओमपुरी के जीवन को याद करते हुए….

महान अभिनेता ओमपुरी के जीवन को याद करते हुए….

फिल्म देखने और समझने के अपने अनुभवों के बीच जब हम ठहर कर अपने आप से पूछते है कि कोई कलाकार, कोई किरदार हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों है या कि उस कलाकार की संपूर्ण कला-यात्रा को कैसे समझा जाए? तो महसूस करते है कि पर्दे पर किसी किरदार, कलाकार की उपस्थिति और हमारे समय और समाज के संबन्ध कितने घनिष्ठ है. ऐसा कहते हुए हम फिल्म ‘आक्रोश’ में ओमपुरी की चुप्पी और फिल्म के अंत मे उस चीख में कही गुम हो जाते है, और कुछ कहने या लिखने की सीमाओं के इतर वह चीख हमें अंदर तक भेद जाती है.

जब हम किसी सिने-कलाकार के बारें मे जानना चाहते है तो सबसे पहले उसकी फिल्मोग्राफी ही आपके सामने होती है और दूसरा उसके बारे मे कही लिखी बातें, साथ ही साथ समय-समय पर उसके साथ जुड़े विवाद और जिंदगी के दूसरे हिस्सो पर भी आपकी नजर पड़ती है.

आज ओमपुरी हमारे बीच नहीं रहे, उनका अभिनय है, और हम जब हम उन्हें याद करते है तो इस कलाकार का जीवन अपने संघर्षो और अभिनय की ऊंचाइयों को चूमता हुआ नजर आता है. अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ओमपुरी के बारे मे कहते है कि ‘बंबई फिल्म उद्योग में अगर आपका कोई गॉडफादर नहीं है तो आपके लिए सफल होना मुश्किल है, ऐसे मे हमें ओमपुरी नजर आते है जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर ये मुकाम हासिल किया. जो फिल्म उद्योग मे संघर्षरत किसी कलाकार के लिए एक ‘फैंटेसी’ हो सकती है और उसे प्रेरित कर सकती है’. (कि कैसे एक साधारण सा व्यक्ति केवल अपनी काबिलियत के बल पर ये मुकाम हासिल कर पाता है).

ओमपुरी के जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव आए और समय-समय पर वे बहुत से विवादों में भी घिरे रहे. ओमपुरी का जन्म अंबाला मे हुआ और यहीं उन्होंने जिंदगी की मुश्किलों से ‘दो-चार हाथ’ करना सीख लिया. परिवार मुश्किलों मे था और यहीं से जिंदगी उन्हें अपने पाठ पढ़ाने लगी. तमाम बुरे अनुभवों और कठिनाइयों से चोली-दामन का खेल खेलते और अपने कॉलेज के दिनों मे नाटको मे भाग लेते हुए वे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) पहुंचे जहां, अब्राह्म अल्काजी और एम के रैना के सहयोग ने उन्हें अपनी कमजोरियों और समय से उपजे अवसाद से उबरने मे मदद की. एनएसडी मे ही उनकी दोस्ती नसीरुद्दीन शाह से हुई जो ताउम्र बनी रही. इसके बाद फिल्म संस्थान, पुणे (एफटीआईआई) मे दाखिला लिया और मणि कौल के निर्देशन मे बनी फिल्म घासीराम कोतवाल (1976) से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की. हिंदी सिनेमा में ओमपुरी उन-कुछ चंद कलाकारों में भी शामिल है जिनकी पहचान अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा के फलक पर भी दर्ज की जाती है.

फिल्म ‘आक्रोश’ में भीखू लहान्या के किरदार में ओमपुरी को देख आप एक आदिवासी के अंदर के गुस्से, अविश्वास, असुरक्षा और द्वन्द को पहचान पाते है. यह भीखू की चुप्पी ही है जो हमारा साक्षात्कार उस अंधकार से कराती है जिसमे वे जीने के लिए अभिशप्त है. आक्रोश मे भीखू की यह चुप्पी और फिल्म के अंत मे उसकी चीख एक ऐसा वीभत्स चित्र हमारे सामने खींचती है जो न्याय को प्रश्नचिन्ह के कटघरे मे खड़ा कर देती है. आज जब राजस्थान, छत्तीसगढ़, उडीसा और झारखण्ड के आदिवासियों के सवाल हमारे सामने मुंह बाए खड़े है– पुलिसिया दमन और न्याय से उपेक्षित जनता की कोई सुनवाई नहीं है. यहां पर इन आंकड़ो का जिक्र करना प्रासंगिक होगा कि पिछले 10 सालों मे बस्तर मे 3500 से ज्यादा आदीवासियों की हत्या हुई है. आक्रोश मे अपने प्रभावशाली और मजबूत अभिनय के लिए ओमपुरी की काफी तारीफ हुई, और आज जब हम इस फिल्म से होकर गुजरते है तो इसे देश भर मे चल रहें जन-आंदोलनों के समानांतर प्रासंगिक पाते है.

ओमपुरी हमें हिंदी के ‘समानांतर सिनेमा’ आंदोलन के केंद्र मे खड़े नजर आते है जो इन फिल्मों के एक प्रमुख हस्ताक्षर हैं. 1960 में एफटीआईआई की स्थापना और वहां से निकले फिल्मकार और अभिनेताओं ने मुख्य धारा के सिनेमा के बरक्श समानांतर सिनेमा की नींव रखी. इस दौर मे बनी फिल्मों मे भी ओमपुरी के अभिनय की एक सशक्त छवि हमें देखने को मिलती है.

ओमपुरी पर बात करते समय ‘अर्धसत्य’ (1983) की चर्चा न करना बात को अधूरी छोड़ देना है. अर्धसत्य एक पुलिस इंसपेक्टर की कहानी है जहां वह अपनी जिंदगी की उहापोह, व्यवस्था और समाज की विसंगतियों के साथ टकराता है. इसी के साथ ओमपुरी के शानदार अभिनय से सजी ‘भवनी-भवाई’ (1980), जानें भी दो यारो (1983), आरोहण (1983), गिद्ध (1984), आघात (1985), मिर्च-मसाला (1987) और ‘द्रोहकाल’ (1995) भी हमारे सामने आती है. जो अपने समय की महत्वपूर्ण फिल्मों के रुप मे हिंदी सिनेमा की पहचान है.

ओमपुरी एक ऐसी शख्शियत के मालिक थे जिनकी पर्दे पर की अदाकारी दर्शकों को अपने किरदार से एकमएक कर देने पर विवश कर देती थी और फिल्म के समाप्त हो जाने पर भी पर्दे की उस छवि का अक्श़ कहीं न कहीं दर्शकों के दिलों-दिमाग पर अपनी छाप के साथ शेष रह जाता था.

इस कलाकार के सिनेमा के पटल पर उपस्थित होने से पहले, सिनेमा के ‘सितारों’ की एक लंबी फेहरिस्त देखने को मिलती है. ओमपुरी ने अपने फिल्मी सफ़र में महत्वपूर्ण किरदार निभाए, लेकिन इन फिल्मों को ‘ऑफ-बीट’ होने का तमगा ही हासिल हुआ. वे लोकप्रिय अभिनेता रहे, लेकिन लोकप्रियता के पैमाने पर वे कभी बाजार के लिए ‘कमोडिटी’ नहीं बन पाए. नंदिता पुरी उनकी जीवनी लिखते हुए बताती हैं कि 1973 में फिल्म संस्थान, पुणे (एफटीआईआई) के एक्टिंग कोर्स के दाखिले के लिए हुए इंटरव्यू मे ज्यादातर, उन्हें दाखिला देने से हिचक रहे थे. लोगों का मानना था कि ‘ओमपुरी न तो ‘हीरो’ की तरह दिखते है, न ही ‘विलेन’ की तरह दिखते हैं और न ही किसी ‘कॉमेडियन’ की तरह दिखते है’, उनका कहना था कि “वे फिल्म उद्योग के किस काम के होंगे?”. आने वाले वर्षों में ओमपुरी ने अपने अभिनय के दम पर यह साबित किया कि अभिनय किसी खास तरह के चेहरे की बनावट का मोहताज नहीं होता. ओमपुरी ने अपने शुरुआती दौर में जिन फिल्मों के लिए काम किया, उसका फिल्म उद्योग की मुनाफें की अर्थव्यवस्था से बहुत कुछ लेना-देना नहीं था और ना ही इस अर्थव्यवस्था ने उनका बहुत-कुछ साथ ही दिया ऐसे में हमें ‘अरविंद देसाई की अजीब दास्तान’ में उनका यह संवाद याद आता है कि “ मेरी प्रॉब्लम जानते हो! एक ऐसी दुनिया में रहना, जहाँ मेरे सोचने और करने में बहुत फर्क है.”

Tags: bollywoodgreat actorom puri
Previous Post

एफ.एम. क्रांति से हुआ रेडियो का पुनर्जन्म

Next Post

Prospects Of Traditional Media For Rural Development

Next Post
Prospects Of Traditional Media For Rural Development

Prospects Of Traditional Media For Rural Development

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

No Result
View All Result

Recent News

Citizen Journalism for hyper-local coverage in print newspapers

March 31, 2023

Uncertainty in classrooms amid ChatGPT disruptions

March 31, 2023

 Fashion and Lifestyle Journalism Course

March 22, 2023

SCAN NOW FOR DONATIONS

NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India

यह वेबसाइट एक सामूहिक, स्वयंसेवी पहल है जिसका उद्देश्य छात्रों और प्रोफेशनलों को पत्रकारिता, संचार माध्यमों तथा सामयिक विषयों से सम्बंधित उच्चस्तरीय पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाना है. हमारा कंटेंट पत्रकारीय लेखन के शिल्प और सूचना के मूल्यांकन हेतु बौद्धिक कौशल के विकास पर केन्द्रित रहेगा. हमारा प्रयास यह भी है कि डिजिटल क्रान्ति के परिप्रेक्ष्य में मीडिया और संचार से सम्बंधित समकालीन मुद्दों पर समालोचनात्मक विचार की सर्जना की जाय.

Popular Post

हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता

टेलीविज़न पत्रकारिता

समाचार: सिद्धांत और अवधारणा – समाचार लेखन के सिद्धांत

Evolution of PR in India and its present status

संचार मॉडल: अरस्तू का सिद्धांत

आर्थिक-पत्रकारिता क्या है?

Recent Post

Citizen Journalism for hyper-local coverage in print newspapers

Uncertainty in classrooms amid ChatGPT disruptions

 Fashion and Lifestyle Journalism Course

Fashion and Lifestyle Journalism Course

Development of Local Journalism

Audio Storytelling and Podcast Online Course

  • About
  • Editorial Board
  • Contact Us

© 2022 News Writers. All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal

© 2022 News Writers. All Rights Reserved.