About
Editorial Board
Contact Us
Saturday, March 25, 2023
NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India
No Result
View All Result
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal
No Result
View All Result
NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India
Home Contemporary Issues

हिंदी पत्रकारिता की सदाबहार गलतियां

हिंदी पत्रकारिता की सदाबहार गलतियां

डॉ. महर उद्दीन खां।

पत्रकारिता के माध्यम से पाठकों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए अन्य भाषाओं के शब्दों के प्रयोग को अनुचित नहीं कहा जा सकता मगर उन का सही प्रयोग किया जाना चाहिए। देखने में आता है कि जाने अनजाने या अज्ञानता वष कई उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का गलत प्रयोग करने की हिंदी में एक परंपरा विकसित हो गई है। हालांकि इन गलतियों का समाचार की सेहत पर विशेष अंतर नहीं पड़ता मगर जानकार जब यह देखते हें तो कुढन होती है और कर्इ बार झुंझलाहट भी होती है। ईद ,बकरीद और जुमा अलविदा आदि अवसरों पर नमाज का समाचार प्रमुखता से प्रकशित किया जाता है। अधिकांश क्षेत्रीय हिंदी समाचार पत्र नमाज अता की लिखते हैं जबकि नमाज अदा की जाती है।

बड़े अखबारों की देखा देखी स्थानीय अखबार यही गलती दोहराने लगते हैं। अखबारों का ध्यान दिलाने पर इस गलती में कुछ समय के लिए सुधार कर दिया जाता है मगर बाद में परनाला फिर वहीं गिरने लगता है। इस बारे में एक अखबार की महिला पत्रकार तो बहस करने लगीं कि अदा तो अभिनेता और अभिनेत्रियों की होती है। नमाज तो अता ही की जाती है। उन्हें समझाया गया कि अपने किसी परिचित मुसलमान से पूछें। बाद मे उन्होंने माना कि नमाज अदा ही की जाती है। पिछले दिनों एक सब से तेज चैनल की जानी मानी एंकर भी नमाज अता करा रही थी जिसे सुन कर बहुत बुरा लगा। वैसे अच्छा यह हो कि अता और अदा के चक्कर में न पड़ कर सीधे नमाज पढ़ी लिखा जाए।

विरोध के लिए हिंदी पत्रकारिता में खिलाफत शब्द भी एक सदा बहार गलती है। खिलाफत का सम्बंध खलीफा की पदवी से है इस लिए खिलाफत न लिख कर विरोध ही लिखा जाना चाहिए।

पानी की बौछार पड़ते ही नेता जी जमीन पर गिर कर धराशायी हो गए। जबकि जमीन पर गिरना और धराशायी होना एक ही बात है। ऐसे ही कई संवाददाता प्रेमी युगल जोड़ा लिखते हैं जब कि युगल और जोड़ा पर्यायवाची शब्द हैं।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को वजीरे आला लिखने की गलती तो अपने को राजनीतिक पंडित कहने वाले पत्रकार तक करते रहते हैं जबकि उर्दू में वजीरे आला मुख्यमंत्री को कहते हैं प्रधानमंत्री को उर्दू में वजीरे आजम कहते हैं। काकोरी कांड के शहीद अशफाक उल्लाह खां की एक कविता है शहीदों की मजारों पर जुटेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा। मजार के स्थान पर चिता लिखना हिंदी पत्रकारिता की स्थायी गलती बन चुकी है जिसे सामान्य पत्रकार से ले कर धुरंधर सम्पादक तक निरंतर दोहरा रहे हैं जबकि सामान्य ज्ञान की बात है कि चिता पर मेला नहीं लगता। अब लगता यही है कि इस गलती में सुधार नहीं होगा क्योंकि सरकारी दस्तावेजों में भी मजार के स्थान पर चिता लिखा जाने लगा है।

अंग्रेजी में सीवर का मैन होल होता है मगर अधिकांश हिंदी अखबार इसे मेन होल या मेन हॉल लिखते हैं। न्यूज चैनल के कई पत्रकार भी मैन होल को मेन होल कहते सुने जा सकते हैं। सीवर के मैन होल में एक बच्चा गिरने के समाचार में एंकर बार बार मैन होल कह रहा था मगर रिपोर्टर इस पर घ्यान न दे कर अंत तक मेन होल ही कहता रहा।

हिंदी में कैसी कैसी गलतियां होती हैं इस का एक उदाहरण देखें- सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई। मृतक साइकिल पर जा रहा था। पुलिस ने मृतक का शव कब्जे में लेकर पोस्ट मार्टम के लिए भेज दिया। कई बार अति उत्साह में या किसी नेता के प्रति सहानुभूति पैदा करने के लिए कई संवाददाता लिखते हैं- पानी की बौछार पड़ते ही नेता जी जमीन पर गिरकर धराशायी हो गए। जबकि जमीन पर गिरना और धराशायी होना एक ही बात है। ऐसे ही कई संवाददाता प्रेमी युगल जोड़ा लिखते हैं जब कि युगल और जोड़ा पर्यायवाची शब्द हैं।

कुल मिला कर कहने का तात्पर्य यह है कि समाचार में उन्हीं उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग किया जाए जिन का सही अर्थ और संदर्भ पता हो। पत्रकारिता में प्रवेश करने वाले युवाओं को इस बारे में खास ध्यान रखने की आवश्‍यकता है।

पत्रकारिता की भाषा
नवभारत टाइम्स में नौकरी के दौरान संपादक स्व. राजेंद्र माथुर ने कई बड़ी घटनाओं की कवरेज के लिए मुझे भेजा, लौट कर आने पर माथुर साहब एक ही बात कहते थे ‘संयत हो कर लिख दो।’ देखने में आता है कि अति उत्साह में कई बार संवाददाता संयम से काम नहीं लेते। इस बारे में यहां उत्तराखंड के एक जुझारु पत्रकार उमेश डोभाल का उदाहरण प्रस्तुत है- उमेश डोभाल एक उत्साही युवक था। इनके समाचारों की भाषा बहुत तीखी होती थी। तब वरिष्‍ठ पत्रकार श्री इब्बार रब्बी उत्तर प्रदेश संस्करण के प्रभारी थे। उत्तराखंड तब अलग प्रदेश नहीं था। उमेश डोभाल पौड़ी गढवाल से नवभारत टाइम्स के संवाददाता थे। एक बार दिल्ली आगमन पर रब्बी जी ने डोभाल को समझाया कि समाचारों के तेवर थोड़ा नरम रखें तो उचित होगा। इस के साथ ही अगर किसी व्यक्ति पर आरोप हैं तो उस का पक्ष भी देने का पूरा प्रयास करें।

देखा गया है कि अधिकांश स्थानीय संवाददाता ऐसा नहीं करते जिस से आरोपी संवाददाता से रंजिश मानने लगते हैं। संवाददाता भी अपनी अकड़ में या भयवश आरोपी से मिलने से परहेज करते हैं बस यहीं से बात बिगड़ जाती है। रब्बी जी की नसीहत का डोभाल पर कोइ खास प्रभाव नहीं पड़ा और अंत में वही हुआ जिस की आशंका थी। जिन माफियाओं के खिलाफ डोभाल लिख रहे थे संभवतः उन्होंने एक दिन डोभाल को गायब करा दिया। अर्थात उन की हत्या कर शव गायब करा दिया।

उमेश डोभाल के गायब होने पर उत्तराखंड के सारे पत्रकार उद्वेलित हो गए । धरना प्रदर्शन होने लगे। पत्रकारों के उग्र आंदोलन का कोई खास नतीजा नहीं निकला बस कुछ जांच की गई मगर न तो उमेश डोभाल के हत्यारों का पता चल सका और न ही उन का शव बरामद हो सका उमेश डोभाल की स्मृति में आज भी उत्तराखंड के पत्रकार आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि देते आ रहे हैं। नवागंतुक पत्रकारों को सलाह दी जाती है कि समाचार की भाषा संयत हो इस के साथ ही आरोपी का पक्ष भी लेने का भरसक प्रयास करें यदि पक्ष नहीं मिलता है तो समाचार में यह उल्लेख कर दें कि आरोपी का पक्ष लेने का प्रयास किया गया।

डॉ. महर उद्दीन खां लम्बे समय तक नवभारत टाइम्स से जुड़े रहे और इसमें उनका कॉलम बहुत लोकप्रिय था. हिंदी जर्नलिज्म में वे एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं . संपर्क : 09312076949 email- maheruddin.khan@gmail.com

Tags: Broadcast JournalismCorporate JournalismDr. Meharuddi​n KhanEconomic JournalismEnglish MediaFacebookFrequent Mistakes of Hindi Journalismhindi journalismHindi MediaInternet JournalismJournalisnNavbharat TimesNew MediaNews HeadlineNews writersOnline JournalismPRPrint JournalismPrint NewsPublic RelationSenior Journalistsocial mediaSports JournalismtranslationTV JournalistTV NewsTwitterUmesh DobhalUttarakhandWeb Journalismweb newsअंग्रेजी मीडियाआर्थिक पत्रकारिताइंटरनेट जर्नलिज्मउत्तराखंडउमेश डोभालकॉर्पोरेट पत्रकारिताखेल पत्रकारितागलतियांजन संपर्कटीवी मीडियाट्रांसलेशनट्विटरडॉ. महर उद्दीन खांनवभारत टाइम्सन्यू मीडियान्यूज राइटर्सन्यूड हेडलाइनपत्रकारपब्लिक रिलेशनपीआरप्रिंट मीडियाफेसबुकवेब न्यूजवेब मीडियासीनियर जर्नलिस्टसोशल माडियास्पोर्ट्स जर्नलिज्महिंदी पत्रकारिताहिन्दी मीडिया
Previous Post

सोशल मीडिया : खबरों की चौपाल

Next Post

नेपाल त्रासदी में भारतीय मीडिया

Next Post
नेपाल त्रासदी में भारतीय मीडिया

नेपाल त्रासदी में भारतीय मीडिया

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

No Result
View All Result

Recent News

 Fashion and Lifestyle Journalism Course

March 22, 2023

Fashion and Lifestyle Journalism Course

March 22, 2023

Development of Local Journalism

March 22, 2023

SCAN NOW FOR DONATIONS

NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India

यह वेबसाइट एक सामूहिक, स्वयंसेवी पहल है जिसका उद्देश्य छात्रों और प्रोफेशनलों को पत्रकारिता, संचार माध्यमों तथा सामयिक विषयों से सम्बंधित उच्चस्तरीय पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाना है. हमारा कंटेंट पत्रकारीय लेखन के शिल्प और सूचना के मूल्यांकन हेतु बौद्धिक कौशल के विकास पर केन्द्रित रहेगा. हमारा प्रयास यह भी है कि डिजिटल क्रान्ति के परिप्रेक्ष्य में मीडिया और संचार से सम्बंधित समकालीन मुद्दों पर समालोचनात्मक विचार की सर्जना की जाय.

Popular Post

हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता

टेलीविज़न पत्रकारिता

समाचार: सिद्धांत और अवधारणा – समाचार लेखन के सिद्धांत

Evolution of PR in India and its present status

संचार मॉडल: अरस्तू का सिद्धांत

आर्थिक-पत्रकारिता क्या है?

Recent Post

 Fashion and Lifestyle Journalism Course

Fashion and Lifestyle Journalism Course

Development of Local Journalism

Audio Storytelling and Podcast Online Course

आज भी बरक़रार है रेडियो का जलवा

Fashion and Lifestyle Journalism Course

  • About
  • Editorial Board
  • Contact Us

© 2022 News Writers. All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal

© 2022 News Writers. All Rights Reserved.