पारुल जैन।
सोशल मीडिया जैसे की नाम से ही ज़ाहिर है, एक ऐसा चैनल जो सोशल होने में मदद करे। मनुष्य जन्म से ही सामाजिक प्राणी है। वो समाज में रहता है और लोगों से संपर्क बनाना चाहता है। अगर हम एक परिवार की बात करें तो घर के पुरुष अपने घर के अलावा अपने कार्यस्थल पर भी लोगों से मिलते जुलते है। इसके अलावा नौकरी करने वाली महिलाएं भी अपने कार्यस्थल पर लोगों से मिल जुल लेती हैं। परन्तु इस सबके साथ एक कुछ ऐसी स्त्रियां भी हैं जो घर में रहती हैं। जिनका जीवन पति, बच्चो और अन्य परिवार के लोगों तक ही सिमित है। ऐसी स्त्रियों के लिए सोशल मीडिया एक वरदान की तरह उभर कर सामने आया है।
ये बात मैंने तब जानी जब मैंने अपने पास पड़ोस में कुछ महिलाओं का अवलोकन किया। मैंने पाया कि इन स्त्रियों के जीवन में सोशल मीडिया ने ज़बरदस्त पैठ बना ली है। कुछ से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि उन्हें जैसे फेसबुक की आदत ही पड़ चुकी है और अब वे इसके बिना नहीं रह सकतीं। इन स्त्रियों में 25 साल से लेकर 55 साल तक की औरतें शामिल थी। इन्होने बताया कि फेसबुक ने इनका अकेलापन दूर किया है।
सोशल मीडिया से जुड़ने का एक बहुत बड़ा कारण स्मार्टफोन है क्योंकि इनमें से ज्यादातर महिलाओं को कंप्यूटर चलाना नहीं आता लेकिन फ़ोन में वो फेसबुक आसानी से चला लेती है। कई महिलाओं ने फेसबुक पर कई पेजेस भी लाइक किये हुए है जिससे उन्हें नए प्रोडक्ट्स की जानकारी मिल जाती है। इसके अलावा कई स्त्रियों का कहना था कि उन्हें ज्यादातर समाचार फेसबुक द्वारा ही प्राप्त होते हैं। इस वजह से उनका टीवी देखने का समय घट गया है। इसके अलावा भी बहुत सी जानकारियां उन्हें फेसबुक के ज़रिये ही मिलती हैं।
कई घरेलू महिलाओं ने तो अपने फेसबुक पेज बना रखे है यहाँ मैं एक फेसबुक पेज का उदाहरण देना चाहूंगी। ये पेज है,’ द वाओ क्लब’ . कुछ समय पहले कुछ घरेलु महिलाओं ने एक ग्रुप बनाया जिसमें वे सब इकट्ठी होकर भारत में किसी दर्शनीय स्थल पर घूमने जाने लगी। फिर उन्होंने अपना एक फेसबुक पेज बनाया और कुछ ही समय में ये पेज बहुत पॉपुलर हो गया और आज इसके चाहने वाले लाखों की संख्यां में हैं। और कितनी ही स्त्रियां फेसबुक द्वारा इन स्त्रियों के साथ जुडी हैं। इसी तरह लिखने की शौक़ीन कुछ घरेलू महिलाओं के ब्लॉग आज बहुत पॉपुलर हैं। इसी कड़ी में शिखा वार्ष्णेय का नाम लिया जा सकता है जिन्हे ब्लॉग लेखन के लिए एबीपी न्यूज़ द्वारा सम्मानित किया गया है।
इसके अलावा एक और चीज है जिसने हम सबके डेली रूटीन अपनी मज़बूत जगह बनाई है और वो है ‘व्हाट्स एप’। अगर नाम पर ध्यान दें तो पाएंगे कि व्हाट्स एप मतलब ‘क्या है एप’ ? पर ये तो ‘क्या एप है’! कमाल एप है। थोड़े ही समय में इसने अपनी पकड़ इतनी बना ली कि एस एम एस की कोई पूछ ही नहीं रही। अन्य लोगों की तरह घरेलू स्त्रियों के जीवन में भी इस एप ने कमाल किया है। इसके ज़रिये सब आपस में जुड़े हुए है। कई जगह तो इन स्त्रियों ने अपने ग्रुप बना लिए हैं और उस पर मेसेज, फोटो और विडिओ शेयर करके ये अपने जीवन को और भी ज्यादा आनंददायक बना रही हैं। शॉपिंग से लेकर कूकिंग तक में ये एप बड़ी मददगार साबित हो रही है।
कुल मिला कर ये कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया और खासकर स्मार्ट फोन की वजह से घरेलू स्त्रियों के जीवन में काफी बदलाव आया है। इसने उनके लिए एक नए संसार के दरवाज़े खोले है और उन्हें अपने को अभिव्यक्त करने का मौका दिया है।
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