About
Editorial Board
Contact Us
Monday, March 27, 2023
NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India
No Result
View All Result
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal
No Result
View All Result
NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India
Home Journalism

स्थानीय भाषा में इंटरनेट

स्थानीय भाषा में इंटरनेट

मुकुल श्रीवास्तव |

इंटरनेट शुरुवात में किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह एक ऐसा आविष्कार बनेगा जिससे मानव सभ्यता का चेहरा हमेशा के लिए बदल जाएगा | आग और पहिया के बाद इंटरनेट ही वह क्रांतिकारी कारक जिससे मानव सभ्यता के विकास को चमत्कारिक गति मिली|इंटरनेट के विस्तार के साथ ही इसका व्यवसायिक पक्ष भी विकसित होना शुरू हो गया|प्रारंभ में इसका विस्तार विकसित देशों के पक्ष में ज्यादा पर जैसे जैसे तकनीक विकास होता गया इंटरनेट ने विकासशील देशों की और रुख करना शुरू किया और नयी नयी सेवाएँ इससे जुडती चली गयीं  |

इंटरनेट एंड मोबाईल एसोसिएशन ऑफ़ इण्डिया की नयी रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्रीय भाषाओँ के प्रयोगकर्ता सैंतालीस प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं जिनकी संख्या संख्या साल 2015 के अंत तक 127 मिलीयन हो जाने  की उम्मीद है | भारत सही मायने में कन्वर्जेंस की अवधारणा को साकार होते हुए देख रहा है, जिसका असर तकनीक के हर क्षेत्र में दिख रहा है। इंटरनेट मुख्यता कंप्यूटर आधारित तकनीक रही है पर स्मार्ट फोन के आगमन के साथ ही यह धारणा तेजी से ख़त्म होने लग गयी और जिस तेजी से मोबाईल पर इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है वह साफ़ इशारा कर रहा है की भविष्य में इंटरनेट आधारित सेवाएँ कंप्यूटर नहीं बल्कि मोबाईल को ध्यान में रखकर उपलब्ध कराई जायेंगी|

भारत की विशाल जनसंख्या इस परिवर्तन के मूल में है। इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य खत्म होने की शुरुआत हो गई है। गूगल ने हिंदी वेब डॉट कॉम से एक ऐसी सेवा शुरू की है, जो इंटरनेट पर हिंदी में उपलब्ध समस्त सामग्री को एक जगह ले आएगी। इसमें हिंदी वॉयस सर्च जैसी सुविधा भी शामिल है। गूगल का यह प्रयास ज्यादा से ज्यादा लोगों को इंटरनेट से जोड़ने की दिशा में उठाया कदम है। इस प्रयास को गूगल ने इंडियन लैंग्वेज इंटरनेट एलाइंस (आईएलआईए) कहा है। इसका लक्ष्य 2017 तक 30 करोड़ ऐसे नए लोगों को इंटरनेट से जोड़ना है, जो इसका इस्तेमाल पहली बार स्मार्टफोन या अन्य किसी मोबाइल फोन से करेंगे।

गूगल के आंकड़ों के मुताबिक, अभी देश में अंग्रेजी भाषा समझने वालों की संख्या 19.8 करोड़ है, और इसमें से ज्यादातर लोग इंटरनेट से जुड़े हुए हैं। तथ्य यह भी है कि भारत में इंटरनेट बाजार का विस्तार इसलिए ठहर-सा गया है, क्योंकि सामग्रियां अंग्रेजी में हैं। आंकड़े बताते हैं कि इंटरनेट पर 55.8 प्रतिशत सामग्री अंग्रेजी में है, जबकि दुनिया की पांच प्रतिशत से कम आबादी अंग्रेजी का इस्तेमाल अपनी प्रथम भाषा के रूप में करती है, और दुनिया के मात्र 21 प्रतिशत लोग ही अंग्रेजी की समझ रखते हैं। इसके बरक्स अरबी या हिंदी जैसी भाषाओं में, जो दुनिया में बड़े पैमाने पर बोली जाती हैं, इंटरनेट सामग्री क्रमशः 0.8 और 0.1 प्रतिशत ही उपलब्ध है। बीते कुछ वर्षों में इंटरनेट और विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स जिस तरह लोगों की अभिव्यक्ति, आशाओं और अपेक्षाओं का माध्यम बनकर उभरी हैं, वह उल्लेखनीय जरूर है, मगर भारत की भाषाओं में जैसी विविधता है, वह इंटरनेट में नहीं दिखती।आज 400 मिलियन भारतीय अंग्रेजी भाषा की बजाय हिंदी भाषा की ज्यादा समझ रखते हैं लिहाजा भारत में इंटरनेट को तभी गति दी जा सकती है, जब इसकी अधिकतर सामग्री हिंदी समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में हो।आज जानकारी का उत्तम स्रोत कहे जाने वाले प्रोजेक्ट विकीपिडिया पर तकरीबन पेज 22000 हिंदी भाषा में हैं ताकि भारतीय यूजर्स इसका उपयोग कर सकें।

भारत में लोगों को इंटरनेट पर लाने का सबसे अच्छा तरीका है उनकी पसंद का कंटेंट बनाना यानि कि भारतीय भाषाओं को लाना|वैश्विक परामर्श संस्था मैकेंजी का एक नया अध्ययन बताता है कि 2015 तक भारत के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में इंटरनेट 100 अरब डॉलर का योगदान देगा, जो 2011 के 30 अरब डॉलर के योगदान के तीन गुने से भी ज्यादा होगा। अध्ययन यह भी बताता है कि अगले तीन साल में भारत दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा इंटरनेट उपभोक्ताओं को जोड़ेगा। इसमें देश के ग्रामीण इलाकों की बड़ी भूमिका होगी। मगर इंटरनेट उपभोक्ताओं की यह रफ्तार तभी बरकरार रहेगी, जब इंटरनेट सर्च और सुगम बनेगा। यानी हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को इंटरनेट पर बढ़ावा देना होगा, तभी गैर अंग्रेजी भाषी लोग इंटरनेट से ज्यादा जुड़ेंगे।गूगल पिछले 14 सालों से‘सर्च’(खोज ) पर काम कर रहा है। यह सर्च भविष्य में सबसे ज्यादा मोबाइल के माध्यम से किया जाएगा। विश्व भर में लोग अब ज्यादातर मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट चला रहे हैं। बढते स्मार्ट फोन के प्रयोग ने सर्च को और ज्यादा स्थानीयकृत किया है वास्तव में खोज ग्लोबल से लोकल हो रही है जिसका आधार भारत में तेजी से बढते मोबाईल इंटरनेट प्रयोगकर्ता हैं जो अपनी खोज में स्थानीय चीजों को ज्यादा महत्त्व दे रहे हैं|

ये रुझान दर्शाते हैं कि भारत नेट युग की अगली पीढ़ी में प्रवेश करने वाला है जहाँ सर्च इंजन भारत की स्थानीयता को ध्यान में रखकर खोज प्रोग्राम विकसित करेंगे और गूगल ने स्पीच रेकग्नीशन टेक्नीक पर आधारित वायस सर्च की शुरुवात की है जो भारत में सर्च के पूरे परिद्रश्य को बदल देगी|स्पीच रेकग्नीशन टेक्नीक लोगों को इंटरनेट के इस्तेमाल के लिए किसी भाषा को जानने की अनिवार्यता खत्म कर देगी वहीं बढते स्मार्ट फोन हर हाथ में इंटरनेट पहले ही पहुंचा रहे हैं |आंकड़ों की द्रष्टि में ये बातें बहुत जल्दी ही हकीकत बनने वाली हैं |वैश्विक  परामर्श संस्था मैकिन्सी कम्पनी का एक नया अध्ययन बताता है कि इंटरनेट  साल 2015 तक  भारत की जी डी पी (सकल घरेलू उत्पाद )में १०० बिलियन डॉलर का योगदान देगा जो कि वर्ष2011 के 30 बिलियन डॉलर के योगदान से तीन गुने से भी ज्यादा होगा अध्ययन यह भी बताता है कि अगले तीन साल में भारत दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा इंटरनेट उपभोक्ताओं को जोड़ेगा और देश की कुल जनसंख्या का 28 प्रतिशत इंटरनेट से जुड़ा होगा जो चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा जनसँख्या समूह होगा |इसलिए इंटरनेट सिर्फ अंग्रेजी भाषा जानने वालों का माध्यम नहीं रह गया है |

ऑनलाइन खरीददारी का दायरा बढेगा

फॉरेस्टर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 3.5 करोड़ लोग ऑनलाइन खरीदारी करते हैं, जिनकी संख्या 2018 तक 12.80 करोड़ हो जाने की उम्मीद है। इंटरनेट प्रयोगकर्ताओं के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है, पर यहां ई-कॉमर्स का भविष्य मोबाइल के हाथों में है। मार्केट रिसर्च संस्था आईडीसी के मुताबिक, भारत में स्मार्टफोन का बाजार 40 प्रतिशत की गति से बढ़ रहा है। मोबाइल सिर्फ बातें करने, तस्वीरों व संदेशों का माध्यम भर नहीं रह गए हैं। अब स्मार्टफोन में चैटिंग ऐप के अलावा, ई-शॉपिंग के अनेक ऐप लोगों की जरूरत का हिस्सा बन चुके हैं। इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोशिएशन ऑफ इंडिया व केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का ई-कॉमर्स का बाजार 9.5 बिलियन डॉलर का है, जिसके इस साल के अंत तक 12.6 बिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद है और 2020 तक यह देश की जीडीपी में चार प्रतिशत का योगदान देगा। अभी ओनलाईन खरीददारी के लिए अंगरेजी भाषा पर निर्भरता ज्यादा है कुछ साईटों को छोड़कर अभी सभी बड़े ऑनलाइन स्टोर्स अंग्रेजी पर निर्भर हैं  पर जैसे जैसे क्षेत्रीय भाषाओँ में खरीददारी का दायरा बढेगा ये कारोबार और गति पकड़ेगा |

क्षेत्रीय भाषाओँ का है बड़ा बाजार

हिंदी को शामिल करते हुए इस समय इंटरनेट की दुनिया बंगाली ,तमिल, कन्नड़ ,मराठी ,उड़िया , गुजराती ,मलयालम ,पंजाबी, संस्कृत,  उर्दू  और तेलुगु जैसी भारतीय भाषाओं में काम करने की सुविधा देती है आज से दस वर्ष पूर्व ऐसा सोचना भी गलत माना जा सकता था पर इस अन्वेषण के पीछे भारतीय इंटरनेट उपभोक्ताओं के बड़े आकार का दबाव काम कर रहा था भारत जैसे देश में यह बड़ा अवसर है जहाँ मोबाईल इंटरनेट प्रयोगकर्ताओं की संख्या विश्व में अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा है । इंटरनेट  हमारी जिंदगी को सरल बनाता है और ऐसा करने में गूगल का बहुत बड़ा योगदान है। आज एक किसान भी सभी नवीनतम तकनीकों को अपना रहे हैं, और उन्हें सीख भी  रहे हैं, लेकिन इन तकनीकों को उनके लिए अनुकूलित बनाना जरूरी है जिसमें भाषा का व कंटेंट का बहुत अहम मुद्दा है।इसलिए भारत में हिन्दी और भारतीय भाषाओं  में इंटरनेट के विस्तार पर बल दिया जा रहा है |

किसानों को होगा फायदा

इंटरनेट एंड मोबाईल एसोसिएशन ऑफ़ इण्डिया की नयी रिपोर्ट इसी तथ्य की पुष्टि करती है कि ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट का विस्तार बढ़ रहा है |हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के विस्तार का दायरा अभी भले ही इंटरनेट खोज और वॉयस सर्च तक सिमटा है, मगर उम्मीद यही है कि इस प्रयोग का असर जीवन के हर क्षेत्र में पड़ेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों को मिलेगा, क्योंकि इंटरनेट पर हिंदी या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में खेती से संबंधित बहुत ज्यादा सामग्री उपलब्ध नहीं है, और उनका अंग्रेजी ज्ञान सीमित है।हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओँ में में इंटरनेट का प्रसार बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्र के किसान सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे।

स्मार्ट फोन पर भारतीय बिताते हैं सबसे ज्यादा समय इंटरनेट का बहुआयामी इस्तेमाल हो रहा है और भाषाई आधार पर भारतीय भाषाई कंटेंट की मांग सिर्फ पाठ्य सामग्री ही नहीं औडियो एयर वीडिओ में भी बढ़ रही है |आंकड़े भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं |टेलीकॉम कंपनी एरिक्सन ने अपने एक शोध के नतीजे प्रकाशित किए हैं, जो काफी दिलचस्प हैं। इससे पता चलता है कि स्मार्टफोन पर समय बिताने में भारतीय पूरी दुनिया में सबसे आगे हैं। एक औसत भारतीय स्मार्टफोन प्रयोगकर्ता रोजाना तीन घंटा 18 मिनट इसका इस्तेमाल करता है। इस समय का एक तिहाई हिस्सा विभिन्न तरह के एप के इस्तेमाल में बीतता है। एप इस्तेमाल में बिताया जाने वाला समय पिछले दो साल की तुलना में 63 फीसदी बढ़ा है। स्मार्टफोन का प्रयोग सिर्फ चैटिंग एप या सोशल नेटवर्किंग के इस्तेमाल तक सीमित नहीं है, लोग ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर तरह-तरह के व्यावसायिक कार्यों को स्मार्टफोन से निपटा रहे हैं।मोबाइल का बढ़ता इस्तेमाल भारतीय परिस्थितियों के लिए ज्यादा सुविधाजनक है। बिजली की समस्या से जूझते देश में मोबाइल टीवी के मुकाबले कम बिजली खर्च करता है। यह एक निजी माध्यम है, जबकि टीवी और मनोरंजन के अन्य माध्यम इसके मुकाबले कम व्यक्तिगत हैं। दूसरे आप इनका लुत्फ अपनी जरूरत के हिसाब से जब चाहे उठा सकते हैं, यह सुविधा टेलीविजन के परंपरागत रूप में इस तरह से उपलब्ध नहीं है। सस्ते होते स्मार्टफोन, बड़े होते स्क्रीन के आकार, निरंतर बढ़ती इंटरनेट स्पीड और घटती मोबाइल इंटरनेट दरें इस बात की तरफ इशारा कर रही हैं कि आने वाले वक्त में स्मार्टफोन ही मनोरंजन और सूचना का बड़ा साधन बन जाएगा। भारतीयों का इतना समय इंटरनेट पर बिताना इंटरनेट कंटेंट प्रोवाईडर को मजबूर कर रहा है कि वे भारतीय भाषाओँ में कंटेंट की उपलब्धता सुनिश्चित करें |

विज्ञापन बाजार में आएगा बड़ा बदलाव

निकट भविष्य में रेडियो, टीवी और समाचार-पत्रों की विज्ञापनों से होने वाली आय में कमी होगी, क्योंकि ये माध्यम एकतरफा हैं। मोबाइल के मुकाबले इन माध्यमों पर विज्ञापनों का रिटर्न ऑफ इन्वेस्टमेंट (आरओआई) कम है। मोबाइल आपको जानता है, उसे पता है कि आप क्या देखना चाहते हैं और क्या नहीं देखना चाहते हैं। मोबाइल फोन के इस्तेमाल से जुड़ा एक दिलचस्प आंकड़ा यह भी है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या में कोई खास अंतर नहीं है। मोबाइल के जरिये अब बेहद कम खर्च पर देश के निचले तबके तक पहुंचा जा सकता है।मोबाइल मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार,भारत में वित्तीय वर्ष 2013 में मोबाइल विज्ञापन 60 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। वैश्विक परिदृश्य में शोध संस्था ई मार्केटियर के अनुसार, मोबाइल विज्ञापनों से होने वाली आय में 103 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। साल 2014 की पहली तिमाही में इंटरनेट विज्ञापनों पर व्यय की गई कुल राशि का 25 प्रतिशत मोबाइल विज्ञापनों पर किया गया। इसमें बड़ी भूमिका फ्री मोबाइल ऐप निभा रही हैं, जिनके साथ विज्ञापन भी आते हैं। इस बात ने विज्ञापनदाताओं का भी ध्यान बहुत तेजी से अपनी ओर आकर्षित किया है। इस समय भारत में दिए जाने वाले कुल मोबाइल विज्ञापनों का लगभग 60प्रतिशत टेक्स्ट के रूप में होता है। आधुनिक होते मोबाइल फोन के साथ अब वीडियो और अन्य उन्नत प्रकार के विज्ञापन भी चलन में आने लगे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2015 तक भारत में मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट का उपभोग करने वालों की संख्या 16 करोड़ से भी अधिक हो जाएगी।मोबाइल फोन एक अत्यंत ही व्यक्तिगत माध्यम है और इसीलिए इसके माध्यम से इसको उपयोग करने वाले के बारे में सटीक जानकारी एकत्रित की जा सकती है।

डॉ मुकुल श्रीवास्तव: एसोशियेट प्रोफ़ेसर और विभागाध्यक्ष पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ,लखनऊ विश्वविद्यालय , पिछले सोलह वर्ष से पत्रकारिता शिक्षण में संलग्न हैं अब तक चार पुस्तकें लिख चुके हैं और तीन पुस्तकों का अनुवाद भी किया है जिसमें नोबेल पुरूस्कार विजेता वी एस नायपाल की प्रसिद्ध पुस्तक “एन एरिया ऑफ़ डार्कनेस” भी शामिल है |पहली पुस्तक मानवाधिकार और मीडिया को मानवाधिकार आयोग का राष्ट्रीय पुरूस्कार प्राप्त हुआ इटली और अमेरिका का विदेश दौरा कर चुके हैं भारत के लगभग सभी हिंदी राष्ट्रीय हिंदी दैनिकों के सम्पादकीय पेज पर छपते रहते हैं जिसमें आई नेक्स्ट हिन्दुस्तान अमर उजाला अमर उजाला कॉम्पेक्ट राष्ट्रीय सहारा ,जनसत्ता जनसंदेश टाईम्स डेली न्यूज़ एक्टीविस्ट भास्कर आदि .पिछले पांच वर्षों से बी बी सी हिंदी से भी जुड़े हुए हैं आपकी बनाई फिल्म सीधी बात नो बकवास को अमेरिका की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी से सराहना प्राप्त हुई है इंडिया टुडे अंग्रेजी के पैंतीस वर्ष पूरे होने पर छापे गए विशेषांक में पूरे भारत से पैंतीस ऐसे युवाओं में चुने गए जो अपने तरीके से देश बदल रहे हैं |इनके ब्लॉग मुकुल मीडिया को भी काफी सराहा जाता है यात्रा वृतांत लिखने और पढ़ने के शौक़ीन हैं| न्यू मीडिया और इंटरनेट जैसे विषयों पर लिखना पढ़ना पसंद है |

Tags: Internet and Regional Languagesमुकुल श्रीवास्तव
Previous Post

महिलाओं के संदर्भ में नई मीडिया एवं सामाजिक परिवर्तन

Next Post

संचार के दायरे को तोड़ता सोशल मीडिया

Next Post
संचार के दायरे को तोड़ता सोशल मीडिया

संचार के दायरे को तोड़ता सोशल मीडिया

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

No Result
View All Result

Recent News

 Fashion and Lifestyle Journalism Course

March 22, 2023

Fashion and Lifestyle Journalism Course

March 22, 2023

Development of Local Journalism

March 22, 2023

SCAN NOW FOR DONATIONS

NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India

यह वेबसाइट एक सामूहिक, स्वयंसेवी पहल है जिसका उद्देश्य छात्रों और प्रोफेशनलों को पत्रकारिता, संचार माध्यमों तथा सामयिक विषयों से सम्बंधित उच्चस्तरीय पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाना है. हमारा कंटेंट पत्रकारीय लेखन के शिल्प और सूचना के मूल्यांकन हेतु बौद्धिक कौशल के विकास पर केन्द्रित रहेगा. हमारा प्रयास यह भी है कि डिजिटल क्रान्ति के परिप्रेक्ष्य में मीडिया और संचार से सम्बंधित समकालीन मुद्दों पर समालोचनात्मक विचार की सर्जना की जाय.

Popular Post

हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता

टेलीविज़न पत्रकारिता

समाचार: सिद्धांत और अवधारणा – समाचार लेखन के सिद्धांत

Evolution of PR in India and its present status

संचार मॉडल: अरस्तू का सिद्धांत

आर्थिक-पत्रकारिता क्या है?

Recent Post

 Fashion and Lifestyle Journalism Course

Fashion and Lifestyle Journalism Course

Development of Local Journalism

Audio Storytelling and Podcast Online Course

आज भी बरक़रार है रेडियो का जलवा

Fashion and Lifestyle Journalism Course

  • About
  • Editorial Board
  • Contact Us

© 2022 News Writers. All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal

© 2022 News Writers. All Rights Reserved.