About
Editorial Board
Contact Us
Wednesday, July 6, 2022
NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India
No Result
View All Result
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal
No Result
View All Result
NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India
Home Communication

मैगी की वापसी, लेकिन अब ग्राहकों के पास विकल्प हैं

मैगी की वापसी, लेकिन अब ग्राहकों के पास विकल्प हैं

आशीष कुंमार ‘अंशु’।

मैगी की वापसी में बड़ी भूमिका अमेरिका की जनसंपर्क कंपनी एपको की मानी जा रही है। एपको से पहले जनसंपर्क का काम नेसले के लिए एपिक देखता था

जब आप यह लेख पढ़ रहे हैं, मैगी के रास्ते की सारी बाधाएं एक एक कर दूर हो चुकी होगी। बीते दीपावली पर मैगी की वापसी बाजार में एक बार फिर से हुई है। दो मिनट में बनने वाली मैगी की प्रतिबंध के बाद वापसी में पूरे छह महीने का वक्त लगा। जैसाकि हम जानते हैं, मैगी स्वीट्जरलैंड की कंपनी नेसले जो दुनिया की सबसे बड़ी पैकेज्ड फूड की कंपनी है, का उत्पाद है। जो पिछले कई महीनों से भारत में प्रतिबंधित था।

30 अप्रैल को मैगी विवाद मीडिया में आया। खबर यह थी कि मैगी के नमूने में लेड और एमएसजी (मोनो सोडियम ग्लूटमेट) जरूरत से अधिक पाया गया है। लखनऊ में आधिकारिक तौर पर कंपनी को अपना माल समेट कर वापस ले जाने का निर्देश मिला। उसके बाद मीडिया में मैगी द्वारा अपना माल वापस मंगाए जाने और उसे नष्ट किए जाने की खबर आती रही लेकिन पूरे एक महीने तक मैगी ने मीडिया से बातचीत नहीं की। एक महीने बाद मीडिया के सामने नेसले के सीईओ पॉल बुलके का बयान आया- ‘मैगी सुरक्षित है।’

जब पॉल मीडिया को यह आश्वस्त कर रहे थे कि मैगी सुरक्षित है। उस दौरान एक के बाद एक राज्य में मैगी पर प्रतिबंध लग रहा था।

मैगी के प्रतिबंधित होने के बाद नूडल्स का एक बड़ा बाजार देश से खाली हुआ। पहले नूडल्स के इस बाजार पर मैगी से टकराने वाली कोई बड़ी कंपनी नहीं थी। मैगी पर प्रतिबंध के बाद नेपाल से वाई वाई नूडल्स भारत आया और बाबा रामदेव ने पतंजली से नूडल्स तैयार किया। लगभग आधा दर्जन नई कंपनियां बाजार में नूडल्स बेचने के लिए उतर आई। अब ग्राहकों के पास विकल्प बढ़ गया था। जब बाजार में मैगी थी तो आम तौर पर ग्राहक विकल्पों की तरफ देखते नहीं थे।

मैगी की वापसी में बड़ी भूमिका अमेरिका की जनसंपर्क कंपनी एपको की मानी जा रही है। एपको से पहले जनसंपर्क का काम नेसले के लिए एपिक देखता था। एपको वही कंपनी है जिसने नरेन्द्र मोदी की 2002 के साम्प्रदायिक दंगों वाली छवि में सुधार लाकर उन्हें विकास पुरुष के तौर पर स्थापित करने में मदद की। बताया जा रहा है कि मैगी को मुसीबत से निकालने के लिए एपको ने श्रीलंका से अपनी कर्मचारी शिवानी हेगड़े को विशेष तौर से इस काम के लिए भारत बुलाया।

ताजा खबर यह है कि मैगी के सभी छह प्रकार के 90 नमूनों में लेड सुरक्षित मात्रा में पाया गया। तीन प्रयोगशालाओं में मैगी ने सभी परीक्षाएं पास कर ली है। मुम्बई उच्च न्यायालय ने मैगी के पक्ष में अपनी बात कही है। अब कर्नाटक और गुजरात की सरकार ने उसके बाद मैगी से प्रतिबंध हटाने का निर्णय ले लिया है।

मैगी की वापसी का हमें स्वागत करना चाहिए लेकिन उत्पाद की गुणवत्ता से किसी तरह के समझौते के लिए हमें तैयार नहीं होना चाहिए। मैगी को बाजार में लाने में एपको की भूमिका को लेकर कई तरह के सवाल सोशल मीडिया में उठ रहे हैं। यह बात भी आई कि मैगी क्या बाजार में उस उत्पाद को भी ला सकता है जो पुराने स्टॉक का है और किसी कारण वश जिसे अब तक नष्ट नहीं किया गया।

भारत में गुणवत्ता नियंत्रण रखने वाली संस्थाओं को खाद्य सामग्रियों के नमूनों की नियमित जांच करानी चाहिए। इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि नमूना किसी एक जगह से बार बार इकट्ठा किया गया ना हो। उन्हें नमूना अलग अलग जगहों से इकट्ठा करना चाहिए।

यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि यदि कोई कंपनी खाने पीने की सामग्री में मिलावट करती हुई या ग्राहकों के सेहत से खिलवाड़ करती हुई पाई जाती है तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाई होगी। जब एक कंपनी पर प्रतिबंध लगता है और छह महीने बाद वह बाजार में इस तरह उतर आती है जैसे कुछ हुआ नहीं था फिर समाज के बीच एक गलत संदेश जाता है। जब कंपनी के पीछे एक बहुराष्ट्रीय जनसंपर्क की कंपनी हो तो यह संदेह और गहरा हो जाता है।

अब नूडल्स को लेकर भारत में उपभोक्ता के पास विकल्प है। जरूरत है कि वह सोच समझ कर खरीददारी करे क्योंकि हम सब जानते हैं सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।

(लेखक इंडिया फाउंडेशन फॉर रुरल डेवलपमेन्ट स्टडीज से सम्बद्ध हैं)

Tags: ApcoBaba RamdevMagginoodlesPatanjali NoodlesshelvesWaiWaiआशीष कुमार ‘अंशु’एपकोग्राहकपतंजलि नूडल्सबाबा रामदेवमैगीवाईवाई
Previous Post

मानवाधिकार उल्लंघन और पत्रकारिता

Next Post

जयपुर साहित्य उत्सव: मीडिया में बिकता है, एंटरटेनमेन्ट, एंटरटेनमेन्ट, एंटरटेनमेन्ट

Next Post
जयपुर साहित्य उत्सव: मीडिया में बिकता है, एंटरटेनमेन्ट, एंटरटेनमेन्ट, एंटरटेनमेन्ट

जयपुर साहित्य उत्सव: मीडिया में बिकता है, एंटरटेनमेन्ट, एंटरटेनमेन्ट, एंटरटेनमेन्ट

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

No Result
View All Result

Recent News

The Age of Fractured Truth

July 3, 2022

Growing Trend of Loss of Public Trust in Journalism

July 3, 2022

How to Curb Misleading Advertising?

June 22, 2022

SCAN NOW FOR DONATIONS

NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India

यह वेबसाइट एक सामूहिक, स्वयंसेवी पहल है जिसका उद्देश्य छात्रों और प्रोफेशनलों को पत्रकारिता, संचार माध्यमों तथा सामयिक विषयों से सम्बंधित उच्चस्तरीय पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाना है. हमारा कंटेंट पत्रकारीय लेखन के शिल्प और सूचना के मूल्यांकन हेतु बौद्धिक कौशल के विकास पर केन्द्रित रहेगा. हमारा प्रयास यह भी है कि डिजिटल क्रान्ति के परिप्रेक्ष्य में मीडिया और संचार से सम्बंधित समकालीन मुद्दों पर समालोचनात्मक विचार की सर्जना की जाय.

Popular Post

हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता

समाचार: सिद्धांत और अवधारणा – समाचार लेखन के सिद्धांत

टेलीविज़न पत्रकारिता

समाचार, सिद्धांत और अवधारणा: समाचार क्‍या है?

समाचार : अवधारणा और मूल्य

Rural Reporting

Recent Post

The Age of Fractured Truth

Growing Trend of Loss of Public Trust in Journalism

How to Curb Misleading Advertising?

Camera Circus Blows Up Diplomatic Row: Why channels should not be held responsible as well?

The Art of Editing: Enhancing Quality of the Content

Certificate Course on Data Storytelling

  • About
  • Editorial Board
  • Contact Us

© 2022 News Writers. All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal

© 2022 News Writers. All Rights Reserved.