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खबर के गुलदस्ते में शब्दों के फूल

खबर के गुलदस्ते में शब्दों के फूल

डॉ. महर उद्दीन खां।

माली जिस प्रकार गुलदस्ते का आकर्षक बनाने के लिए सुंदर-सुंदर फूलों का चयन करता है उसी प्रकार पत्रकार को भी अपनी खबर के गुलदस्ते को आकर्षक बनाने के लिए सुंदर, संक्षिप्त और सरल शब्दों का चयन करना चाहिए। भारी भरकम शब्दों के प्रयोग से खबर बोझिल हो जाती है और फिर वह गुलदस्ता न रह कर कचरा पेटी बन जाती है। उदाहरण स्वरुप अगर फायर ब्रिगेड या अग्निशमन दल के स्थान पर दमकल लिखा जाए तो ठीक रहेगा। आज अखबारों में कलम से लिखने का चलन समाप्त हो रहा है। अधिकांश पत्रकार कम्प्यूटर पर सीधे लिखते हैं। इस लिए यह भी आवश्‍यक है कि ऐसे शब्दों का चयन किया जाए जिन में कम की दबानी पड़ें। इस के लिए आवष्यक आवश्‍यक ऐसे पर्यायवाची शब्दों की एक सूची बना लें जिन में कम की दबानी पड़ें। उदाहरण के लिए हम जनपद के स्थान पर जिला ,न्यायाधीश के स्थान पर जज, समाचार पत्र के स्थान पर अखबार गिरफ्तार के स्थान पर अरेस्ट या बंदी और समाचार के स्थान पर खबर लिखेंगे तो कम की दबानी पड़ेंगी। इस प्रकार हम अगर एक खबर में सौ पचास कम की दबाएंगे तो समय की बचत तो होगी ही साथ ही खबर के लिए स्पेस भी अधिक मिल जाएगा। भारी भरकम शब्दों के स्थान पर छोटे शब्दों यानि फूलों से सजा हमारा खबर रुपी गुलदस्ता अधिक सुंदर होगा।

कई शब्द एक जैसे दिखते हैं मगर होते अलग अलग हैं। कार्रवाई और कार्यवाही में कई लोग घपला कर देते हैं। कई कार्रवाई हर बात के लिए लिखते हैं तो कई कार्यवाही जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। कार्रवार्द उर्दू का शब्द है जिस का अर्थ होता है एक्षन जैसे पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई (एक्षन) नहीं की है। इस के विपरीत कार्यवाही हिंदी का शब्द है जिस का अर्थ होता है प्रोसीडिंग्स जैसे ससंद की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित हो गई। इसी प्रकार आशंका और संभावना में भी घपला हो जाता है। ये दोनों शब्द भविष्‍य के बारे में बताते हैं । आशंका में प्रभाव अशुभ का संकेत है तो संभावना में शुभ का संकेत होता है। जैसे बाढ़ की आशंका को देखते हुए गांव खाली करा लिया गया है जब कि संभावना में कह सकते हैं कि आज बारिश होने की संभावना है। अगर भारी बारिश की बात है तो आशंका भी कह सकते हैं। ऐसा ही उर्वरक और उपजाऊ के साथ होता है जैसे बाढ़ के बाद भूमि उर्वरक हो जाती है यह गलत है भूमि उपजाऊ होना सही है। उर्वरक खाद को कहते हैं जैसे रसायनिक उर्वरक या देसी उर्वरक।

ध्यान रहे हम खबर लिख रहे हैं कोई साहित्य नहीं इस लिए खबर में हिंदी के साथ उर्दू और अंग्रेजी के प्रचलित आसान शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है इस से गुलदस्ते की सुंदरता में इजाफा ही होगा। इस के लिए आवश्‍यक है कि दूसरी भाषा का जो शब्द प्रयोग करें वह सही होना चाहिए। अंग्रजी में मुहम्मद के लिए संक्षेप में एमओएचडी लिख देते हैं इस की देखा देखी हिंदी में भी मोहम्मद लिख देते हैं जो गुलदस्ते की शोभा नष्‍ट कर देता है। सही शब्द मुहम्मद है। इसी प्रकार मोहल्ला या मोहब्बत सही नहीं हैं सही शब्द मुहल्ला और मुहब्बत हैं। नया नए और नयी को ले कर भी कभी कभी विवाद पैदा किया जाता है दलील यह दी जाती है कि जब नया है तो इस का स्त्रीलिंग नयी और बहुबचन नये होना चाहिए। असल में नया शब्द उर्दू का है । उर्दू में नई और नए लिखा जाता है न कि नयी और नये। इस लिए बहस में न जा कर नई और नए ही लिखा जाना चाहिए।

अपने को हिंदी का विशेषज्ञ दिखाने के लिए हम उन शब्दों का प्रयोग करते हैं जो आम बोलचाल में नहीं होते। जैसे गांव को सभी गांव बोलते हैं ग्राम प्रायः नहीं बोला जाता इसी प्रकार खबर में जिले को जनपद और तहसील को उपखंड लिख देते हैं जो कि आम बोलचाल में नहीं होते।

गुलदस्ते में सजावट के लिए जिस प्रकार माली उस में हरी पत्तियां भी लगाता है उसी प्रकार खबर को सजाने अर्थात रोचक बनाने के लिए उस में प्रचलित लोकोक्तियो और मुहावरों का प्रयोग भी संदर्भ के अनुसार किया जा सकता है।

डॉ. महर उद्दीन खां लम्बे समय तक नवभारत टाइम्स से जुड़े रहे और इसमें उनका कॉलम बहुत लोकप्रिय था. हिंदी जर्नलिज्म में वे एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं संपर्क : 09312076949 email- maheruddin.khan@gmail.com

Tags: decorationDr. Mahar Uddin KhanNavbharat Timesnewsखबरगुलदस्तेडॉ. महर उद्दीन खांनवभारत टाइम्सहिंदी जर्नलिज्म
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