अमित कुमार।
फोटोग्राफ (छायाचित्र) वर्षों से पत्रकारिता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहे हैं। समाचार पत्रों से लेकर ऑनलाइन न्यूज़ वेबसाइटों तक में छायाचित्रों (फोटोग्राफों) का प्रयोग न केवल प्रमुखता से किया जाता है बल्कि फोटोग्राफों के बिना इन माध्यमों की कल्पना भी मुश्किल है। हम सभी इस बात से अवगत हैं कि पत्रकारिता के इतिहास में छायाचित्रों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण और निर्णायक रही है। वियतनाम युद्ध से लेकर अफ्रीका के अकाल तक, फोटोग्राफों ने वह कार्य कर दिखाया है जो सैंकड़ों लेख एवं रिपोर्ट भी मिल कर नहीं कर सकते। प्रायः यह कहा जाता है कि एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होता है लेकिन एक विशेष छायाचित्र सैकड़ों रिपोर्टों से भी अधिक प्रभावशाली हो सकता है। फोटोग्राफों का प्रयोग प्रिंट और ऑनलाइन माध्यम के अतिरिक्त टेलीविज़न पर भी होता रहा है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि फोटोग्राफी पत्रकारिता के तीनों प्रमुख माध्यमों के लिए अत्यंत आवश्यक एवं उपयोगी है।
फोटोग्राफी एक कला है। फोटोग्राफर का सौन्दर्यबोध, विषय की समझ, उसकी रचनात्मकता एवं फोटोग्राफी की तकनीकों के उचित मिश्रण से अच्छी फोटोग्राफी की जा सकती है। एक प्रोफेशनल अथवा सेमी-प्रोफेशनल कैमरे में ऐसी कई सुविधाएँ मौजूद रहती हैं जिनका रचनात्मक उपयोग एक पेशेवर फोटोग्राफर बखूबी करता है। इन्हीं विशेषताओं के कारण प्रोफेशनल कैमरे सामान्य कैमरों से भिन्न एवं बेहतर होते हैं। अच्छी पेशेवर फोटोग्राफी के लिए इन तकनीकों की समझ अत्यंत आवश्यक है. आजकल हर पत्रकार से यह उम्मीद की जाती है कि वह कई गुणों से युक्त (मल्टी टास्किंग) हो। ऐसे में पत्रकारिता के छात्रों के लिए पेशेवर फोटोग्राफी का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है।
पेशेवर डिजिटल कैमरों की संरचना एवं कार्यप्रणाली
फोटोग्रफी की तकनीक को समझाने के लिए सबसे पहले पेशेवर डिजिटल कैमरों की संरचना एवं कार्यप्रणाली की सामान्य समझ अत्यंत आवश्यक है। हम सभी इस बात से अवगत हैं कि डिजिटल कैमरों ने अब पुराने फिल्म आधारित कैमरों की जगह ले ली है। सामान्यतः कैमरे के चार प्रमुख भाग होते हैं:
- लेंस
- शटर : यह एक द्वार पर लगे फाटक की तरह होता है जो शटर बटन के दबाने से खुलता है. इसके खुलने पर ही प्रकाश की किरणें इमेज सेंसर तक पहुँच पाती हैं। शटर को कितनी देर तक खोलना है, यह फोटोग्राफर तय कर सकता है।
- इमेज सेंसर (सी.सी.डी. अथवा सी.एम.ओ.एस.) : पहले फिल्म आधारित कैमरों में इनके स्थान पर फिल्म लगती थी लेकिन डिजिटल कैमरों में इमेज सेंसर होते हैं। प्रतिबिम्ब का निर्माण प्रकाशीय संकेतों के रूप में इन्हीं पर होता है और ये इन प्रकाशीय संकेतों को इलेक्ट्रॉनिक संकेतों में परिवर्तित कर देते हैं। इमेज सेंसर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं :
- सी.सी.डी. (चार्ज कपल्ड डिवाइस )
- सी.एम.ओ.एस. (कॉम्प्लिमेंटरी मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर)
- कैमरे की मेमोरी (जहां खींचे गए फोटोग्राफ जमा होते हैं)
इस रेखाचित्र में कैमरे की सामान्य संरचना एवं कार्य प्रणाली को दिखाया गया है। फोटोग्राफी की प्रक्रिया के निम्नलिखित चरण हैं :
प्रकाश की किरणें ऑब्जेक्ट (जिसका फोटो लेना है) से परावर्तित हो कर लेंस पर आती हैं।
- लेंस से होते हुए ये किरणें शटर तक पहुँचती हैं।
- शटर बटन (वह बटन जिससे फोटो खींचते हैं ) को दबाते ही शटर ऊपर की ओर उठ जाता है और प्रकाश की किरणें इमेज सेंसर पर पहुंचती हैं।
- इमेज सेंसर पर प्रतिबिम्ब का निर्माण होता है। यह सेंसर इन प्रतिबिम्बों को इलेक्ट्रॉनिक संकेतों (सिग्नल) में परिवर्तित कर इसे कैमरे की मेमोरी में भेज देता है।
- कैमरे की मेमोरी में संचित इन फोटोग्राफों को हम देख सकते हैं, उनका प्रिंट ले सकते हैं अथवा उन्हें संपादन हेतु फोटो एडिटिंग (सम्पादन) सॉफ्टवेयर में ले जा सकते हैं।
कैमरे की कार्यप्रणाली की सामान्य जानकारी के उपरांत अब हम उन कारकों की चर्चा करेंगे जो फोटोग्राफी को मुख्यरूप से प्रभावित करते हैं. इन कारकों की जानकारी एवं इनका रचनात्मक उपयोग फोटोग्राफरों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।. ये निम्नलिखित हैं :
- अपर्चर
- शटर स्पीड
- लेंस
- कम्पोजीशन (संयोजन)
- लाइट
अगले आलेख में हम फोटोग्राफी में अपर्चर की भूमिका एवं उसके रचनात्मक उपयोग की चर्चा उदाहरण सहित करेंगे।
अमित कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर, पत्रकारिता एवं नवीन मीडिया अध्ययन विद्यापीठ, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली