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फोटोग्राफी में ऐपर्चर की भूमिका

फोटोग्राफी में ऐपर्चर की भूमिका

अमित कुमार & पूनम गौड़ |

ऐपर्चर लेंस में स्थित वह दरवाजा / छिद्र है जिससे होकर प्रकाश की किरणें कैमरे के अन्दर प्रवेश करती हैं. इस दरवाजे / छिद्र के आकार को फोटोग्राफर अपनी आवश्यकता के अनुसार परिवर्तित कर सकता है. ऐपर्चर फोटोग्राफी में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

ऐपर्चर का आकार : ऐपर्चर का आकार f – नंबर से बताया जाता है. उदाहरण : f/2.8 , f/5.6, f/10 आदि. यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि बड़े f-नंबर ऐपर्चर के छोटे आकार के लिए इस्तेमाल होते हैं. जैसे – जैसे f-नंबर की संख्या बढ़ती जाती है वैसे-वैसे ऐपर्चर का आकार घटता जाता है. उदाहरण के लिए f/22 की तुलना में f/8 का ऐपर्चर बड़े आकार का होगा. नीचे दिए गए रेखाचित्र (चित्र संख्या : 2) से इसे आसानी से समझा जा सकता है.

ऐपर्चर और एक्सपोजर के बीच सम्बन्ध : ऐपर्चर और एक्सपोजर के सम्बन्ध को समझने से पहले एक्सपोजर को समझना आवश्यक है. एक्सपोजर प्रकाश की वह मात्रा है जो फोटोग्राफी की प्रक्रिया के दौरान कैमरे के अन्दर प्रवेश करती है एवं प्रतिबिम्ब के निर्माण में सहायक होती है. यदि किसी फोटोग्राफ में आवश्यकता से कम प्रकाश होता है तो उसे अंडर एक्सपोजर और यदि आवश्यकता से अधिक प्रकाश होता है तो उसे ओवर एक्सपोजर कहते हैं.

एक्सपोजर, ऐपर्चर पर भी निर्भर होता है. ऐपर्चर का आकार बढ़ने के साथ ही एक्सपोजर भी बढ़ता जाता है और घटने के साथ घटता भी जाता है. यह स्वाभाविक ही है क्योंकि ऐपर्चर लेंस में स्थित वह दरवाजा है जिससे प्रकाश कैमरे के अन्दर प्रवेश करता है. अतः द्वार जितना बड़ा होगा प्रकाश की उतनी ही अधिक मात्रा अन्दर प्रवेश करेगी और परिणामस्वरूप एक्सपोजर भी अधिक होगा.

ऐपर्चर के आकार में वृद्धि → एक्सपोजर में वृद्धि

ऐपर्चर के आकार में कमी → एक्सपोजर में कमी

चित्र संख्या-3, 4 और 5 में ऐपर्चर का आकार क्रमशः f/5.6, f/10 और f/16 है. इन तीनों चित्रों में हम देख सकते हैं कि जैसे-जैसे ऐपर्चर का आकार कम हो रहा है रहा है वैसे – वैसे एक्सपोजर की मात्रा भी कम रही है. चित्र -3 में एक्सपोज़र सबसे अधिक है और चित्र -5 में सबसे कम. यहाँ एक बार फिर यह दुहरा देना आवश्यक है कि बड़े f-नंबर ऐपर्चर के छोटे आकार के लिए इस्तेमाल होते हैं. जैसे–जैसे f-नंबर की संख्या बढ़ती जाती है वैसे-वैसे ऐपर्चर का आकार घटता जाता है.

ऐपर्चर एवं डेप्थ ऑफ़ फील्ड में सम्बन्ध : डेप्थ ऑफ़ फील्ड किसी भी फोटोग्राफ के स्पष्ट हिस्से की आभासी गहराई है. जब हम किसी फोटोग्राफ को देखते हैं तो उसका एक हिस्सा स्पष्ट दिखाई पड़ता है उस स्पष्ट हिस्से के सबसे अगले भाग से सबसे पिछले भाग की गहराई ही डेप्थ ऑफ़ फील्ड कहलाती है.

ऐपर्चर का आकर डेप्थ ऑफ़ फील्ड को प्रभावित करता है. ऐपर्चर का आकार बढ़ने से डेप्थ ऑफ़ फील्ड में कमी आती है.

ऐपर्चर के आकार में वृद्धि → डेप्थ ऑफ़ फील्ड में कमी

ऐपर्चर के आकार में कमी  → डेप्थ ऑफ़ फील्ड में वृद्धि

चित्र संख्या 6 में ऐपर्चर का आकर f/5.6 है और चित्र संख्या 7 में f/18 . दोनों चित्रों की यदि तुलना करें तो चित्र – 6 का डेप्थ ऑफ़ फील्ड स्पष्ट रूप से चित्र -7 से काफी कम है अतः यह स्पष्ट है कि जैसे-जैसे ऐपर्चर का आकार कम होता है, डेप्थ ऑफ़ फील्ड बढ़ता जाता है.

अगले आलेख में हम शटर स्पीड और ऐपर्चर के साथ उसके संबंधों पर चर्चा करेंगे .

अमित कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया स्टडीज, इंदिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU), नई दिल्ली.

पूनम गौड़, असिस्टेंट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन, नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, गौतम बुद्ध नगर.

 

Tags: Broadcast JournalismCinemaCorporate JournalismEconomic JournalismEnglish MediaFacebookHindi MediaInternet JournalismJournalisnNew MediaNews HeadlineNews writersOnline JournalismPRPrint JournalismPrint NewsPublic RelationSenior Journalistsocial mediaSocio-PoliticalSports JournalismtranslationTV JournalistTV NewsTwitterWeb Journalismweb newsyellow-journalismअंग्रेजी मीडियाआर्थिक पत्रकारिताइंटरनेट जर्नलिज्मकॉर्पोरेट पत्रकारिताखेल पत्रकारिताजन संपर्कटीवी मीडियाट्रांसलेशनट्विटरन्यू मीडियान्यूज राइटर्सन्यूजहेडलाइनपत्रकारपब्लिक रिलेशनपीआरपीत पत्रकारिताप्रिंट मीडियाफेसबुक वेब न्यूजवेब मीडियासामाजिक-राजनीतिक आधारसीनियर जर्नलिस्टसोशल माडियास्पोर्ट्स जर्नलिज्महिन्दी मीडिया
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Comments 2

  1. shishir singh says:
    8 years ago

    great information

    Reply
  2. विनोद सावंत says:
    8 years ago

    अच्छा लेख है … जिसे फोटग्राफी का शौक उसे यह लेख जरुर पढ़ना चाहिये।

    Reply

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