About
Editorial Board
Contact Us
Friday, June 2, 2023
NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India
No Result
View All Result
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal
No Result
View All Result
NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India
Home Communication

जनसंपर्क का भविष्य व चुनौतियां

जनसंपर्क का भविष्य व चुनौतियां

देवाशीष प्रसून।

इंटरनेट और मोबाइल जैसे नए माध्यमों को प्रादुर्भाव और इसके इस्तेमाल में हुई बढ़ोतरी के बाद जनसंपर्क का भविष्य भी ज़्यादा से ज़्यादा तकनीकोन्नमुख हो गया है। हमेशा से ज़रूरत यह रही है कि इस माध्यम के द्वारा जनसंपर्क के लिए भेजे जाने वाले लाखों ई-मेल संदेशों में विश्वसनीयता बने। आगामी वर्षों में जनसंपर्क के और अधिक तकनीकी हो जाने की संभावना है और इससे जनसंपर्क अभियानों की विश्वसनीयता पर संदेह बढ़ता जाना स्वभाविक है।

आने वाले वक्त में जनसंपर्क के लिए सूचनाओं के संप्रेषण से ज़्यादा ज़रूरी यह मुद्दा होगा कि उन संप्रेषित सूचनाओं की विश्वसनीयता कैसे बनी रहे। इसके लिए सतत् मौखिक संवाद (word-of-mouth) अवश्यंभावी है। मौखिक संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रयोग ग्लेक्सो स्मिथ क्लाइन (Glaxo Smith Kline) ने किया था। इस प्रयोग में कंपनी के कर्मचारियों को अमेरिका के उपभोक्ताओं द्वारा पूछे जाने वाले मूल्य एवं सुरक्षा संबंधी कठिन प्रश्नों के उत्तर देने के लिए प्रशिक्षित किया गया और इसके बाद उनसे ब्रांड एम्बेस्डर की तरह काम लिया जाने लगा। ब्रांड एम्बेसडर अपने संस्था के हक में चुनिंदा लोगों तक सूचनाओं को संप्रेषित करते और ये चुनिंदा लोग यदि प्राप्त सूचनाओं से प्रभावित होते तो इनका आगे संप्रेषण करते हुए एक सूचना-प्रवाह बनने देते। भविष्य में उम्मीद है कि जनसंपर्क अभियान के लिए कर्मचारियों को इस तरह के प्रशिक्षण ज़रूरी हो जाएंगे। जनसंपर्क का यह मॉडल काट्ज़ एवं लेज़र्सफ़ेल्ड के संचार का द्विचरणीय प्रवाह के सिद्धांत(1955) का अनुगामी है।

जनसंपर्क के उपकरणों में विज्ञापन के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है, परंतु विज्ञापण के बरअक्स प्रचार में विश्वसनीयता अधिक है। विज्ञापन आकर्षक होने के बावज़ूद कम विश्वसनीय इसलिए है, क्योंकि जनता यह जानती है कि विज्ञापन संस्था के द्वारा प्रायोजित है और इस कारण से संस्था जो चाहे विज्ञापन के द्वारा संप्रेषित कर सकती है। इसके विपरीत प्रचार के ज़रिए जब पत्रकारों, लेखकों के माध्यमों से जब छवि का निर्माण होता है, तो यह माना जाता है कि संपादकीय और समाचारों में पत्रकारों अथवा संपादकों की आंखों देखी बातें या मौलिक विचार होते हैं, जिस कारण से इस तरह की सूचनाओं की विश्वसनीयता श्रोताओं के बीच अधिक होती है।

प्रचार की प्रक्रिया में संपादकीय और समाचारों को संस्था के हित में सूचनाएं संप्रेषित करने के लिए प्रभावित किया जाता है। संचार माध्यम ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि उनकी आय का मुख्य स्रोत विज्ञापन हैं, जो उन्हें विभिन्न संस्थाओं से प्राप्त होती है। लाभ के समीकरणों को ध्यान में रखकर संचार माध्यम विज्ञापनदाता संस्थाओं का विज्ञापन के इतर भी प्रचार करते हैं। और तो और, अब तो एडवरटोरियल की परंपरा भी शुरु हो गई है। भले ही, इससे श्रोता को धोखे में रखकर भी संस्था की विश्वसनीयता बढ़ती हो।

आगामी वर्षों में जनसंपर्क के भविष्य की उपरोक्त संभावनाओं के साथ-साथ कुछ और ऐसी संभावनाएं हैं, जिनका बिंदुवार उल्लेख है —

  • ज्यादातर जनसंपर्क एजेंसियां अपने आप को आउटसोर्स्ड एजेंसी के रूप में काम करती हैं। भविष्य में एजेंसी और ग्राहक के बीच और अधिक सहयोगात्मक संबंध रहेगा और दोनों मिलकर अपनी निपुणता समृद्ध करते हुए काम करेंगे।
  • जनसंपर्क में मेल-जोल का बहुत महत्व है। जनसंपर्क एजेंसियां अपने ग्राहकों से मेल-जोल को और घनिष्ठ बनाने की कोशिश करेंगी। आगे जनसंपर्क के क्षेत्र में सामाजिक मेल-जोल का महत्व और विशेष होते जाएगा।
  • जैसा कि कहा जा चुका है कि वेब 2.0, ऑनलाइन सोशल नेटवर्किंग और वाट्सएप आदि का भरपूर उपयोग होगा और माइक्रो-ब्लॉगिंग और चैटिंग के जरिए जनसंपर्क उच्च तकनीकी स्वरूप को धारण करेगा।
  • अभी यह होता है कि जनसंपर्क में सूचनाओं का प्रसारण (broadcast) किया जाता है, परंतु आगे चलकर सूचनाएं किसी खास विषयों के विशेषीकृत लक्ष्य के लिए संप्रेषित (narrowcasting) की जाएंगी। गोया कि युवाओं, वृद्धों, नौकरीपेशा, व्यापारी, विद्यार्थियों वगैरह-वगैरह अलग वर्गों को ध्यान में रखकर अलग-अलग विशेषीकृत जनसंपर्क की व्यवस्था की जाएगी।

जनसंपर्क की चुनौतियां
एक सफल जनसंपर्क के लिए आगामी वर्षों में निम्नलिखित चुनौतियां हो सकती हैं —

  • गुमराह करने वाली सूचनाएं — जनसंपर्क में जनता तक सही सूचनाओं का संप्रेषण ही जनसंपर्क की व्यवस्था को विश्वसनीयता प्रदान करता है। क्षणिक लाभ के लिए गुमराह करने वाली सूचनाओं को संचरण करना एक आम व्यवहार है। सही जनसंपर्क के माहौल के लिए यह एक चुनौती हो सकती है।
  • प्रबंधन का प्रभाव — प्रबंधन कर्मचारियों और जनसंपर्ककर्मियों के बीच अच्छा सहयोगात्मक संबंध बने रहना भी एक चुनौती है। इसके अभाव में सफल जनसंपर्क असंभव है। प्रबंधन जनसंपर्क पर बीस साबित हुआ करते हैं, जबकि ऐसा होना यह चाहिए कि दोनों के कार्यों में एक समन्वयन स्थापित रहे।
  • घटिया उत्पादों का प्रचार — यह कितना अनैतिक होगा कि जनसंपर्क के लोग यह जान-बूझ कर अपने ग्राहकों (जनसंपर्क एजेंसी के संदर्भ में) या अपनी ही कंपनी के उन उत्पादों का प्रचार (promotion) करें जिन्हें वह खुद ही घटिया मानते हों! असुरक्षित या निम्न गुणवत्ता वाले या उन उत्पादों को प्रमोट करने से बचना भी एक सफल जनसंपर्क के लिए चुनौती है।
  • भेदभाव — जनसंपर्क के अंतर्गत सूचनाओं को संप्रेषित करते हुए धर्म, जाति, रंग, शारीरिक, असामर्थता, यौनिक झुकाव (sexual orientation), उम्र, नस्ल और लिंग आदि किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। सूचनाओं की संरचना इस चुनौती के साथ ही बननी चाहिए कि उनमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं हो।
  • विनाश — विकास के जिस प्रतिरूप (model) को आदर्श मानकर आज उसे प्राप्त करने के मार्ग का अनुसरण किया जा रहा है, वह प्राकृतिक संतुलन को ध्यान में नहीं रखता है। इस संदर्भ में सरकारी अथवा व्यापारिक संस्थाओं का रवैया निराशाजनक है। तो स्पष्ट है कि इन संस्थाओं के जनसंपर्क विभागों को अपने संस्थाओं के छवि निर्माण के लिए किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता होगा। साथ ही यह कितना नैतिक है?
  • राजनीतिक प्रभाव — पैसे और पहुंच के बल पर राजनीतिक प्रभाव हासिल करके अपने उत्पादों या संस्था का छवि निर्माण करना कितना सही है। बाज़ार में जब गला काट प्रतियोगिता हो और नैतिकता एक बेकार का बोझ बन जाए तो ऐसे व्यवहार से बचना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

निष्कर्ष
यह स्पष्ट दिखता है कि आगामी वर्षों का बाज़ार तकनीकों पर पूरी तरह निर्भर होगा। आर्थिक सुदृढ़ता के लिए गला काट प्रतियोगिता के और भीषण रूप ले लेने की संभावना प्रबल है। ऐसी स्थिति में जनसंपर्क में सूचनाओं के संप्रेषण से ज़्यादा उसके विश्वसनीयता महत्वपूर्ण होने की संभावना है और यह विश्वसनीयता बनाए रखना ही इसकी चुनौतियां हैं।

देवाशीष प्रसून अहा ज़िंदगी, दैनिक भास्कर समूह में सहायक संपादक हैं
दूरभाष: 09555053370 ई-मेल: prasoonjee@gmail.com

Tags: Broadcast JournalismCorporate JournalismDevashish PrasoonEconomic JournalismEnglish MediaFacebookHindi MediaInternet JournalismJournalisnNew MediaNews HeadlineNews writersOnline JournalismPRPrint JournalismPrint NewsPublic Relationpublic relationsSenior Journalistsocial mediaSports JournalismtranslationTV JournalistTV NewsTwitterWeb Journalismweb newsअंग्रेजी मीडियाआर्थिक पत्रकारिताइंटरनेट जर्नलिज्मकॉर्पोरेट पत्रकारिताखेल पत्रकारिताजन संपर्कजनसंपर्कटीवी मीडियाट्रांसलेशनट्विटरदेवाशीष प्रसूनन्यू मीडियान्यूज राइटर्सन्यूड हेडलाइनपत्रकारपब्लिक रिलेशनपीआरप्रिंट मीडियाफेसबुकवेब न्यूजवेब मीडियासीनियर जर्नलिस्टसोशल माडियास्पोर्ट्स जर्नलिज्महिन्दी मीडिया
Previous Post

ट्विटर पर जरा संभलकर

Next Post

पत्रकारीय लेखन के प्रकार : तथ्य से विचार तक

Next Post
पत्रकारीय लेखन के प्रकार : तथ्य से विचार तक

पत्रकारीय लेखन के प्रकार : तथ्य से विचार तक

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

No Result
View All Result

Recent News

Lebanese Digital Platform ‘Daraj’

June 1, 2023

How AI-generated images are complicating efforts to combat disinformation

May 30, 2023

Environmental Journalism:  Are we all climate reporters now?

May 30, 2023

SCAN NOW FOR DONATIONS

NewsWriters.in – पत्रकारिता-जनसंचार | Hindi Journalism India

यह वेबसाइट एक सामूहिक, स्वयंसेवी पहल है जिसका उद्देश्य छात्रों और प्रोफेशनलों को पत्रकारिता, संचार माध्यमों तथा सामयिक विषयों से सम्बंधित उच्चस्तरीय पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाना है. हमारा कंटेंट पत्रकारीय लेखन के शिल्प और सूचना के मूल्यांकन हेतु बौद्धिक कौशल के विकास पर केन्द्रित रहेगा. हमारा प्रयास यह भी है कि डिजिटल क्रान्ति के परिप्रेक्ष्य में मीडिया और संचार से सम्बंधित समकालीन मुद्दों पर समालोचनात्मक विचार की सर्जना की जाय.

Popular Post

हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता

टेलीविज़न पत्रकारिता

समाचार: सिद्धांत और अवधारणा – समाचार लेखन के सिद्धांत

Evolution of PR in India and its present status

आदिवासी क्षेत्र की समस्याएं और मीडिया

संचार मॉडल: अरस्तू का सिद्धांत

Recent Post

Lebanese Digital Platform ‘Daraj’

How AI-generated images are complicating efforts to combat disinformation

Environmental Journalism:  Are we all climate reporters now?

Artificial Intelligence: The Trending Magic in Media

Tips for Journalism Students- 10 Ways to Earn While You Learn

FICCI M & E Report: Indian Media and Entertainment Industry on Rise

  • About
  • Editorial Board
  • Contact Us

© 2022 News Writers. All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Journalism
    • Print Journalism
    • Multimedia / Digital Journalism
    • Radio and Television Journalism
  • Communication
    • Communication: Concepts and Process
    • International Communication
    • Development Communication
  • Contemporary Issues
    • Communication and Media
    • Political and Economic Issues
    • Global Politics
  • Open Forum
  • Students Forum
  • Training Programmes
    • Journalism
    • Multimedia and Content Development
    • Social Media
    • Digital Marketing
    • Workshops
  • Research Journal

© 2022 News Writers. All Rights Reserved.