टीवी जर्नलिज्म : जरूरत से ज्यादा तथ्य या सूचनाएं मत भरिए
आलोक वर्मा। एक अच्छी स्क्रिप्ट वही है जो तस्वीरों के साथ तालमेल बनाकर रखे। आपको ये बात तो पता ही ...
आलोक वर्मा। एक अच्छी स्क्रिप्ट वही है जो तस्वीरों के साथ तालमेल बनाकर रखे। आपको ये बात तो पता ही ...
सुरेश नौटियाल। कई साल पहले, ब्रिटिश उच्चायोग के प्रेस एवं संपर्क विभाग ने नई दिल्ली में “भाषाई पत्रकारिता: वर्तमान स्वरूप ...
संजय कुमार। हालांकि, इलैक्टोनिक मीडिया में आम बोलचाल की भाषा को अपनाया जाता है। इसके पीछे तर्क साफ है कि ...
सुरेश नौटियाल। किसी भी भाषा को जीवंत बनाए रखने के लिये उसमें नए-नए प्रयोग होते रहने चाहिए। उसमें नये-नये शब्द ...
कुमार मुकुल। धूमिल ने लिखा है - भाषा की बधिया वक्त के सामने बैठ जाती है। इधर हिन्दी के लेखक, ...
अतुल सिन्हा। करीब डेढ़ दशक पहले जब टेलीविज़न न्यूज़ चैनल्स की शुरुआत हुई तो इसकी भाषा को लेकर काफी बहस ...
सुशील यती। हिंदी ‘पॉपुलर’ सिनेमा मुख्य तौर पर ‘नरेटीव’ सिनेमा है, जिसमे कहानी महत्वपूर्ण होती है। दूसरे शब्दों में कहे ...
यह वेबसाइट एक सामूहिक, स्वयंसेवी पहल है जिसका उद्देश्य छात्रों और प्रोफेशनलों को पत्रकारिता, संचार माध्यमों तथा सामयिक विषयों से सम्बंधित उच्चस्तरीय पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाना है. हमारा कंटेंट पत्रकारीय लेखन के शिल्प और सूचना के मूल्यांकन हेतु बौद्धिक कौशल के विकास पर केन्द्रित रहेगा. हमारा प्रयास यह भी है कि डिजिटल क्रान्ति के परिप्रेक्ष्य में मीडिया और संचार से सम्बंधित समकालीन मुद्दों पर समालोचनात्मक विचार की सर्जना की जाय.
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