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Home Communication

ऑडिशन : मैं न्यूज कहां तलाशूं?

आलोक वर्मा।

ऐसा माना जाता है कि बच्चों और नौजवानों पर जितना असर उनकी आसपास की घटनाओं, स्कूल कालेजों या धार्मिक बातों का होता है, इससे भी कहीं ज्यादा असर उन पर टेलीविजन का होता है। इसलिए अगर आप टेलीविजन की दुनिया में आते हैं तो यूं समझ लीजिए कि आप बदलाव लाने वाले लोगों की जमात में शामिल हो रहे हैं। आप टलीविजन जगत का हिस्सा बनने के बाद ये महसूस करके खुश हो सकते हैं कि आप अपनी ऊर्जा, प्रतिभा और प्रशिक्षण का इस्तेमाल किसी मामूली चीज में नहीं बल्कि दुनिया ये बदलाव लाने के लिए कर रहे हैं।

दुनिया में ऐसी लाखों समस्याएं है जिन पर ध्यान दिए जाने की सख्त जरूरत है। सोच कर देखिए – हर ढाई सेकंड पर दुनिया में कोई एक बच्चा भूख या बीमारी से मर जाता है और ऐसा तब है जब अकेले अमेरिका में ही कुल खाने का 25 प्रतिशत खाना कूड़े-कचरे के हवाले कर दिया जाता है (यू एस डी ए रिपोर्ट) कूड़े में फेंके जा रहे इस खाने का सिर्फ 5 प्रतिशत हिस्सा ही पूरी दुनिया में रोजाना चालीस लाख बच्चों का पेट भर सकता है।

आप सोच रहें होंगे कि मैं आपकों ये आंकड़े बता कर आखिर बताना क्या चाह रहा हूं मैं आपको ये बताना चाह रहा हूं कि तथ्यों का विश्लेषण करके नए-नए स्टोरी आइडियाज किस तरह से तलाशें जो सकते हैं। स्टोरी आइडिया तलाशने के बाद सूचनाओं और इंटरव्यू के आधार पर आप न्यूज स्टोरी बना सकते हैं। स्टोरी करने के लिए नए-नए स्टोरी आइडियाज तलाश पाना बेहद जरूरी है (किसी भी न्यूज चैनल में हर संवाददाता से लगभग रोजाना ही नए स्टोरी आइडियाज पूछे जाते हैं।)

स्टोरी आइडियाज ढूंढने के इक्कीस तरीके
1. अपने अंदर न्यूज स्टोरी ढूंढऩे के लिए एक रुझान पैदा कीजिए, याद रखिए कि आपको अपने आस-पास कभी भी कही भी कुछ भी ऐसा मिल सकता है जिसे आप न्यूज स्टोरी में तब्दील कर सकते हैं, इसलिए हर वक्त दिमाग को सजग और चौकना रखें।

2. हर न्यूज स्टोरी से जुड़ी हुई फॉलो-अप स्टोरी होती ही है। ये फॉलो-अप स्टोरी मूल स्टोरी के अगले दिन भी हो सकती है और अगले महीने भी। ऐसी स्टोरीज की फॉलो-अप स्टोरीज का ध्यान रखे।

3. अखबार जरूर पढ़े। अखबारों में छोटी बड़ी खबरों के अलावा नोटिस, विज्ञापन और प्रचार पंक्तियां तक पढ़े। आपको कही से भी कुछ भी मिल सकता है।

4. दूसरी चीजे भी पढ़े- मसलन जर्नल्स, मैग्जींस। लेखकों की लिखी किताबें भी पढ़े। पता नहीं कब कहां क्या काम आ जाए।

5. जब कभी किसी सेमिनार, वर्कशॉप, मीटिंग, प्रेस कांफ्रेंस या बोर्ड मीटिंग को कवर करने जाए तो वहां दी गई हर चीज को ध्यान से पढ़े। कुछ नियमित सूचना पुस्तिकाओं की भी अनदेखी न करे। आप कही भी कोई स्टोरी पा सकते हैं।

6. विज्ञापनों पर भी ध्यान दें।

7. आप जिस समय विशेष (बीट) को कवर करते हैं उससे जुड़े लोगों और जगहों के लगातार संपर्क में रहें। रात को बातचीत जरूर करें।

8. अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग लोगों से मिले। नई खबरे, नई सूचनाएं पाने के लिए आपका नए और नए लोगों में जाना जरूरी है।

9. अपने शहर, प्रांत और देश के नक़्शे की मुकम्मल जानकारी रखें।

10. अपनी जरूरत के फोन नंबरों को तलाशने के लिए हर बार टेलीफोन डायरेक्ट्री न देखें। नंबरों को एक फोन बुक में दर्ज करते जाए और जरूरत पडऩे पर वही से नंबर देखे। कोई दूसरा नाम या नंबर अचानक आपको कोई आइडिया दे सकता है।

11. मुमकिन है कि लाख ढूंढऩे पर भी कभी कोई आइडिया न मिल पाए तब? ऐसे में अपनी ही की गई सबसे ताजा न्यूज स्टोरी को दोबारा पढ़े सोचे कि शायद कोई चीज उसमे छूट गई हो।

12. बड़ी घटनाओं या दुर्घटनाओं के एक साल या कई साल पूरे होने की तिथियों को कैलेंडर में मार्क करके रखें, मार्क देखकर आप ये अंदाज लगा सकते है कि उस घटना या दुर्घटना की एनीवर्सरी तक राहत या मदद कार्य किस रफ्तार से चल रहा है, यहां भी आपको स्टोरी मिल सकती है।

13. कई बार अपनी ही किसी स्टोरी का फोकस बदलने से एक नयी स्टोरी नजर आने लगती है। ऐसा करके भी देखें।

14. स्टोरी अपनी ही की गई स्टोरी के आयाम बदलकर कर देखे अगर आपने बड़ी गहराई में जाकर बारीक बातों पर स्टोरी की है तो जरा बड़े आयामों पर गौर करें और अगर स्टोरी ऊपरी ढंग से की थी तो जरा बारीक बातों पर नजर डालकर नई स्टोरी करने की सोंचे।

15. छुट्टी के दिन अक्सर बड़ी घटनाएं कम होती है। छुट्टियों के दिनों के लिए साफ्ट स्टोरीज या कुछ और पहले से सोच कर रखे। आपका एडीटर आपसे बहुत खुश होगा।

16. कई बार प्रांत देश या विश्व स्तर पर होने वाली कोई घटना स्थानीय स्तर पर भी प्रभाव छोड़ती है। ऐसी बड़ी स्टोरीज को देखकर उनकी स्थानीय स्टोरी सोचे।

17. जिन लोगों से आप खबरें लेते रहते है, उनके सतत संपर्क में रहे। बीच-बीच में फोन करके पूछते रहे कि कोई खबर तो नही।

18. अपने विजिटिंग कार्ड्स लोगों को बांटने में संकोच न करें। कार्ड्स जरूर बांटें। पता नहीं कब कहां से कौन व्यक्ति आपको कोई खबर दे…दे।

19. क्लासीफाइड़ विज्ञापन पढ़ें। कई बार अटपटी चीजें भी स्टोरी आइडियाज दें जाती है।

20. घर परिवार और दोस्तों से बातचीत में भी स्टोरी ढूंढ़ते रहिए। उनकी बातों में आप सिर्फ अपनी स्टोरी ढूंढ़े, वे नाराज हो तो होते रहें।

21. किसी का भी इंटरव्यू खत्म करने के बाद ये जरूर पूछ ले-कुछ और नई ताजी? क्या पता उसके पास बताने को कुछ ऐसा बच गया हो जो आपके उस इंटरव्यू का हिस्सा न हो पर आपको एक नई स्टोरी जरूर दे जाता हो।

अच्छी स्टोरीज कैसे ढूंढ़े ?
1. सबसे पहले वो विषयक्षेत्र चुने जिससे संबंधित स्टोरीज आप करना चाहते हैं (पत्रकारिता जगत में इसे बीट कहते हैं, मसलन राजनीति बीट पर काम करने वाला चुनाव को कवर करेगा और क्राइम बीट को कवर करने वाला किसी हत्या के मामले को।) आप अपनी बीट का चुनाव ध्यान से करें। जो लोग उस बीट पर काम कर रहे हैं उनसे बातचीत करके उस बीट की कमिया और खूबियां जानें।

2. आप जो बीट चुनते है उस बीट के मुख्य आधार को समझने की कोशिश करें। क्या आपकी निजी रूचि इन तस्वीरों में आपको नजर आती है? इससे आपको उस बीट को चुनने या न चुनने का निर्णय करने में आसानी होगी।

3. ये सोचिए कि वा कौन से मुद्दे हैं जो आपको गहराई तक प्रभावित करते हैं। अब ये सोचने की कोशिश करिए कि ये मुद्दे आपकी चुनी गई बीट में कहां और किस तरह मौजूद हैं। आपकी रूचि आपको अपनी बीट में नई स्टोरीज ढूंढने में मदद करेगी।

4. आपको ये पता होना चहिए कि आपकी बीट में ऐसे कौन से मुद्दे या सवाल आते हैं जो आपको अंदर तक हिला जाता हैं। पुलित्जर पुरस्कार विजेता पत्रकार बी स्टीवर्ट ने अपनी किताब ‘फॉलो द स्टोरी’ में लिखा है- ”मुझे ये बात पता चली है कि अगर किसी स्टोरी या सवाल का सामना कर पाने में खुद मैं अंदर तक हिल जाऊं तो इसका सीधा मतलब यही है कि मैं एक अच्छी स्टोरी पर हूं। किसी अखबार को पढऩे वाले लोग अखबार खरीदने के लिए पैसे इसीलिए खर्च करते हैं ताकि वहां उन्हें उन सवालों के जवाब मिल सकें जिन्हे पूछते वहे खुद घबराते हैं।” मतलब साफ है कि अगर स्टोरी करते वक्त कोई चीज आपको परेशान कर रही है तो इसको एक अच्छी स्टोरी बनने की निशानी ही समझा जाना चाहिए।

स्टोरी का सफर-घटनास्थल से दफ्तर तक
1. आप अपनी स्टोरी के लिए जिसका इंटरव्यू करने वाले है उससे खुलकर अपनी स्टोरी पर बात करें। उसे ये साफ-साफ बता दे कि आप इंटरव्यू में तमाम सीधे-सादे सवाल पूछेंगे पर आपकी पूरी स्टोरी उन सब बातों पर आधारित होगी जो आप खुद वहां देखेंगे।

2. एक सधे हुए जासूस की तरह घटनास्थल का मुआयना कीजिए। आंख, कान और नाक खुले रखिए। हर बात को ध्यान से सुनिए और हर चीज को उतने ही ध्यान से देखिए। वहां मौजूद हर चीज को इतनी गहराई से अनुभव कीजिए कि आप दर्शकों तक वहां की सच्ची तस्वीर पहुंचा सकें।

3. जिस जगह आप अपनी स्टोरी करने जाए उस जगह के कागजी दस्तावेज (जो भी आपको दिए जाएं) और बाकी निशानियां अपने साथ ले आएं। स्टोरी बनाते वक्‍त अक्सर ये चीजें काम में आ जाती है।

4. इंटरव्यू के बाद जब आपका कैमरामैन ‘विजुअल्स’ ले रहा हो तो उस वक्त आप इंटरव्यू के मुख्य बिंदुओं और बाकी सूचनाओं को अपनी नोटबुक में दर्ज कर लें।

5. जब आप वापस दफ्तर पहुंचे तो सब कुछ एक तरफ रखकर सबसे पहले ये सोंचे कि आप जो स्टोरी पहले से सोचकर गए थे और वो स्टोरी जो आप दरअसल में करके लाए हैं- उन दोनों में कोई फर्क आया है या नहीं। अगर फर्क आया है तो ये जानने की कोशिश करें कि वहां ऐसा नया क्या था जिसने आपकी योजनाबद्ध स्टोरी के ढांचे को बदल दिया। ये तत्व अब आपकी स्टोरी का एक खास तत्व होगा।

6. फाइनल स्टोरी लिखते वक्त कोशिश करें कि जो जैसे हुआ है वो वैसे ही कहा जाए।

7. अपनी स्टोरी पर विजुअल्स लगाते समय बिल्कुल किसी फिल्मकार की तरह एक्‍शन और इमोशन पर खास ध्यान दें। जो विजुअल्स आप लगा रहे हैं उनमें दर्शको को जोड़ सकने की क्षमता होनी चाहिए। एक कामयाब टीवी न्यूज स्टोरी वही है जिसके विजुअल्स दर्शकों को बांध लें।

स्टोरी के बाहर भी है स्टोरी आइडियाज
इस बात को समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि किसी न्यूज एजेंसी द्वारा फाइल की गई एक रिपोर्ट कुछ इस तरह से है-

”वृस्पतिवार को एयरटेल द्वारा सत्रह साल से कम उम्र वालों को मोबाइल फोन कार्ड न बेचने की घोषणा के बाद अब आईडिया ने भी अगले सोमचार से इसी नीति को अपनाने की घोषणा की दी है।”

ये राष्ट्रीय स्तर की एक ऐसी स्टोरी है जिससे नौजवान उपभोक्ताओं पर गंभीर असर पड़ सकता है। ये असर पूरे देश में महसूस किया जा सकेगा। इस स्टोरी के आधार पर अब हम आपको कुछ ऐसी स्टोरीज के बारे में बताते हैं जिन्हे पूरे देश में कभी भी कहीं भी किया जा सकता है। ये स्टोरी आइडियाज सभी छोटे-बड़े टीवी न्यूज चैनलों द्वारा अपनाए जा सकते हैं-

व्यापार संबंधित स्टोरी आइडियाज
1. नौजवानों में मोबाइल फोन का इस्तेमाल बड़ी तेजी से बढ़ा है और मोबाइल कंपनियों के ग्राहको में एक बड़ी संख्या इन नौजवानों की है। ऐसे में मोबाइल कंपनियों के इस निर्णय से दोनों कंपनियो के राजस्व पर कितना और किस तरह का असर पड़ेगा।

2. इस निर्णय पर मोबाइल कैश कार्ड बेचने वाले रिटेल दुकानदारों की क्या प्रतिक्रिया है?

3. लोकल एंगल- आप कालेजों में जाकर विद्यार्थियों से इस विषय पर बातचीत कर सकते हैं। सच द्वारा नौजवानों को मोबाइल कैश-कार्ड बिक्री पर प्रतिबंध लगाने या मोबाइल कंपनियों द्वारा खुद ये बिक्री बंद करने के फैसले पर नौजवानो की राय।

4. ये मोबाइल कैश-कार्ड अक्सर खिलौने, तोहफे और इलैक्ट्रानिक सामान बेचने वाले दुकानदार भी रखते हैं। कार्ड लेने आए नौजवान साथ में अक्सर ये चीजे भी खरीद लेते हैं। इन दुकानदारों से बातचीत करके ये जानने की कोशिश की जा सकती है कि इस प्रतिबंध से उनकी बकी बिक्री पर क्या असर पड़ा है।

कुछ और स्टोरी आइडियाज
1. आप घरों में जाकर अभिभावकों से पूछ सकते हैं कि नौजवानों को कैश-कार्ड न बेचे जाने के फैसले पर वे क्या सोचते हैं।

2. आप उनसे ये भी पूछें कि क्या ये प्रतिबंध लगाए जाने के कारण मोबाइल फोन की मांग घट जाएगी? साथ में ये भी पूछें कि क्या उन पर कोई फर्क पड़ता हैं।

3. आप ये स्टोरी भी कर सकते हैं कि मोबाइल फोन से इतने ज्यादा इस्तेमाल से नौजवानों के आचरण पर क्या मनौवैज्ञानिक प्रभाव पड़ रहे हैं?

4. आप नौजवानों से भी इस विषय में बातचीत कर सकते हैं कि क्या मोबाइल फोन उनके आचरण पर कोई मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते है?

आखिर में एक तोहफा-कुछ फ्री स्टोरी आइडियाज
उम्मीद है कि आप अब तक स्टोरी आइडियाज को अच्छी तरह से समझ गए होंगे। तो कोशिश कीजिए कि आज से ही नए-नए स्टोरी आइडियाज आपको मिलने लगें।

हो सकता है कि स्टोरी आइडियाज ढूंढ़ पाने की इस जद्दोजहद में आपकी कुछ वक्त लगे इसलिए तब तक हम आपको कुछ स्टोरी आइडियाज देते हैं। ये स्टोरी आइडियाज किसी स्टोरी विशेष के न होकर कुछ इस तरह के है जो कभी भी पुराने नहीं पडऩे वाले। इस तरह के स्टोरी आइडियाज को आप कभी भी एक न्यूज स्टोरी में बदल सकते हैं।

तो फिर देर किस बात की। एक स्टोरी आइडिया चुनिए और टीवी न्यूज की दुनिया में रख दीजिए

पहला कदम-
1. स्कूलों में होमवर्क को लेकर दी जाने वाली सजाएं।
2. क्या ड्रग्ज को कानूनन इजाजत दे देनी चाहिए ?
3. क्या शराब बनाने वाली कंपनिया भी तंबाकू कंपनियों के रास्ते पर है ?
4. स्कूलों और लाइब्रेरियों में इंटरनेट।
5. दमें का बढ़ता असर। शहरों में बच्चे भी दमे की चपेट में आ रहे हैं ?
6. सार्वजनिक स्थानों पर भाषण देने पर पाबंदी।
7. माता-पिता के बीच हुए तलाक का बच्चों पर असर।
8. ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते मामले।
9. स्कूली बच्चियों में बढ़ता खुला यौन आचरण।
10. होने वाले बच्चे की देखभाल कैसे करें।
11. इंटरनेट के कमाल।
12. जेलों में बंद बाल अपराधियेां की दशा।
13. अद्भुत उपलब्धियों वाले बच्चे।
14. ऐसे वृद्धों की कहानियां जो खुद को अपराधियों का शिकार नहीं होने देने पर दृढ़।

साभार : आलोक वर्मा की प्रकाशनाधीन पुस्तक “टेलीविजन पत्रकार कैसे बने!”

आलोक वर्मा के पत्रकारिता जीवन में पन्द्रह साल अखबारेां में गुजरे हैं और इस दौरान वो देश के नामी अंग्रेजी अखबारों जैसे कि अमृत बाजार पत्रिका, न्यूज टाइम, लोकमत टाइम्स, और आनंद बाजार पत्रिका के ही विजनूस वर्ल्‍ड के साथ तमाम जिम्मेदारियां निभाते रहे है और इनमे संपादक की जिम्मेदारी भी शामिल रही है। बाद के दिनों में वो टेलीविजन पत्रकारिता में आ गए। उन्होंने 1995 में भारत के पहले प्राइवेट न्यूज संगठन जी न्यूज में एडीटर के तौर पर काम करना शुरू किया। वो उन चंद टीवी पत्रकारों में शामिल है जिन्होने चौबीस घंटे के पूरे न्यूज चैनल को बाकायदा लांच करवाया। आलोक के संपादन काल के दौरान 1998 में ही जी न्यूज चौबीस घंटे के न्यूज चैनल में बदला। जी न्यूज के न्यूज और करेंट अफेयर्स प्रोग्राम्स के एडीटर के तौर पर उन्होंने 2000 से भी ज्यादा घंटो की प्रोग्रामिंग प्रोडूसर की। आलोक वर्मा ने बाद में स्टार टीवी के पी सी टीवी पोर्टल और इंटरएक्टिव टीवी क्षेत्रों में भी न्यूज और करेंट अफेयर्स के एडीटर के तौर पर काम किया। स्टार इंटरएक्टिव के डीटीएच प्रोजेक्ट के तहत उन्होंने न्यूज और करेंट अफेयर्स के बारह नए चैनलो के लिए कार्यक्रमों के कान्सेप्युलाइजेशन और एप्लीकेशन से लेकर संपादकीय नीति निर्धारण तक का कामो का प्रबंध किया। आलोक वर्मा ने लंदन के स्काई बी और ओपेन टीवी नेटवक्र्स के साथ भी काम किया है। अखबारों के साथ अपने जुड़ाव के पंद्रह वर्षों में उन्होंने हजारों आर्टिकल, एडीटोरियल और रिपोर्ट्स लिखी हैं। मीडिया पर उनका एक कालम अब भी देश के पंद्रह से अधिक राष्ट्रीय और प्रदेशीय अखबारों में छप रहा है। आलोक वर्मा इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय, माखनलाल चर्तुवेदी विश्वविद्यालय और गुरु जेवेश्वर विश्व विद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर जुड़े हुए हैं। फिलहाल वो मीडिया फॉर कम्यूनिटी फाउंडेशन संस्था के डायरेक्टर और मैनेजिंग एडीटर के तौर पर काम कर रहे हैं। ये संगठन मीडिया और बाकी सूचना संसाधनों के जरिए विभिन्न वर्गों के आर्थिक-सामाजिक विकास हेतु उनकी संचार योग्यताओं को और बेहतर बनाने का प्रयास करता है। वे अभी Newzstreet Media Group www.newzstreet.tv and www.nyoooz.com and www.i-radiolive.com का संचालन कर रहे हैं।

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