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विज्ञान के किसी भी विषय पर पुस्तक लिखिए- पेड़-पौधों, कीट-पतंगों, पशु-पक्षियों, धरती और आकाश के बारे में

विज्ञान के किसी भी विषय पर पुस्तक लिखिए- पेड़-पौधों, कीट-पतंगों, पशु-पक्षियों, धरती और आकाश के बारे में

देवेंद्र मेवाड़ी।

आप विज्ञान लेखक बनेंगे तो देखिए लिखने के लिए कितनी संभावनाएं हैं। अच्छा लिखने के लिए लगातार लिखते रहना जरूरी है। आपके भीतर अगर लिखने का ऐसा जुनून है और उसे आप बनाए रखते हैं तो आप जरूर सफल होंगे और एक दिन सफल विज्ञान लेखक बनेंगे

कॉमिक्सः बच्चों और किशोरों को विज्ञान की जानकारी देने का एक प्रभावशाली तरीका ‘विज्ञान कॉमिक्स’ है लेकिन दुर्भाग्य से हिंदी में अभी यह महज कल्पना ही है। विज्ञान कथा को चित्रों और संवादों के माध्यम से ‘कॉमिक्स’ में बड़े रोचक रूप में दिया जा सकता है। लेकिन, बाजार में जो कॉमिक्स मिल रहे हैं वे दैत्यों, राक्षसों, अंतरिक्ष के दुर्दांत लुटेरों, हत्यारों, सत्ता लोलुपों और अविश्वसनीय तथा तर्कहीन बातों पर आधारित हैं। इनसे बच्चों व किशोरों के मन में छद्म विज्ञान का झूठ घर कर लेता है। इसलिए विज्ञान लेखकों को इस विधा में गंभीरता पूर्वक लिखना चाहिए। इसमें विज्ञान कथा लेखकों और विज्ञान-कथा चित्रकारों के लिए बहुत संभावनाएं हैं। कुछ भारतीय भाषाओं में इस प्रकार के प्रयोग किए गए हैं। विज्ञान कथाओं के अतिरिक्त वैज्ञानिकों की जीवनियों और रोचक वैज्ञानिक तथ्यों पर भी कॉमिक्स तैयार किए जा सकते हैं।

मौलिक पुस्तकें- आप विज्ञान लेखक बनना चाहते हैं तो हमारा सुझाव है कि अपनी रूचि के वैज्ञानिक विषयों पर लोकप्रिय विज्ञान की पुस्तकें लिखने की योजना जरूर बनाइए। पुस्तकों का स्थाई महत्व होता है और वे वर्षों तक पढ़ी जाती हैं। पुस्तक रोचक, आकर्षक और पठनीय होने पर बार-बार पढ़ी जाती है। अपने आसपास आप देखते होंगे कि लोगों को विज्ञान की कितनी कम जानकारी है। इसीलिए अंधविश्वास और वहम पनपते हैं क्योंकि लोग सच को नहीं जानते। इसलिए विज्ञान के किसी भी विषय पर पुस्तक लिखिए- पेड़-पौधें, कीट-पतंगों, पशु-पक्षियों के बारे में। स्वयं अपने बारे में। धरती और आकाश के बारे में। आसपास के विज्ञान को विषय बनाइए। वैज्ञानिक खोजों, आविष्कारों पर लिखिए। रोगों के बारे में चिकित्सकों के साथ मिल कर या भेंट करके लिखिए। लिखना शुरू करेगे तो लगेगा-कितना कुछ है लिखने के लिए।

प्रिंट मीडिया अर्थात् समाचार पत्र- पत्रिकाओं आदि के लिए उपर्युक्त विधाओं के अतिरिक्त आप वैज्ञानिक पुस्तकों की समीक्षाएं भी लिख सकते हैं। वैज्ञानिक लेखों औार विज्ञान कथाओं के अनुवाद कर सकते हैं। इससे आपका शब्द-सामर्थ्य तो बढ़ेगा ही, उन विषयों का ज्ञान भी बढ़ेगा। ये कार्य करके आपको क्या लाभ मिल रहा है- यह आगे चल कर स्वयं अनुभव होता है। आप समाचार पत्र -पत्रिकाओं के लिए किसी वैज्ञानिक विषय या मुद्दे पर विभिन्न लोगों के विचार लेकर परिचर्चा भी लिख सकते हैं।

रेडियो
आकाशवाणी अर्थात् रेडियो के कार्यक्रम करोड़ों लोगों द्वारा सुने जाते हैं। शहरों में टी वी देखने वाले लोग समझते हैं कि रेडियो की लोकप्रियता कम हो गई है, लेकिन ऐसी बात नहीं है। रेडियो की अपनी विशेषताएं हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि दूसरा काम करते हुए भी आप रेडियो सुन सकते हैं। रेडियो एक अभिन्न साथी की तरह आप से जैसे बातें करता रहता है। आकाशवाणी प्रसारण केन्द्र देश भर में फैले हुए हैं। राष्ट्रीय चैनल भी हैं। एफ एम चैनल आ जाने के बाद इस माध्यम का और भी विस्तार हुआ है।

अपने नजदीकी रेडियो स्टेशन से सम्पर्क करके आप कार्यक्रमों में अपना योगदान दे सकते हैं। आप वैज्ञानिक विषयों पर वार्त्ताएं दे सकते हैं, परिचर्चा आयोजित कर सकते हैं, भेंटवार्त्ता दे सकते हैं, विज्ञान संबंधी फीचर तैयार कर सकते हैं, विज्ञान कथाओं का पाठ कर सकते हैं, वैज्ञानिक विषयों पर फोन-इन तथा ब्रिज-इन कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं, यहां तक कि वैज्ञानिक जानकारी देने वाले व्यावयायिक प्रायोजित कार्यक्रम भी लिख सकते हैं। आप विभिन्न श्रोता वर्ग के लिए प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में भी लिख सकते हैं जैसे बच्चों के लिए, महिलाओं के लिए, किसानों के लिए, युवाओं के लिए।

रेडियो के लिए लिखते समय यह जरूर ध्यान में रखें कि आप ‘लिख’ नहीं ‘कह’ रहे हैं और ऐसे कह रहे हैं कि सुनने वाला अर्थात् श्रोता उसे आसानी से समझ सके। श्रोता अगर सुनने में रस ले रहा है तो समझिए रेडियो के लिए आप लिखने में सफल हो रहे हैं। रेडियो पर सारा खेल आवाज का है। उसी के उतार-चढ़ाव, उसी के प्रवाह में वैज्ञानिक जानकारी श्रोता को दी जाती है। ध्यान रहे, रेडियो के लिए छोटे वाक्यों में लिखिए तभी बोलने में रवानगी आएगी। लंबे और जटिल वाक्य साफ बता देते हैं कि वार्त्ता पढ़ी जा रही है। यह वार्त्ता दोष नहीं आना चाहिए। रेडियो के लिए झलकी या नाटक लिखते समय भी यह ध्यान रखना आवश्यक है कि वह तमाम ध्वनि प्रभावों के साथ सुना जा रहा है। श्रोता कुछ भी देख नहीं रहा है फिर भी नाटक का हर दृश्य उसे कानों से दिखाई दे रहा है। मतलब, उसे इस तरह लिखना चाहिए कि सुनते हुए मस्तिष्क में उसका चित्र बन जाए। यह चित्रात्मकता रेडियो के लिए लेखन की महत्वपूर्ण विशेषता है।

टेलीविजन
टेलीविजन आज बेहद लोकप्रिय माध्यम है और इसके दर्शकों की संख्या भी करोड़ों में है। नगरों व बड़े शहरों में इस माध्यम की पैठ बढ़ती जा रही है। दूरदर्शन के अलावा अब टेलीविजन पर अनेक चैनल प्रसारित हो रहे हैं। इसके विभिन्न केन्द्रों से नियमित रूप से कृषि व ग्रामीण कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। कई केन्द्र विज्ञान पर आधारित कार्यक्रम भी प्रसारित कर रहे हैं। इस माध्यम पर कृषि सहित विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी सरल-सहज भाषा और रोचक शैली में दी जा सकती है। विज्ञान लेखक इन विषयों पर बेहतर आलेख दे सकते हैं।

महत्वपूर्ण वैज्ञानिक घटनाओं के अवसर पर आप दर्शकों को प्रामाणिक जानकारी देने के लिए वैज्ञानिकों के इंटरव्यू (भेंटवार्त्ता) कर सकते हैं। पूर्ण सूर्यग्रहण अर्थात् खग्रास, सूर्य के गोले की पृष्ठभूमि में शुक्र ग्रह का पारगमन, मंगल ग्रह पर मानव निखमत अंतरिक्ष यानों के उतरने, शनि ग्रह के रहस्यलोक में कैसिनी यान की यात्रा, उपग्रह प्रक्षेपण, हृदय प्रतिरोपण, एड्स की कारगर औषधि का आविष्कार आदि ऐसी अनेक घटनाएं हैं जिन पर टेलीविजन विश्वसनीय जानकारी दे और दिखा सकता है। कृषि पर बेहद रोचक आउटडोर कार्यक्रम तैयार किए जा सकते हैं। वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में किए जा रहे अनुसंधान पर अच्छे कार्यक्रम लिखे और तैयार किए जा सकते हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों पर वृत्त चित्रों की पटकथाएं लिखी जा सकती हैं। स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम बेहद लोकप्रिय होते हैं। ऐसे धारावाहिक कार्यक्रमों के आलेख लिखे जा सकते हैं। विज्ञान कथाओं पर आधारित धारावाहिकों और फिल्मों की संभावना और आवश्यकता तो है ही। कहने का मतलब यह है कि इस माध्यम में भी लिखने की बहुत संभावनाएं हैं।

आडियो/वीडियो कैसेट/सी डी
रोचक और ज्ञानवर्द्धक विज्ञान कार्यक्रमों पर आडियो/वीडियो कैसेट तथा सी डी भी तैयार की जा सकती हैं। इनके लिए डॉक्यू -ड्रामा, झलकी, प्रहसन या नाटक की शैली में स्तरीय आलेख लिखे जा सकते हैं। विज्ञान धारावाहिक भी इस माध्यम में तैयार किए जा सकते हैं। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार) ने ‘मानव का विकास’ तथा ‘विज्ञान विधि’ धारावाहिकों के ऐसे कैसेट तैयार किए हैं।

फिल्म
वैज्ञानिक विषयों पर वृत्त चित्र बनाए जाते हैं। आप इनके लिए आलेख या पटकथा लिख सकते हैं। ऐसे वृत्त चित्र टेलीविजन के लिए भी काफी तैयार किए जाते हैं। फिल्म प्रभाग (भारत सरकार) तथा स्वतंत्र निर्माताओं द्वारा प्रति वर्ष बड़ी संख्या में वृत्तचित्र बनाए जाते हैं। कुछ वर्ष पूर्व आकाश में हेल-बाप्प धूमकेतु देखा गया था। धूमकेतुओं के बारे में वैज्ञानिक जानकारी देने के लिए ‘विज्ञान प्रसार’ (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार) द्वारा ‘धूमकेतु’ वृत्तचित्र तैयार कराया गया। इसकी पटकथा भारतीय पृष्ठभूमि में लिखी गई जिससे इसकी एक अलग पहचान बन सकी। ऐसे अनेक अवसर आ सकते हैं जब आप वृत्तचित्रों के लिए पटकथा लिख सकते हैं। हिंदी में विज्ञान कथाओं पर स्तरीय, तथ्यपरक और मनोरंजन फीचर फिल्मों का निर्माण तो अभी होना है। इसलिए इस दिशा में भी स्तरीय एवं ‘प्रॉफेशनल’ अर्थात् व्यावसायिक लेखन किया जाना चाहिए।

प्रदर्शनी
प्रदर्शनी के माध्यम से विज्ञान की जानकारी का प्रसार कम समय में प्रभावशाली तरीके से होता है। एक साथ बहुत बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शनी देखते हैं। आप जैसे विज्ञान लेखक को वैज्ञानिक विषयों पर प्रदर्शनी की संकल्पना करके आलेख लिखने का अच्छा अवसर मिल सकता है। कुछ वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण पर प्रदर्शनी के आयोजन का निश्चय किया था। तब ‘धरती, आकाश और हम’ थीम पर प्रदर्शनी आलेख लिखा गया। उसमें चित्रों, छायाचित्रों, माडलों, प्रकाश तथा ध्वनि प्रभावों से पर्यावरण के बारे में आम आदमी को जानकारी देने का प्रयास किया गया। यह प्रदर्शनी राज्य के अनेक शहरों के साथ ही दिल्ली में भी लगाई गई। ‘विज्ञान प्रसार’ द्वारा ‘विज्ञान रेल प्रदर्शनी’ लगाई गई है जो देश के विभिन्न राज्यों में विज्ञान जागरूकता फैला रही हैं यह प्रदर्शनी इतनी सफल रही है कि इसे बांग्लादेश तथा श्रीलंका भी भेजने का निर्णय लिया गया है।

प्रदर्शनियां गावों के स्तर से कस्बों, नगरों और महानगरों में लगती रहती हैं। जो विभाग और संस्थाएं वैज्ञानिक क्षेत्र से जुड़ी हैं उन्हें प्रभावशाली तरीके से प्रदर्शनी लगाने के लिए बेहतर आलेख दिए जा सकते हैं। प्रदर्शनी के लिए मूल आलेख के अलावा आप कैप्शन, कमेंट्री, पत्रक, पुस्तिकाएं, पोस्टर आदि कई प्रकार का लेखन कर सकते हैं।

कठपुतली
यह एक लोकप्रिय परंपरागत माध्यम है। वैज्ञानिक जागरूकता बढ़ाने के लिए इस माध्यम का प्रयोग भी किया जा सकता है। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एन सी एस टी सी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा इस माध्यम का उपयोग किया जा रहा है। कठपुतली शो के लिए रोचकता का होना बेहद जरूरी है क्योंकि लोग इसे मनोरंजन के लिए देखते हैं। इसलिए वैज्ञानिक जानकारी नाटक के ताने-बाने में बुन कर चुटीले संवादों और मनमोहक नृत्य आदि के साथ प्रस्तुत की जा सकती है। कठपुतली प्रदर्शन के लिए लिखते समय यह अच्छी तरह याद रहना चाहिए कि वैज्ञानिक जानकारी और मनोरंजन का मिश्रण इस तरह बनाया जाए कि दर्शक उसे सहज रूप में स्वीकार कर लें। अंधविश्वासों को दूर करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के मेले, प्रदर्शनियों में इस माध्यम का भरपूर उपयोग किया जा सकता है।

जादू प्रदर्शन
जादू सुनते ही लोग इसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं। यह भी परंपरागत माध्यम है। सामान्य वैज्ञानिक तथ्यों का सहारा लेकर आए दिन अनेक ढोंगी साधू, तांत्रिक और अन्य ‘चमत्कारी’ बाबा लोगों को बेवकूफ बना कर ठगते हैं। जादू के माध्यम से यह दिखाया जा सकता है कि जिसे लोग चमत्कार समझ रहे हैं वह सामान्य वैज्ञानिक तथ्य है। उसमें चमत्कार की कोई बात नहीं है। जादू के शो के लिए वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित आलेख लिखे जा सकते हैं जिन्हें जादू दिखाने वाला कलाकार मंजे हुए तरीके से साक्षात दिखा सकता है।

मौखिक माध्यम
विज्ञान लोकप्रियकरण का एक सशक्त माध्यम है- मौखिक बातचीत, व्याख्यान या भाषण। यहां आपको एक मजेदार बात बताता हूं। प्रसिद्ध वैज्ञानिक माइकेल फैराडे ने बच्चों को विज्ञान की जानकारी देने के लिए इस माध्यम का खूब प्रयोग किया। वे कहते थे- हमें बच्चों के लिए लोकप्रिय विज्ञान के व्याख्यान देने चाहिए ताकि वे विज्ञान को अच्छी तरह समझ-बूझ सकें। उन्होंने ऐसे व्याख्यानों की परंपरा प्र्रारंभ की और अपना पहला व्याख्यान ‘मोमबत्ती का रासायनिक इतिहास’ विषय पर दिया। वे जटिल वैज्ञानिक विषय पर सरस भाषण देते थे।

आप स्कूल, कालेजों या विज्ञान क्लबों में इस तरह के व्याख्यान देने के लिए आलेख तैयार कर सकते हैं। स्वयं के लिए भी और दूसरे वक्ता के लिए भी। इससे आपका वैज्ञानिक ज्ञान बढ़ेगा और वैज्ञानिक जानकारी को समझ कर कहने की आदत बनेगी।

अब अगर आपने निश्चय कर लिया है कि आप विज्ञान लेखक बनेंगे तो देखिए लिखने के लिए कितनी संभावनाएं हैं। अच्छा लिखने के लिए लगातार लिखते रहना जरूरी है। आपके भीतर अगर लिखने का ऐसा जुनून है, और उसे आप बनाए रखते हैं तो आप जरूर सफल होंगे और एक दिन सफल विज्ञान लेखक बनेंगे। (समाप्त: आपकी सफलता के लिए हमारी शुभकामनाएं)

देवेंद्र मेवाड़ी जाने-माने विज्ञान लेखक हैं. संपर्क : फोनः 28080602, 9818346064, E-mail: dmewari@yahoo.com

Tags: Devendra Mewarinaturewrite a bookWriting on Scienceआकाशकीट-पतंगेदेवेंद्र मेवाड़ीधरतीपशु-पक्षीपुस्तकपेड़-पौधेविज्ञान
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