Author: newswriters

देवाशीष प्रसून। पूंजी संकेन्द्रण की अंधी दौड़ में मीडिया की पक्षधरता आर्थिक और राजनीतिक लाभ हासिल करने में है। कभी-कभार वह जनपक्षीय अंतर्वस्तु का भी संचरण करता है, परंतु जनहित इनका उद्देश्य न होकर ऐसा करना केवल आमलोगों के बीच अपनी स्वीकार्यता बनाये रखने हेतु एक अनिवार्य अभ्यास है। मीडिया को ले कर इस तरह की बातें आम धारणाएँ हैं। इनके कारणों को बड़े गहराई से समझने की जरूरत है और यह पड़ताल करना जरूरी है कि आख़िर ऐसा है, तो है क्यों? यह आलेख इसी सवाल का जवाब खोजने की कोशिश कर रहा है। मीडिया का मतलब आमतौर पर…

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शैलेश और डॉ. ब्रजमोहन।इंसान आज चांद से होता हुआ मंगल पर कदम रखने की तैयारी कर रहा है और उसकी खोजी आंखे बिग बैंग (महाविस्‍फोट) में धरती के जन्‍म का रहस्‍य तलाश रही है। दरअसल इंसान को समय के पार पहुंचाया है, उसकी जिज्ञासा ने। सब कुछ जानने की इच्‍छा ही जिज्ञासा है। जिज्ञासा से मन में पैदा होते विचार और विचार जब कुछ करने को प्रेरित करता है, तो जन्‍म होता है घटनाओं का। घटनाएं प्रस्‍याशित, हों या अप्रत्‍याशित, आम लोगों की उसमें रूचि हो, तो वे बन जाती हैं, खबर। खबरें अलग-अलग माध्‍यमों से भले ही लोगों तक…

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सीमा भारती।इन दिनों टेलीविज़न पर प्रधानमंत्री के स्वच्छता मिशन से सम्बद्ध एक विज्ञापन दिखाया जा रहा है। इस विज्ञापन में “जहां सोच वहां शौचालय” के टैग लाइन के साथ शौचालय बनवाओ और इस्तेमाल करो की बात कही जाती है। संदेश देने वाली अभिनेत्री विद्या बालन है, जिसकी छवि एक खास फिल्म “इश्किया” के बाद अधिकार-चेतस ग्रामीण स्त्री की बनी। विद्या बालन की इसी छवि का इस्तेमाल विज्ञापन में किया गया है और जिनको वह संदेश देती है उन्हें घूँघट की पुरानी प्रथा पर यकीन करने वाले यानी स्त्री को ‘लाज या संरक्षा की वस्तु’ मानने वाले परिवार के रूप में…

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हर्षदेव।समाचार लेखन के लिए पत्रकारों को जो पांच आधारभूत तत्व बताए जाते हैं, उनमें सबसे पहला घटनास्थल से संबंधित है। घटनास्थल को इतनी प्रमुखता देने का कारण समाचार के प्रति पाठक या दर्शक का उससे निकट संबंध दर्शाना है। समाचार का संबंध जितना ही समीपी होता है, पाठक या दर्शक के लिए उसका महत्व उतना ही बढ़ जाता है। यदि न्यू यॉर्क या लंदन में रह रहे भारतीय प्रवासी को वहां के अखबार में अटलांटिक महासागर में चक्रवात की खबर मिलती है और उसी पृष्ठ पर उसे भारत में आंध्र प्रदेश तथा ओडिशा में भीषण तूफान की खबर दिखाई देती…

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   नीरज कुमार।हम विकास की राजनीति करते हैं। राजनीतिक पार्टियों में यह जुमला इन दिनों आम है। मई 2014 में लोकसभा चुनाव में विकास के मुद्दे के ईर्द-गिर्द लड़ागया। विकास का संबंध ऐसी अर्थव्यवस्था से है, जिसमें समाज के हर वर्ग को आर्थिक रूप से सशक्त होने का मौक़ा मिले। ऐसे में पत्रकारिता को समाज के आर्थिक पहलू से अलग करकेनहीं देखा जा सकता है। मौजूदा दौर में आर्थिक पत्रकारिता की अहमियत काफी बढ़ गई है। सरकार अवाम से किया वादा पूरा कर रही है या नहीं, यह जानने के लिए सरकार के आर्थिक फैसलों और कामकाज को कसौटी पर कसा…

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महेश शर्मा।देश की करीब सवा सौ करोड़ आबादी के लिए दो जून की रोटी जुटाने वाले ग्रामीण किसान की लाइफ स्‍टाइल आजादी के इतने वर्ष बाद भी हमारी मीडिया की विषय वस्‍तु नहीं बन सकी है। वास्‍तविकता यह है कि मीडिया से गांव दूर होते जा रहे हैं। परिणाम स्‍वरूप वहां बसने वाले गरीब और किसान की समस्‍याओं को लेकर संजीदगी नहीं दिखती। इसके पीछे मीडिया संस्‍थानों की बाजारू प्राथमिकताएं जिम्‍मेदार तो हैं ही, ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे शिक्षित प्रशिक्षित पत्रकारों का भी अभाव है, जो ग्राम्‍य जीवन की कठिनाइयों को बेहतर ढंग से समझ कर उठा सकें।ऐसे माहौल व…

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शशि झा।मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ कहा जाता रहा है। पर विडंबना यह है कि प्रिंट से लेकर इलैक्‍ट्रानिक तक कमोबेश इनके सभी अहम समूहों के मालिक बड़े पूंजीपति, उद्योगपति और बड़े बिजनेसमैन रहे हैं। कोढ़ मे खाज यह है कि पिछले कुछ वर्षों में चिट फंड, रियल एस्‍टेट से जुड़े धंधेबाजों ने मीडिया पर लगभग एकाधिकार ही कर लिया है। ऐसी सूरत में पत्रकारिता या लेख के टॉपिक की बात करें तो बिजनेस रिपोर्टिंग यानी कॉरपोरेट, फाईनेंशियल या कॉमर्स रिपोर्टिंग कितने प्रकार के दबाव से गुजरती होगी, इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल नहीं है। वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था लगातार अपनी…

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इरा झा।उग्रवाद प्रभावित इलाकों में रिपोर्टिंग के लिए संयम, कल्‍पनाशीलता, धैर्य, जी-तोड़ मेहनत और अटूट लगन की आवश्‍यकता होती है। इनमें सामान्‍य खबरों की तरह कुछ भी और कभी भी नहीं लिखा जा सकता। यह काम बेहद जोखिम भरा है, लिहाजा इस वास्‍ते सावधानी और तथ्‍यों तथा स्रोतों की लगभग मुकम्मिल पुष्टि जरूरी है। ऐसी खबरें पढ़ते हुए लोग संवाददाता की पीछे की मेहनत का अंदाजा नहीं लगा सकते।आम हिंसा की रिपोर्टिंग के लिए तो न्‍यूज एजेंसी, पुलिस और स्‍थानीय लोग हैं। उग्रवादी या विद्रोही संगठन से संबंधी रिपोर्टिंग में खास सावधानियां आवश्‍यक हैं। अपने नेता से मुलाकात का समय…

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