- People Around the World Want Political Change
- Eat Your AI Slop or China Wins
- Countries that lack power find a united voice
- Global press freedom suffers sharpest fall in 50 years
- Many Religious ‘Nones’ Around the World Hold Spiritual Beliefs
- Decline of American Power and the Rise of the East: Geopolitics, Technology, and the Future of World Order
- The Rise and Fall of Globalization
- The Rise of Global South
Author: newswriters
आशीष कुमार ‘अंशु’।भारतीय मीडिया का अर्थ नेपाल की नजर में वे सभी भारतीय खबरिया चैनल है, जो चौबीस घंटे सात दिन खबर देने का दावा करते हैं। इसमें अखबार और वेवसाइट शामिल नहीं है। इसलिए जब नेपाल में मीडिया के प्रति गुस्सा प्रकट करने की बात सामने आती है तो यही माना जाना चाहिए कि यह भारतीय इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रति जाहिर किया जाने वाला गुस्सा है। पिछले दिनों नेपाल से कुछ इलेक्ट्रानिक चैनलों को बंद किए जाने की भी खबर आई थी।धर्मनिरपेक्ष बना देश नेपाल इन दिनों अपने नए संविधान को बनाने में व्यस्त है। जब नया संविधान तैयार…
सुभाष धूलियापरंपरागत रूप से बताया जाता है कि समाचार उस समय ही पूर्ण कहा जा सकता है जब वह कौन, क्या, कब, कहां, क्यों, और कैसे सभी प्रश्नों या इनके उत्तर को लेकर लोगों की जिज्ञासा को संतुष्ट करता हो। हिंदी में इन्हें छह ककार के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी में इन्हें पांच ‘डब्ल्यू; हू, व्हाट, व्हेन, वहाइ वे तलाशना और पाठकों तक उसे उसके संपूर्ण अर्थ में पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती का कार्य है। यह एक जटिल प्रक्रिया है। पत्रकारिता और समाचारों को लेकर होने वाली हर बहस का केंद्र यही होता है कि इन छह प्रश्नों…
दिलीप मंडल पब्लिक रिलेशन वैसे तो पुरानी विधा है लेकिन आधुनिक कॉरपोरेट पब्लिक रिलेशन की शुरुआत 20वीं सदी के पहले दशक से हुई। पब्लिक रिलेशन का इतिहास लिखने वाले कई लोग आईवी ली को पब्लिक रिलेशन का जनक मानते हैं। कुछ इतिहास लेखक यह श्रेय एडवर्ड बर्नेस को देते हैं।आईवी ली ने अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में पत्रकार के तौर पर काम किया था। उसने न्यूयॉर्क अमेरिकन, न्यूयॉर्क टाइम्स और न्यूयॉर्क वर्ल्ड में पत्रकार के तौर पर काम किया और मुख्य रूप से आर्थिक और कारोबारी विषयों पर लिखा। वे खुद लिखते हैं कि कम तनख्वाह और देर तक…
महेंद्र नारायण सिंह यादव।मीडिया का काम सत्ता पर नजर रखना, उसकी मनमानी पर अंकुश लगाने की कोशिश करना, उसके गलत कार्यों को जनता के सामने लाना भी है। मानवाधिकार संरक्षण का वह महत्वपूर्ण कारक है। हालाँकि यह भी सही है कि मानवाधिकार खुद मीडिया के लिए भी जरूरी है। अगर मानवाधिकारों की स्थिति अच्छी नहीं है तो मीडिया को भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने में दिक्कत होती है। यद्यपि ऐसी परिस्थिति में मीडिया की असली परीक्षा होती है। ऐसी भी मिसालें अनेक हैं जिनमें जटिल परिस्थितियों में मानवाधिकारों के हनन के बीच नुकसान सहकर भी मीडिया ने अपना दायित्व…
डॉ0 सुमीत द्विवेदी…पी0एच0डी0‚ पत्रकारिता एवं जनसंचार सम्पादक‚ द जर्नलिस्ट – ए मीडिया रिसर्च जर्नल…खेल पत्रकारिता के लिए आवश्यक है कि एक खेल पत्रकार को खेल की अवधारणा‚ उसके सिद्धान्तों‚ सम्बन्धित खेल जिसकी वह रिपोर्टिंग या समीक्षा कर रहा है‚ उसके तकनीकी एवं अन्य विविध पक्षों की पूरी जानकारी हो। साथ ही साथ उसे खेलों के विकास एवं उसकी वर्तमान स्थिति की भी जानकारी होनी अति आवश्यक है। अतः इस अध्याय में इन बिन्दुओं पर ही प्रकाश डाला गया है।अवधारणा –”खेल सिर्फ एक शारीरिक गतिविधि नहीं है। जैसे योग में शरीर की उच्चतम् उपलब्धि पर आप आत्म-साक्षात्कार के सबसे पास होते हैं‚…
आशीष कुमार ‘अंशु’।चरखा डेवलपमेंट कम्यूनिकेशन नेटवर्क की ओर से 07 दिसम्बर को चरखा के 21वें स्थापना दिवस के अवसर पर दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर मे एकसंगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत किरण अग्रवाल, विजया घोष, तस्नीम अहमदी ने दीप प्रजवलित कर की।इस अवसर पर विकास के मुद्दों पर लिखने वाले लेखकों की सूची की एक डायरेक्टरी का विमोचन ऑल इंडिया रेडियो के रिटार्यड डायरेक्टर भास्कर घोष के हाथों किया गया। साथ ही अखबार और खबरिया चैनलों पर हासिए पर डाल दिए गए खबरों को सामने लाने के लिए लेह-लद्दाख की तीन लेखिका सेरिन डोलकर, स्पैलजेज वांगमो, डेचेन चोरोल…
शिखा शालिनी |एक दौर था जब देश में राजनीति और राजनीतिक व्यवस्था सबको नियंत्रित करती थी। लेकिन अब हालात कुछ और हैं अब राजनीति से ज्यादा अर्थव्यवस्था का बोलबाला है क्योंकि इससे सभी प्रभावित हो रहे हैं। यह बात दमदार तरीके से स्थापित हो रही है कि दुनिया के विकसित, विकासशील और अल्पविकसित देश विभिन्न देशों के साथ आर्थिक संबंधों को धार दिए बिना विकास की रफ़्तार को बढ़ा नहीं सकते या विकास की दौड़ में आगे नहीं जा सकते हैं। दुनिया के सबसे मजबूत लोकतंत्र अमेरिका की बात करें तो वह भी राजनीतिक रूप से इसलिए शक्तिशाली है क्योंकि…
दिलीप ख़ान |2010 में अमेरिका में गैलप वर्ल्ड रेलिजन सर्वे में दिलचस्प नतीजे सामने आए। सर्वे में अमेरिका के अलग-अलग प्रांतों के लोगों से धर्म और उनके अनुयाइयों के बारे में सवाल पूछे गए। 63 फ़ीसदी अमेरिकियों ने माना इस्लाम के बारे में उन्हें या तो ‘ज़रा भी जानकारी’ नहीं है या फिर ‘बिल्कुल कम’ जानकारी है। सर्वे के 43 फ़ीसदी हिस्सेदारों ने कहा कि मुस्लिमों के बारे में उनके भीतर पूर्वाग्रह है। (1)इस्लाम के बारे में कुछ नहीं जानने वाले तबके का बड़ा हिस्सा मुस्लिमों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित था। तो, ये पूर्वाग्रह फिर आया कहां से? आम…
विनीत उत्पल।सोशल मीडिया एक तरह से दुनिया के विभिन्न कोनों में बैठे उन लोगों से संवाद है जिनके पास इंटरनेट की सुविधा है। इसके जरिए ऐसा औजार पूरी दुनिया के लोगों के हाथ लगा है, जिसके जरिए वे न सिर्फ अपनी बातों को दुनिया के सामने रखते हैं, बल्कि वे दूसरी की बातों सहित दुनिया की तमाम घटनाओं से अवगत भी होते हैं। यहां तक कि सेल्फी सहित तमाम घटनाओं की तस्वीरें भी लोगों के साथ शेयर करते हैं। इतना ही नहीं, इसके जरिए यूजर हजारों हजार लोगों तक अपनी बात महज एक क्लिक की सहायता से पहुंचा सकता है।…
Subscribe to Updates
Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.