- People Around the World Want Political Change
- Eat Your AI Slop or China Wins
- Countries that lack power find a united voice
- Global press freedom suffers sharpest fall in 50 years
- Many Religious ‘Nones’ Around the World Hold Spiritual Beliefs
- Decline of American Power and the Rise of the East: Geopolitics, Technology, and the Future of World Order
- The Rise and Fall of Globalization
- The Rise of Global South
Author: newswriters
Dr. Pradeep MahapatraThe identity of ‘Citizen Journalism’ rely on a few factors in the emerging media landscape. First, the process of collection, processing and publication of news utilising online tools by common people named as citizen journalism. Second, apart from professional journalists, when a few individuals who keep track of newsworthy developments in the society they live in, regularly publish news stories and opinion posts in social media, blogs and news websites, the task belongs to the category of citizen journalism.Third, the practice of citizen journalism in digital platforms, specially in social media resulted in unprecedented popularity worldwide. The development…
Marina AdamiFive AI experts weigh in: Francesco Marconi, Madhumita Murgia, Charlie Beckett and two startup founders discuss the impact of generative AI on the news industrySince OpenAI’s AI-powered chatbot ChatGPT was launched back in November, journalists have been discussing its potential impact on the news industry.How many journalists will be replaced by the rise of generative artificial intelligence? How fast will this process take place? Which journalists will be most vulnerable to this kind of disruption? And should we see ChatGPT as a challenge or as an opportunity to solve some of the problems the news industry faces?As all of…
हर्ष रंजन, प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, पत्रकारिता और जनसंचार, शारदा विश्वविद्यालय, ग्रोटर नोएडा,टीवी न्यूज़ चैनलों की बढ़ती संख्या और लोकप्रियता ने, इसे आज के दौर का एक प्रमुख कैरियर विकल्प बना दिया है। हजा़रो की तादाद में युवा इस पेशे की ओर खिंचे चले आ रहे हैं। मन में, बस एक ही ख्वाब लिये, कि कैसे माईक पकड़कर वो भी टीवी स्क्रीन पर कुछ बोलते नज़र आयें। एक आम छात्र या युवा के मन में टीवी न्यूज़ से जुड़ने की कल्पना बस यहीं से शुरू होती है और शायद यहीं खत्म हो जाती है। टीवी न्यूज़ के पीछे की असली दुनिया क्या है,…
डॉ. देव व्रत सिंह | भारतीय मीडिया में पिछले एक दशक के दौरान टेलीविजन के संदर्भ में यदि किसी एक शब्दावली का सबसे अधिक प्रयोग हुआ है तो वो है टीआरपी यानी टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट। बार-बार टेलीविजन निर्माता टीआरपी का बहाना बनाकर या तो किसी कार्यक्रम को बंद कर देते हैं या फिर किसी धारावाहिक या रियलिटी शो को जरूरत से अधिक चलाते रहते हैं। जब-जब टेलीविजन के कार्यक्रमों की गुणवत्ता को लेकर बहस छिड़ी निर्माताओं ने दर्शकों की पसंद का तर्क दिया और दर्शकों की पसंद को मापने का तरीका टीआरपी को बनाया गया। जबकि तथ्य ये है कि मीडिया…
नीरज कुमार।कोई बिज़नेस चैनल देखिए। पहली बार में शायद ही आपके पल्ले पड़े कि क्या बोला जा रहा है, क्यों बोला जा रहा है। जो आंकड़े या चार्ट दिखाए रहे हैं, उनके मायने क्या हैं। ऐसा आपके साथ तब भी हो सकता है, जब आप अर्थव्यवस्था या बिज़नेस की मोटी-मोटी समझ रखते हों। बिज़नेस चैनल में काम करने की तमन्ना रखने वाले युवा पत्रकारों के लिए कुछ आधारभूत सवालों के जवाब जानने ज़रूरी है।बिज़नेस चैनल का ढांचा कैसा होता है?बिजनेस चैनल को मोटे तौर पर दो हिस्सों में बांटा जाता है। पहला, मार्केट आवर यानि दिन का वो वक्त जब…
अतुल सिन्हा।करीब डेढ़ दशक पहले जब टेलीविज़न न्यूज़ चैनल्स की शुरुआत हुई तो इसकी भाषा को लेकर काफी बहस मुबाहिसे हुए … ज़ी न्यूज़ पहला न्यूज़ चैनल था और यहां जो बुलेटिन बनते थे उसमें हिन्दी के साथ साथ अंग्रेज़ी भी शामिल होती थी जिसे बोलचाल की भाषा में ‘हिंग्लिश’ कहा जाने लगा। फिर ये मुद्दा उठा कि टीवी चैनल्स हिन्दी को बरबाद कर रहे हैं – खासकर अखबारों में इस्तेमाल होने वाली भाषा और टीवी की भाषा में काफी फर्क होता। मिसाल के तौर पर अखबारों में जो खबर हिन्दी के मुश्किल शब्दों और मुहावरों के साथ लिखी होती,…
आलोक वर्मा।आज पूरी दुनिया में शायद एक थी ऐसी जगह ढूंढ पाना मुश्किल होगा जहां मीडिया और संचार के तमाम माध्यम अपनी पैठ न चुके हों। हम कहीं भी जाएं, किसी से भी मिल-मीडिया और संचार के माध्यम हमे अपने आस-पास नजर आ ही जाते हैं। मीडिया के कई रूप और संचार के तमाम माध्यम हैं पर ये कर्ई रूप और तमाम माध्यम दरसल एक ही रूप और एक ही माध्यम हैं।आप में से बहुतों को लगता होगा कि संचार के क्षेत्र में जो हालिया क्रांति आई है उसमें पुरानी चीजे पीछे छूट गई हैं और इस्तेमाल की नई-नई चीजे…
शैलेश और डॉ. ब्रजमोहन।पत्रकारिता में टीवी रिपोर्टिंग आज सबसे तेज, लेकिन कठिन और चुनौती भरा काम है। अखबार या संचार के दूसरे माध्यमों की तरह टीवी रिपोर्टिंग आसान नहीं। टेलीविजन के रिपोर्टर को अपनी एक रिपोर्ट फाइल करने के लिए लम्बी मशक्कत करनी पड़ती है। रिपोर्टिंग के लिए निकलते वक्त उसके साथ होता है कैमरामैन, जो फील्ड में घटना के विजुअल और लोगों की प्रतिक्रियाएं शूट करता है। जबरदस्त कम्पिटिशन के इस दौर में टीवी रिपोर्टर के लिए आज सबसे बड़ी चुनौती है कि वो सबसे पहले अपने चैनल में न्यूज ब्रेक करे। इसके लिए इसके पास ओबी वैन या…
संदीप कुमार।ब्रेकिंगब्रेकिंग न्यूज टीवी मीडिया की धड़कन है। अक्सर टीवी स्क्रीन पर ब्रेकिंग न्यूज फ्लैश होती रहती है। शायद ही कोई बुलेटिन हो, जिसमें कोई न कोई ब्रेकिंग न्यूज न हो। ब्रेकिंग न्यूज सिर्फ कोई नई खबर या अप्रत्याशित खबर नहीं होती है। किसी खबर का अपडेट भी ब्रेकिंग न्यूज के तौर पर चलाया जाता है।ब्रेकिंग न्यूज वक्त का मोहताज नहीं होता। आप उसे रोक कर नहीं रख सकते। ये ऐसी हार्ड न्यूज होती है जिसे इत्मीनान से नहीं चलाया जाता बल्कि जब आए तभी ब्रेक करना होता है इसीलिए तो इसका नाम ब्रेकिंग न्यूज पड़ा है। जब ब्रेकिंग न्यूज…
संदीप कुमार।एंकर विजुअल/शॉट (Anchor VO, Anchor Shot, STD/VO)टीवी न्यूज मीडिया का लोकप्रिय और सबसे ज्यादा चलने वाला फॉर्मेट एंकर विजुअल (या एंकर शॉट, एंकर वीओ) होता है। इसे अलग-अलग न्यूज चैनलों में अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है। कई चैनलों में एंकर विजुअल को STD/VO भी कहा जाता है। यहां STD दरअसल स्टूडियो का शॉर्ट फॉर्म है और VO का मतलब वॉयस ओवर। यानी STD/VO का मतलब हुआ स्टूडियो से (एंकर के मार्फत) लाइव वॉयस ओवर होना।जब भी कोई नई खबर आती है तो टीवी में उसे सबसे पहले STD/VO फॉर्मेट में पेश किया जाता है। प्रोड्यूसर उस खबर…
Subscribe to Updates
Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.