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Author: newswriters
नीरज कुमार।वरिष्ठ टीवी पत्रकार रवीश कुमार बताते हैं कि जब उन्होंने एनडीटीवी ज्वाइंन किया तो चैनल के स्टूडियो में आकर उन्हें लगा कि वो जैसे नासा में आ गए हैं… रवीश कुमार के अनुभव का जिक्र उन युवाओं के लिए हैं, जो टीवी पत्रकार बनना चाहते हैं। लेकिन, न्यूज चैनल के सेट अप से वाकिफ नहीं है। लिहाजा, न्यूज चैनल में काम का फ्लो और बुनियादी तकनीकी जानकारी हो तो शुरुआती दौर में काम आसान हो जाता है।ख़बर घटनास्थल से टीवी स्क्रीन पर पहुंचने के क्रम में कई स्तरों से गुजरती है। ये सवाल अहम है कि ख़बर न्यूज चैनल…
देवेंद्र मेवाड़ी।इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरते समय मन में सिर्फ मुंबई था। वहां दो दिन तक बच्चों के लिए क्रिएटिव विज्ञान लेखन पर दूसरे रचनाकारों को सुनना और अपने अनुभव सुनाना था। लेकिन, विमान ज्यों-ज्यों हजार-दर-हजार फुट की ऊंचाइयां पार कर ऊपर उठता गया, पता लगा हम धरती से बहुत ऊपर बादलों के देश में पहुंच चुके हैं।जहां पहले केवल नीला आसमान और दूर गोलाई में क्षितिज की रेखा दिखाई दे रही थी, वहां अब आसमान में बादलों के झुंड तैर रहे थे। कहीं हलकी सफेद कोहरे की चादर-सी दिखती तो बाबा नागार्जुन कानों में गुनगुनाने लगतेः…
सुभाष धूलिया।व्यवस्था के भीतर भी वस्तुपरक और संतुलित रिपोर्टिंग के लिए आवश्यक है कि सत्ता और पत्रकार के बीच एक ‘सम्मानजक दूरी’ बनाए रखी जाए। लेकिन आज जो रुझान सामने आ रहे हैं उसमें यह दूरी लगातार कम होती जा रही है और मीडिया पर सत्ता के प्रभाव में अधिकाधिक वृद्धि होती जा रही है और इस व्यवसाय में जनोन्मुखी तत्वों का ह्रास होता जा रहा हैमानव सभ्यता के विकास में संचार की अहम भूमिका रही है। मानव सभ्यता अपने ज्ञान के भंडार को समृद्ध करने और इसके विस्तार के लिए संचार पर ही निर्भर रही है। विकास की इस…
सत्येंद्र रंजन |कभी मीडिया खुद को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताकर गर्व महसूस करता था। यह बात आज भी कही जाती है, लेकिन तब जबकि सरकार या संसद की तरफ से उसके लिए कुछ कायदे बनाने की मांग या चर्चा शुरू होती है। बाकी समय में मीडिया लोकतंत्र की चिंता भूल जाता है। या फिर वह लोकतंत्र को इस रूप में परिभाषित कर देता है, जिसमें आम या वंचित लोगों की कोई जगह नहीं होती। उसके लिए लोकतंत्र का मतलब सरकार से कॉरपोरेट जगत की स्वतंत्रता हैअभी ये बात बहुत पुरानी नहीं हुई, जब हिंदी (प्रकारांतर में भारतीय भाषा) पत्रकारिता…
सुभाष धूलियासमाचार क्या है? पत्रकारिता के उदभव और विकास के पूरे दौर में इस प्रश्न का सर्वमान्य उत्तर कभी किसी के पास नहीं रहा। आज पत्रकारिता और संपूर्ण और संपूर्ण मीडिया जगत की तेजी से बदलती तस्वीर से इस प्रश्न का उत्तर और भी जटिल होता जा रहा है। लेकिन हर खास परिस्थिति और वातावरण में चंद घटनाएं ऐसी होती हैं जो समाचार बनने की कसौटी पर खरी उतरती हैं और उससे कहीं अधिक बडी संख्या ऐसी घटनाओं की होती हे जो समाचार नहीं बन पातीं। यहां समाचार से आशय समाचार माध्यमों में प्रकाशित प्रसारित किये जाने वाले समाचारों से…
हर्ष रंजन। अगर हम कहें कि आवाज़ का ही दूसरा नाम प्रसारण है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। आवाज़ ही प्रसारण के लिए सब कुछ है। प्रसारण की दुनिया में काम करने की पहली और आखिरी शर्त आवाज़ ही होती है। आपकी आवाज़ प्रसारण योग्य हो तभी रेडियो जॉकी या समाचार वाचक या उद्घोषक के तौर पर कॅरियर बनाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन विद्यार्थियों को यह सोचकर कदापि निराश होने की ज़रूरत नहीं है कि पता नहीं मेरी आवाज़ प्रसारण योग्य है कि नहीं। सिर्फ इतना ध्यान रखें कि किसी की आवाज़ को प्रैक्टिस से बेहतर बनाया जा सकता…
– आनंद प्रधान(एसोशिएट प्रोफ़ेसर, भारतीय जनसंचार संस्थान )क्या १८८ साल की भरी–पूरी उम्र में कई उतार–चढाव देख चुकी हिंदी पत्रकारिता का यह ‘स्वर्ण युग’ है? जानेमाने संपादक सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने बहुत पहले ८०–९० के दशक में ही यह एलान कर दिया था कि यह हिंदी पत्रकारिता का ‘स्वर्ण युग’ है. बहुतेरे और भी संपादक और विश्लेषक इससे सहमत हैं. उनका तर्क है कि आज की हिंदी पत्रकारिता हिंदी न्यूज मीडिया उद्योग के विकास और विस्तार के साथ पहले से ज्यादा समृद्ध हुई है. उसके प्रभाव में वृद्धि हुई है. वह ज्यादा प्रोफेशनल हुई है, पत्रकारों के विषय और तकनीकी ज्ञान…
राजेश कुमारपत्रकारिता अभिव्यक्ति का एक माध्यम है। जिसके जरिए समाज को सूचित, शिक्षित और मनोरंजित किया जाता है। पत्रकारिता के माध्यम से आने वाले किसी भी संदेश का समाज पर व्यापक असर पड़ता है, जिसके जरिए मानवीय व्यवहार को निर्देशित और नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे में एक विशाल जनसमूह तक भेजे जाने वाले किसी संदेश का उद्देश्य क्या है और यह किससे प्रेरित है? यह सवाल काफी मायने रखता है।पत्रकारिता के बदलते परिदृष्य में संदेशों को विभिन्न तरीके से जनसमूह के समक्ष पेश करने की होड़ मची है। लगातार यह प्रयास हो रहा है कि संदेश कुछ अलग…
क़मर वहीद नक़वी।एक पत्रकार में सबसे बड़ा गुण क्या होना चाहिए? बाक़ी बातें तो ठीक हैं कि विषय की समझ होनी चाहिए, ख़बर की पकड़ होनी चाहिए, भाषा का कौशल होना चाहिए आदि-आदि। लेकिन मुझे लगता है कि एक पत्रकार को निस्सन्देह एक सन्देहजीवी प्राणी होना चाहिए, उसके मन में निरन्तर सवाल उठते रहने चाहिए। जो चीज़ दिख रही है, वह तो दिख ही रही है, सबको दिख रही है, लेकिन जो चीज़ नहीं दिख रही है या ‘नहीं दिखायी’ जा रही है, वह क्या है?जो बात बतायी जा रही है, वह तो बतायी ही जा रही है, लेकिन जो…
Subhash DhuliyaDefining NewsNews is a report of any current event, idea or problem which interest large number of people BUT it acquires different meanings and concepts in different political, economic and socio-cultural environment.1. News is new information2. News is looking at a subject from a new perspective3. The gap between “How things work” and “How things are supposed to work”ELEMENTS OF NEWSA News report must answer following questions:WHOWHATWHENWHERE(Generally factual while answering these questions)WHYHOW(While answering these two questions the element of interpretation and perception is introduced)CREDIBILITYPrinciples to be observed while reporting an event or editing news reportAccuracyFairnessBalanceAttributionObjectivityNEWSWORTHINESSHow to decide newsworthiness of…
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