Author: newswriters

शालिनी जोशी |वेब समाचार आखिर पारंपरिक मीडिया के समाचारों से कैसे अलग है. इसमें ऐसा क्या विशिष्ट है जो इसे टीवी, रेडियो या अख़बार की ख़बर से आगे का बनाता है, उसे और व्यापक बना देता है. कहने को तो वेब समाचार वैसा ही है जैसा पारंपरिक मीडिया का समाचार लेकिन इसके साथ नए विचार भी जुड़ते जाते हैं. ये विचार भाषाई या संपादकीय ही नहीं, ये तकनीकी भी हैं और वेब समाचार को एक नई शक्ल मुहैया करा देते हैं, वेब समाचार ने समाचार की प्रकृति बदल दी है. समाचार के क्या मूल्य हैं पारंपरिक पत्रकारिता के अनुभव से…

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डॉ. कीर्ति सिंह |प्रिंट पत्रकारिता सभी प्रकार की पत्रकारिताओं की जननी है। ऑनलाइन होने के मुकाम तक पहुंचने के लिए इसे सालों का सफर तय करना पड़ा। स्वरूप, प्रस्तुतिकरण, विषय वस्तु में निरंतर बदलाव करके और नई-नई तकनीकों के साथ सामंजस्य स्थापित कर प्रिंट पत्रकारिता सर्वाधिक परिवर्तन के दौर से गुज़री है। इंटरनेट पर सूचनाओं का कारोबार सीधे रूप में प्रारंभ नहीं हुआ और न ही सीधे भारत में पहली बार ई-समाचारपत्र पैदा हुए। साठ के दशक में अमेरिका में इंटरनेट का जन्म हुआ और आमजन में सूचनाओं का दायरा विस्तृत करने में लगभग बीस साल लग गए। समाचारपत्र प्रकाशक…

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शिवप्रसाद जोशी और शालिनी जोशी | वेब पत्रकारिता कोई कम्प्यूटर पर अख़बार नहीं है. न ही ये ब्राउज़र से संचालित कोई प्रसारण केंद्र है. ये पारंपरिक मीडिया से कई मानों में भिन्न हैः अपनी क्षमता, लचीलेपन, तात्कालिकता, स्थायित्व और पारस्परिकता से.क्षमताःअख़बार का एक रिपोर्टर अपनी स्टोरी को पांच सौ या छह सौ शब्दों में समेटने को बाध्य है. फ़ोटोग्राफ़र पूरा दिन इवेंट कवर करता है और प्रिंट में उसकी इक्का दुक्का तस्वीरें ही जा पाती हैं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रिपोर्टर के पास अपनी रिपोर्ट के लिये दो से तीन मिनट का समय होगा. एक इंटरव्यू सात या आठ सेकंड की साउंड…

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अशोक पान्डे।इन्टरनेट पर अपने अनुभव बाकी लोगों के साथ बांटने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक तरह की व्यक्तिगत डिजिटल डायरी के लिए वैब्लॉग शब्द का प्रयोग सबसे पहले 17 दिसम्बर 1997 को जोर्न बार्जर द्वारा किया गया था। बार्जर रोबोट विस्डम नाम की अपनी एक वैबसाइट पर इस तरह के अनुभव बांटा करते थे। अप्रैल-मई 1999 में वैब्लॉग शब्द से यूं ही खेलते हुए अपने ब्लॉग पीटरमी डॉट कॉम इस शब्द को वी ब्लॉग में तोड़कर पहले पहल ब्लॉग शब्द का बाकायदा प्रयोग किया। कुछ ही समय बाद पाइरा लैब्स के इवान विलियम्स ने सबसे पहले ब्लॉग शब्द…

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सुनील श्रीवास्तव।यह समय संचार क्रान्ति का है। वेब मीडिया का कैनवास निरन्तर बड़ा होता जा रहा है‚ इसके आयाम भी बदले हैं। वेब मीडिया ने पारम्परिक संचार माध्यमों को पीछे छोड़ उस पर अपना अधिकार पूर्णतयः भले ही न जमा लिया हो‚ लेकिन अपनी जमीन भविष्य के लिए पुख्ता जरूर कर ली है।वेब पत्रकारिता ने आज न्यू मीडिया‚ ऑनलाइन मीडिया‚ साइबर जर्नलिज्म‚ सोशल मीडिया आदि नामों से अधिक पहचान और पकड़ बना ली है। वेब मीडिया द्वारा हम कम्प्यूटर पर बैठकर पूरी दुनिया को जान सकते हैं‚ उससे जुड़ सकते हैं। यहां तक कि हम अपने मोबाइल में मौजूद जीपीएस…

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हर्षदेव।समाचार लेखन के लिए पत्रकारों को जो पांच आधारभूत तत्व बताए जाते हैं, उनमें सबसे पहला घटनास्थल से संबंधित है। घटनास्थल को इतनी प्रमुखता देने का कारण समाचार के प्रति पाठक या दर्शक का उससे निकट संबंध दर्शाना है। समाचार का संबंध जितना ही समीपी होता है, पाठक या दर्शक के लिए उसका महत्व उतना ही बढ़ जाता है। यदि न्यू यॉर्क या लंदन में रह रहे भारतीय प्रवासी को वहां के अखबार में अटलांटिक महासागर में चक्रवात की खबर मिलती है और उसी पृष्ठ पर उसे भारत में आंध्र प्रदेश तथा ओडिशा में भीषण तूफान की खबर दिखाई देती…

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–डॉ॰रामप्रवेश राय जिस प्रकार हमारी फिल्मों/सिनेमा मे स्क्रिप्ट की मांग के अनुसार ‘एंटेरटेनमेंट’ का तड़का लगता है कुछ उसी प्रकार हिन्दी के बारे मे बात–चीत करते समय हिन्दी–अंग्रेज़ी की प्रतिस्पर्धा का भाव आ जाता है। ऐसा शायद इसलिए भी होता है कि अंग्रेज़ी और यूरोपीय भाषाएँ आधुनिकता के द्योतक के रूप मे जानी जाती है। टेकी,टेक सैवी,सोशल मीडिया,हाईटेक आदि शब्द भी आधुनिकता से जुड़े है जिसका प्लेटफार्म अंग्रेज़ी है। हमारे देश मे भी यह मान्यता है कि एलीट क्लास कि भाषा तो अंग्रेज़ी है जिसकी पहुँच नई तकनीक तक है। लेकिन यदि सोशल मीडिया की बात करें तो ये भाषायी…

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ओमप्रकाश दास।“यह कहा जा सकता है कि भारत में वेब पत्रकारिता ने एक नई मीडिया संस्कृति को जन्म दिया है। अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी पत्रकारिता को भी एक नई गति मिली है। अधिक से अधिक लोगों तक इंटरनेट की पहुंच हो जाने से यह स्पष्ट है कि वेब पत्रकारिता का भविष्य बेहतर है”हमारे सामने पिछले लगभग दो सौ सालों के प्रिंट माध्यम के सामने पिछले 20 सालों में चुनौती रखता है, ये चुनौती दृश्य और श्रव्य माध्यम से ज़रिए आती है। प्रिंट इससे लड़ते लड़ते भाषाई स्तर और डिज़ाइन के स्तर पर कई प्रयोग करता है वो भी कंटेंट यानी…

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मुकुल श्रीवास्तव |इंटरनेट शुरुवात में किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह एक ऐसा आविष्कार बनेगा जिससे मानव सभ्यता का चेहरा हमेशा के लिए बदल जाएगा | आग और पहिया के बाद इंटरनेट ही वह क्रांतिकारी कारक जिससे मानव सभ्यता के विकास को चमत्कारिक गति मिली|इंटरनेट के विस्तार के साथ ही इसका व्यवसायिक पक्ष भी विकसित होना शुरू हो गया|प्रारंभ में इसका विस्तार विकसित देशों के पक्ष में ज्यादा पर जैसे जैसे तकनीक विकास होता गया इंटरनेट ने विकासशील देशों की और रुख करना शुरू किया और नयी नयी सेवाएँ इससे जुडती चली गयीं  |इंटरनेट एंड मोबाईल एसोसिएशन ऑफ़ इण्डिया की नयी…

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अटल तिवारी।उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बरकरार रखने वाला एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। अपने इस फैसले के जरिए न्यायालय ने साइबर कानून की धारा 66 (ए) निरस्त कर दी है, जो सोशल मीडिया पर कथित अपमानजनक सामग्री डालने पर पुलिस को किसी भी शख्स को गिरफ्तार करने की असीमित शक्ति देती थी। न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने फैसला देते समय कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 (ए) से लोगों के जानने का अधिकार सीधे तौर पर प्रभावित होता है। यह धारा संविधान में उल्लिखित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के…

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