संदीप कुमार
टीवी न्यूज का फॉर्मेट, प्रिंट मीडिया के मुकाबले बिल्कुल अलग होता है। यहां शब्दों, कॉलम, पेज में बात नहीं होती बल्कि फ्रेम्स, सेकंड्स, मिनट्स का खेल होता है। प्रिंट में कहा जाता है कि इस खबर को दो कॉलम में ले लो, सिंगल कॉलम में रख लो, तीन कॉलम में ले लो, लीड बना लो, बैनर बना लो, बॉटम एंकर ले लो, बॉक्स में रख लो आदि–आदि।प्रिंट में खबरों को पेश करने के इनफॉर्मेट्स से अलग टीवी न्यूज के फॉर्मेट होते हैं।
टीवी मीडिया के न्यूज फॉर्मेट पर हम अलग–अलग और विस्तार से चर्चा करेंगे।
हेडलाइंस
हेडलाइंस टीवी मीडिया का फ्रंट पेज है। जैसे अखबारों में फ्रंट पेज होता है और उसमें चुनिंदा और अहम खबरों को जगह दी जाती है, वैसे ही टीवी न्यूज में हेडलाइंस होती है। हेडलाइंस हर आधे घंटे में एक बार चलाई जाती है और वो भी बुलेटिन में सबसे पहले। (हर पूर्ण घंटे और आधे घंटे पर, मसलन सुबह 6 बजे, 6.30 बजे और फिर इसी तरह हर आधे–आधे घंटे पर चौबीसों घंटे)
जैसे ही बुलेटिन शुरू होता है, एंकर स्क्रीन पर आता है और परिचय देता है और कहता है कि बुलेटिन में आगे बढ़ने से पहले देखते हैं इस वक्त की हेडलाइंस। हालांकि अब ऐसा भी होने लगा है कि बुलेटिन सीधे हेडलाइंस से शुरू होता है और बैकग्राउंड में ही रखकर एंकर हेडलाइंस पढ़ देता है और हेडलाइंस खत्म होने के बाद वो स्क्रीन पर आता है, परिचय देता है और फिर बुलेटिन की स्टोरीज बताना शुरू कर देता है या फिर कोई प्रोग्राम या डिस्कसन हो तो उसपर फोकस हो जाता है।
हेडलाइंस में उस मौजूदा वक्त की टॉप स्टोरीज को बहुत ही कम शब्दों में और तेज रफ्तार से बताया जाता है। अमूमन हेडलाइंस में 5 टॉप स्टोरीज रखी जाती है लेकिन चैनल–दर–चैनल इसकी संख्या बढ़ भी जाती है। कई चैनलों में हेडलाइंस में 8 टॉप स्टोरीज तक हो जाती है। एंकर हेडलाइंस की हर स्टोरीज को को बेहद ही जोशीले और तूफानी अंदाज में पढ़ता है। हेडलाइंस की हर दो स्टोरीज के बीच एक वाइप या ट्रांजिसन आता है जो दोनों स्टोरीज को एक–दूसरे से अलग करता है और इस बीच एंकर ब्रीदिंग स्पेस लेता है। जब एंकर हेडलाइंस पढ़ता है तो हर टॉप स्टोरीज के लिए अलग–अलगविजुअलभीप्लेकियाजाताहै।और हर विजुअल के साथ उस टॉप स्टोरीज से जुड़ा एक कैच लाइन भी लिखा जाता है।
हेडलाइंस की भाषा, खबर की भाषा से थोड़ी अलग होती है। हेडलाइंस बेहद आक्रामक, चुटीले और मारक अंदाज में लिखी जाती है। हेडलाइंस से चैनल की एडिटोरियल लाइन भी झलकती है। इसलिए इसे काफी सोच–समझकर लिखा जाता है। हेडलाइंस की हर एक टॉप स्टोरीज को बमुश्किल दो लाइनों में यानी 15-20 शब्दों में बताना होता है।इसलिए इसे गागर में सागर भरने जैसा माना जाता है।हेडलाइंसलिखनाभीएककलाहैऔरचैनलोंमेंअमूमनयेजिम्मेदारीवरिष्ठोंकोहीदीजातीहै।अगरकोईजूनियरहेडलाइंसलिखताभीहैतोवोअपनेवरिष्ठोंसेचेककरवालेताहै।हेडलाइंसलिखनाजितनाअहमहोताहैउससेभीज्यादामहत्वपूर्णहोताहैहेडलाइंसकेलिएकैचलाइनलिखनाजिसेफ्लायरभीकहाजाताहैऔरयेस्क्रीनपरविजुअलकेनीचेदिखताहै।जबनामहीकैचलाइनहैतोजाहिरहैकिहेडलाइंसकाशीर्षककैचीऔरशानदारहो।
कुछ हेडलाइंस के नमूने
राजधानी दिल्ली में अब नजर नहीं आएंगी पुरानी गाड़ियां, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को जब्त करने के दिए आदेश
(कैचलाइन– दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर ब्रेक !)
एक बार फिर जुटा जनता परिवार का बिखरा कुनबा, मुलायम को बनाया गया नेता, लेकिन बड़ा सवाल बिहार–यूपी से बाहर क्या कर पाएगी नई पार्टी
(कैचलाइन– जनता परिवार में कितनी जान ?)