Author: newswriters

शैलेश और डॉ. ब्रजमोहन।न्‍यूज को घटनास्‍थल से इकट्ठा करने का काम संवाददाता (रिपोर्टर) करता है। हर न्‍यूज ऑर्गेनाइजेशन में रिपोर्टरों की फौज होती है और अनुभव के आधार पर उनके पद और काम तय होते हैं। टेलीविजन न्‍यूज ऑर्गेनाइजेशन में भी सीनियरिटी के आधार पर रिपोर्टर के कई पद होते है।ट्रेनी रिपोर्टर- जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक छात्र किसी न्‍यूज चैनल में ट्रेनी रिपोर्टर के तौर पर अपना कैरियर शुरू करता है। ट्रेनी रिपोर्टर को आमतौर पर कोई बड़ा काम नहीं सौंपा जाता, उसे जनरल विजुअल शूट कराने, किसी की बाइट लाने य सीनियर रिपोर्टरों की स्‍टोरी…

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आलोक वर्मा।एक अच्छी स्क्रिप्ट वही है जो तस्वीरों के साथ तालमेल बनाकर रखे। आपको ये बात तो पता ही होगी कि मानव मस्तिष्क का दांया हिस्सा तस्वीरों को रचता और गढ़ता है जबकि मस्तिष्क का बायां हिस्सा भाषा को संभालता है- दोनों मस्तिष्कों का सही संतुलन कायम रहना एक अच्छी स्क्रिप्ट में झलकता है, अगर तस्वीरों और शब्दों में तालमेल न बैठा तो लोग तस्वीरें ही देखते रहेंगे और आपका स्क्रिप्ट का कोई मोल नहीं होगाक्या टीवी न्यूज की स्क्रिप्ट सोचे समझे तकनीकी तरीके से लिखी जाती है? क्या स्क्रिप्ट का ढांचा बनाने के लिए शब्दों और वाक्यों को किसी…

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कुमार कौस्तुभ…साल 2013 में भारत के हिंदी न्यूज़ चैनल एबीपी न्य़ूज़ पर प्रसारित कार्यक्रम प्रधानमंत्री की बेहद तारीफ हुई। भारत की स्वाधीनता के बाद के राजनीतिक-एतिहासिक परिदृश्य पर बनाया गया ये कार्यक्रम कई वजहों से काबिले-तारीफ भी रहा और काबिले-गौर भी। मशहूर फिल्मकार शेखर कपूर की एंकरिंग ने देश के राजनीतिक-एतिहासिक घटनाक्रम को बड़े सलीके से बांधा। वहीं, कार्यक्रम की सधी हुई स्क्रिप्टिंग ने घटनाक्रम के प्रमुख बिंदुओं को बड़े ही सुंदर तरीके से उभारने की कोशिश की। इसी दौर में आजतक चैनल की ओर से कबीर बेदी ने वंदे मातरम नाम का कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसकी उतनी तारीफ तो…

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फ़िरदौस ख़ानऑल इंडिया रेडियो से हमारा दिल का या यूं कहें कि रूह का रिश्ता है। ये हमारी ज़िन्दगी का एक अटूट हिस्सा है।  रेडियो सुनते हुए हम बड़े हुये। बाद में रेडियो से जुड़ना हुआ। यह हमारी ख़ुशनसीबी थी। ऑल इंडिया रेडियो पर हमारा पहला कार्यक्रम 21 दिसम्बर 1996 को प्रसारित हुआ था। इसकी रिकॉर्डिंग 15 दिसम्बर को हुई थी। कार्यक्रम का नाम था उर्दू कविता पाठ। इसमें हमने अपनी ग़ज़लें पेश की थीं। उस दिन घर में सब कितने ख़ुश थे। पापा की ख़ुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था। रेडियो से हमारी न जाने कितनी ख़ूबसूरत…

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Dr. Pradeep Mahapatra The practice of news reporting during student career can be termed as ‘Student Journalism’. The development of modern journalism is closely associated with the spread of printing technology. The earliest versions of newspapers appeared during the seventeenth century after about 150 years of the invention of the printing press in Germany. Britain had to wait for another 100 years for the launch of its first English daily newspaper till the eighteenth century. Journalism was considered as a new profession during the publication of periodicals long before the appearance of daily newspapers. But as more and more news…

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Amit Dutta Editor (Output) at Zee Business Remember that these opportunities not only ensure financial stability but also aid in your growth as a journalist. So, take on challenges fearlessly, grab opportunities eagerly, and embark on a journey that leads to learning, earning, and fulfilling all your aspirations in the vibrant world of journalism Are you a Journalism student struggling to make ends meet while pursuing your passion? The truth is, it’s not always easy to break into the industry and land a well-paying job right away. Many students end up taking on side hustles that have nothing to…

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विजय प्रताप।तकनीकी विकास के हर दौर में मीडिया का सत्ता और सरकार से अहम रिश्ता रहा है। भारत में अंग्रेजों के शासनकाल के समय प्रिंट मीडिया यानी प्रेस की भूमिका का जिक्र हो या अंग्रेजों के जाने के बाद दूरदर्शन और आकाशवाणी के जरिये सरकारी योजनाओं व नीतियों का प्रचार प्रसार की बात हो, मीडिया सरकार की नीतियों व योजनाओं को व्यापक लोगों तक पहुंचाने में अहम योगदान करती रही है। इसमें निजी व सरकारी दोनों ही तरह की मीडिया शामिल रही है। सरकार की तरफ से भी मीडिया के साथ रिश्ता कायम रखा जाता है। अलग-अलग मीडिया माध्यमों का…

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शालिनी जोशी |वेब समाचार आखिर पारंपरिक मीडिया के समाचारों से कैसे अलग है. इसमें ऐसा क्या विशिष्ट है जो इसे टीवी, रेडियो या अख़बार की ख़बर से आगे का बनाता है, उसे और व्यापक बना देता है. कहने को तो वेब समाचार वैसा ही है जैसा पारंपरिक मीडिया का समाचार लेकिन इसके साथ नए विचार भी जुड़ते जाते हैं. ये विचार भाषाई या संपादकीय ही नहीं, ये तकनीकी भी हैं और वेब समाचार को एक नई शक्ल मुहैया करा देते हैं, वेब समाचार ने समाचार की प्रकृति बदल दी है. समाचार के क्या मूल्य हैं पारंपरिक पत्रकारिता के अनुभव से…

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डॉ. कीर्ति सिंह |प्रिंट पत्रकारिता सभी प्रकार की पत्रकारिताओं की जननी है। ऑनलाइन होने के मुकाम तक पहुंचने के लिए इसे सालों का सफर तय करना पड़ा। स्वरूप, प्रस्तुतिकरण, विषय वस्तु में निरंतर बदलाव करके और नई-नई तकनीकों के साथ सामंजस्य स्थापित कर प्रिंट पत्रकारिता सर्वाधिक परिवर्तन के दौर से गुज़री है। इंटरनेट पर सूचनाओं का कारोबार सीधे रूप में प्रारंभ नहीं हुआ और न ही सीधे भारत में पहली बार ई-समाचारपत्र पैदा हुए। साठ के दशक में अमेरिका में इंटरनेट का जन्म हुआ और आमजन में सूचनाओं का दायरा विस्तृत करने में लगभग बीस साल लग गए। समाचारपत्र प्रकाशक…

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शिवप्रसाद जोशी और शालिनी जोशी | वेब पत्रकारिता कोई कम्प्यूटर पर अख़बार नहीं है. न ही ये ब्राउज़र से संचालित कोई प्रसारण केंद्र है. ये पारंपरिक मीडिया से कई मानों में भिन्न हैः अपनी क्षमता, लचीलेपन, तात्कालिकता, स्थायित्व और पारस्परिकता से.क्षमताःअख़बार का एक रिपोर्टर अपनी स्टोरी को पांच सौ या छह सौ शब्दों में समेटने को बाध्य है. फ़ोटोग्राफ़र पूरा दिन इवेंट कवर करता है और प्रिंट में उसकी इक्का दुक्का तस्वीरें ही जा पाती हैं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रिपोर्टर के पास अपनी रिपोर्ट के लिये दो से तीन मिनट का समय होगा. एक इंटरव्यू सात या आठ सेकंड की साउंड…

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