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Author: newswriters
हर्षदेव।समाचार लेखन के लिए पत्रकारों को जो पांच आधारभूत तत्व बताए जाते हैं, उनमें सबसे पहला घटनास्थल से संबंधित है। घटनास्थल को इतनी प्रमुखता देने का कारण समाचार के प्रति पाठक या दर्शक का उससे निकट संबंध दर्शाना है। समाचार का संबंध जितना ही समीपी होता है, पाठक या दर्शक के लिए उसका महत्व उतना ही बढ़ जाता है। यदि न्यू यॉर्क या लंदन में रह रहे भारतीय प्रवासी को वहां के अखबार में अटलांटिक महासागर में चक्रवात की खबर मिलती है और उसी पृष्ठ पर उसे भारत में आंध्र प्रदेश तथा ओडिशा में भीषण तूफान की खबर दिखाई देती…
–डॉ॰रामप्रवेश राय जिस प्रकार हमारी फिल्मों/सिनेमा मे स्क्रिप्ट की मांग के अनुसार ‘एंटेरटेनमेंट’ का तड़का लगता है कुछ उसी प्रकार हिन्दी के बारे मे बात–चीत करते समय हिन्दी–अंग्रेज़ी की प्रतिस्पर्धा का भाव आ जाता है। ऐसा शायद इसलिए भी होता है कि अंग्रेज़ी और यूरोपीय भाषाएँ आधुनिकता के द्योतक के रूप मे जानी जाती है। टेकी,टेक सैवी,सोशल मीडिया,हाईटेक आदि शब्द भी आधुनिकता से जुड़े है जिसका प्लेटफार्म अंग्रेज़ी है। हमारे देश मे भी यह मान्यता है कि एलीट क्लास कि भाषा तो अंग्रेज़ी है जिसकी पहुँच नई तकनीक तक है। लेकिन यदि सोशल मीडिया की बात करें तो ये भाषायी…
ओमप्रकाश दास।“यह कहा जा सकता है कि भारत में वेब पत्रकारिता ने एक नई मीडिया संस्कृति को जन्म दिया है। अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी पत्रकारिता को भी एक नई गति मिली है। अधिक से अधिक लोगों तक इंटरनेट की पहुंच हो जाने से यह स्पष्ट है कि वेब पत्रकारिता का भविष्य बेहतर है”हमारे सामने पिछले लगभग दो सौ सालों के प्रिंट माध्यम के सामने पिछले 20 सालों में चुनौती रखता है, ये चुनौती दृश्य और श्रव्य माध्यम से ज़रिए आती है। प्रिंट इससे लड़ते लड़ते भाषाई स्तर और डिज़ाइन के स्तर पर कई प्रयोग करता है वो भी कंटेंट यानी…
मुकुल श्रीवास्तव |इंटरनेट शुरुवात में किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह एक ऐसा आविष्कार बनेगा जिससे मानव सभ्यता का चेहरा हमेशा के लिए बदल जाएगा | आग और पहिया के बाद इंटरनेट ही वह क्रांतिकारी कारक जिससे मानव सभ्यता के विकास को चमत्कारिक गति मिली|इंटरनेट के विस्तार के साथ ही इसका व्यवसायिक पक्ष भी विकसित होना शुरू हो गया|प्रारंभ में इसका विस्तार विकसित देशों के पक्ष में ज्यादा पर जैसे जैसे तकनीक विकास होता गया इंटरनेट ने विकासशील देशों की और रुख करना शुरू किया और नयी नयी सेवाएँ इससे जुडती चली गयीं |इंटरनेट एंड मोबाईल एसोसिएशन ऑफ़ इण्डिया की नयी…
अटल तिवारी।उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बरकरार रखने वाला एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। अपने इस फैसले के जरिए न्यायालय ने साइबर कानून की धारा 66 (ए) निरस्त कर दी है, जो सोशल मीडिया पर कथित अपमानजनक सामग्री डालने पर पुलिस को किसी भी शख्स को गिरफ्तार करने की असीमित शक्ति देती थी। न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने फैसला देते समय कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 (ए) से लोगों के जानने का अधिकार सीधे तौर पर प्रभावित होता है। यह धारा संविधान में उल्लिखित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के…
विनीत उत्पल।सोशल मीडिया एक तरह से दुनिया के विभिन्न कोनों में बैठे उन लोगों से संवाद है जिनके पास इंटरनेट की सुविधा है। इसके जरिए ऐसा औजार पूरी दुनिया के लोगों के हाथ लगा है, जिसके जरिए वे न सिर्फ अपनी बातों को दुनिया के सामने रखते हैं, बल्कि वे दूसरी की बातों सहित दुनिया की तमाम घटनाओं से अवगत भी होते हैं। यहां तक कि सेल्फी सहित तमाम घटनाओं की तस्वीरें भी लोगों के साथ शेयर करते हैं। इतना ही नहीं, इसके जरिए यूजर हजारों हजार लोगों तक अपनी बात महज एक क्लिक की सहायता से पहुंचा सकता है।…
विनीत उत्पल |एक ओर जहां अभिव्यक्ति के तमाम विकल्प सामने आ रहे हैं, वहीं इस पर अंकुश लगाने की प्रक्रिया भी पूरे विश्व में किसी न किसी रूप में मौजूद है। जहां कहीं भी सरकार को आंदोलन का धुआं उठता दिखाई देता है, तुरंत सरकार की नजर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर जाती है और सीधे तौर पर अंकुश लगाने से नहीं हिचकती। गौरतलब है कि ये सोशल मीडिया के प्लेटफार्म सिर्फ व्यक्तिगत जानकारियों के लिए ही प्रयोग में नहीं लाए जाते बल्कि राजनीतिक और सामाजिक मामलों में में लोगों की रुचि का भी काम करता हैसोशल मीडिया एक…
विनीत उत्पल |किसी भी घटना की पहली रिपोर्ट जो पुलिस दर्ज करती है, वह एफआईआर यानी फस्र्ट इनफार्मेशन रिपोर्टकहलाती है। इस रिपोर्ट में किसी भी घटना की बारीक जानकारी होती है, जो प्रभावित व्यक्ति दर्ज कराता है।उसी तरह वर्तमान समय में सोशल मीडिया तमाम मुख्यधारा की मीडिया के लिए एफआईआर का काम करतीहै और आज फेसबुक के पोस्ट, स्टेट्स और ट्विटर की ट्वीट से खबरें ब्रेक होने लगी है और बनने लगी है।पहली खबर सोशल मीडिया में फ्लैश होते ही उसे लेकर रिपोर्टर रिसर्च करता है, छानबीन करता है, संबद्ध लोगोंसे बातचीत करता है और फिर पुख्ता खबर अखबारों में…
शिवप्रसाद जोशी।न्यू यॉर्कर में 1993 में एक कार्टून प्रकाशित हुआ था जिसमें एक कुत्ता कम्प्यूटर के सामने बैठा है और साथ बैठे अपने सहयोगी को समझाते हुए कह रहा है, “इंटरनेट में, कोई नहीं जानता कि तुम कुत्ते हो।” (जेन बी सिंगर, ऑनलाइन जर्नलिज़्म ऐंड एथिक्स, अध्याय एथिक्स एंड द लॉ, पृ 90)।यहां आशय ये है कि इंटरनेट में आपकी पहचान गुप्त रहती है। जब तक आप न चाहें आपको कोई नहीं जान सकता। ये स्वनिर्मित गुमनामी ही एक अदृश्यता की ओर ले जाती है। एक ऐसी अवस्था जहां आपको भौतिक उपस्थिति की ज़रूरत नहीं है। आपको सदेह कहीं किसी…
शालिनी जोशी…वेब समाचार आखिर पारंपरिक मीडिया के समाचारों से कैसे अलग है. इसमें ऐसा क्या विशिष्ट है जो इसे टीवी, रेडियो या अख़बार की ख़बर से आगे का बनाता है, उसे और व्यापक बना देता है.कहने को तो वेब समाचार वैसा ही है जैसा पारंपरिक मीडिया का समाचार लेकिन इसके साथ नए विचार भी जुड़ते जाते हैं. ये विचार भाषाई या संपादकीय ही नहीं, ये तकनीकी भी हैं और वेब समाचार को एक नई शक्ल मुहैया करा देते हैं,वेब समाचार ने समाचार की प्रकृति बदल दी है.समाचार के क्या मूल्य हैं पारंपरिक पत्रकारिता के अनुभव से हम जानते हैं और…
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