विनीत उत्पल |
किसी भी घटना की पहली रिपोर्ट जो पुलिस दर्ज करती है, वह एफआईआर यानी फस्र्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट
कहलाती है। इस रिपोर्ट में किसी भी घटना की बारीक जानकारी होती है, जो प्रभावित व्यक्ति दर्ज कराता है।
उसी तरह वर्तमान समय में सोशल मीडिया तमाम मुख्यधारा की मीडिया के लिए एफआईआर का काम करती
है और आज फेसबुक के पोस्ट, स्टेट्स और ट्विटर की ट्वीट से खबरें ब्रेक होने लगी है और बनने लगी है।
पहली खबर सोशल मीडिया में फ्लैश होते ही उसे लेकर रिपोर्टर रिसर्च करता है, छानबीन करता है, संबद्ध लोगों
से बातचीत करता है और फिर पुख्ता खबर अखबारों में जहां प्रकाशित होता है, वहीं न्यूज चैनलों पर प्रसारित
होता है।
त्रासदियों को करें याद
याद करें उत्तराखंड में आई भीषण त्रासदी को, या फिर नेपाल और बिहार में आए भूकंप को, तमाम अखबार और
न्यूज चैनलों ने खबरें जानने और प्रसारण करने के लिए इन्हीं सोशल मीडिया का सहारा लिया। यहां तक कि
मीडिया के इन माध्यमों में जो तस्वीरें या वीडियो दिखाए गए, वे इन्हीं सोशल मीडिया से लिए गए थे। अब तो
प्रधानमंत्रियों सहित केंद्र सरकार के तमाम मंत्री प्रेस कांफ्रेस करना तक भूल गए हैं और वे लोगों को तमाम
जानकारी सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म के जरिए दे रहे हैं। गौरतलब है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
अपने विदेशी प्रवास पर किसी मीडियाकर्मी को नहीं ले जाते लेकिन उनके फेसबुक और ट्विटर एकाउंट पर दी
गई जानकारी और फोटो सुर्खियां बनती हैं।
नोकझोंक बनती हैं सुर्खियां
यह सिर्फ केंद्र सरकार की कार्य पद्धति नहीं है बल्कि राज्यों में पक्ष और विपक्षी नेताओं की नोकझोंक भी
इन्हीं सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर चलती रहती है। यहां तक कि किसी खिलाड़ी के मैच या पदक
जीतने पर तमाम नेता सोशल मीडिया के माध्यमों से बधाई देते हैं और वे तमाम मीडिया में सुर्खियां पाती हैं।
किसी फिल्म का फस्र्ट लुक भी अब इन्हीं सोशल मीडिया में पहली बार आता है। फिल्म अभिनेता और निर्माता
अपनी फिल्मी का प्रचार-प्रसार के लिए इन्हीं माध्यमों का सहारा लेते हैं। इसके अलावा, अपनी व्यक्तिगत
जानकारियां और तस्वीरें भी यहां पोस्ट करते हैं। इतना ही नहीं, किसी अखबार में उनके बारे में या फिर कोई
और जानकारी प्रकाशित होने पर वे विरोध भी दर्ज कराते हैं। मसलन दीपिका पादुकोण और उनके अंगों को
लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबरों को लेकर दीपिका पादुकोण ने कैसी प्रतिक्रिया जाहिर की थी और
सोशल मीडिया पर कैसी लताड़ लगाई थी, यह किसी से छुपी हुई नहीं थी। वहीं, दीपिका की फिल्म ‘माई च्वाइस’
का यूट्यूब पर प्रसारण और फिर इसके बाद सामाजिक परिदृश्य में पक्ष और विपक्ष में बहस ज्यादा पुरानी नहीं
है।
सोशल मीडिया पर लिखे जाते हैं सुसाइड नोट
अब तो सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्मों का प्रयोग विभिन्न रूपों में हो रह है। कोई खुदकुशी करने से पहले
अपना सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर पहले देता है। विदेश के जोश ग्रासिन से लेकर भारत के महबूब शाहीन,
प्रिया वेदी या फिर नवीं कक्षा में पढ़ने वाले स्वर्णिम उर्फ शानू का मामला। सभी ने मरने से पहले खुदकुशी को
लेकर सोशल मीडिया में नोट्स लिखा था और पूरी दुनिया के सामने इस बात को जाहिर की थी, वे मरने जा रहे
हैं। वहीं, सोशल मीडिया का दायरा इतना व्यापक हो चुका है कि किसी के खुदकुशी करने या फिर मृत्यु होने पर
सबसे पहले पुलिस उसके सोशल मीडिया के एकाउंट को खंगालती है, जैसा एम्स हॉस्टल में रैगिंग से दुखी
बीकानेर की खुशबू की खुदकुशी की जांच के दौरान हुआ। पुलिस ने पाया कि खुशी ने अपनी मृत्यु से कुछ दिन
पहले अपने व्हाट्सएप स्टेट्स में लिखा था, ‘जिंदगी कई परेशानी दिखाती है, लेकिन मौत उसका हल नहीं।’ तो
इस मामले में लोग आश्चर्यचकित थे कि जिंदादिल दिखने वाली खुशबू ने फिर ऐसा क्यों किया।
सोशल मीडिया का इस्तेमाल किसी घटना या वारदात होने की जानकारी देने के लिए भी किया जाने लगा है।
मसलन अमिताभ बच्चन ने ट्विटर एकाउंट हैक होने के जानकारी जहां पुलिस को दी, वहीं ट्विटर पर भी दी।
इतना ही नहीं, जब डीडी किसान चैनल के प्रचार-प्रसार के लिए अमिताभ बच्चन के पैसे लेने की बात सामने
आई थी तो उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपनी बात रखी थी और उन्होंने अपने व्यक्तिगत लेटर
पैड पर लोगों से अपील की थी कि यदि पैसे लेने की कोई जानकारी उनके पास हो तो वे उन्हें बताएं और
मामले का पूरी तरह खंडन किया था।
बेटी होने/शादी होने की जानकारी भी मिलती है
होने वाली बेटी की जानकारी शेयर करने का भी प्लेटफार्म अब सोशल मीडिया है। यही कारण था कि जब
फेसबुक के सीईओ मार्क जुकेरबर्ग ने घर में बिटिया आने की सूचना अपने फेसबुक वॉल पर दी तो सिर्फ दो घंटे
में पांच लाख लाइक्स मिले। उन्होंने इस पोस्ट में लिखा था कि यह हमारे जीवन क नया अध्याय होगा। हम
भाग्यशाली हैं कि हमें दुनियाभर के लोगों की जिंदगी को छूने का मौका मिला है। वहीं, कांग्रेस के महासचिव
दिग्विजय सिंह और टीवी एंकर अमृता राय की शादी की जानकारी अमृता ने अपने फेसबुक वॉल पर दी। वहीं,
सुंदर पिचई के गूगल के सीईओ बनने पर बधाई देने का तांता सोशल मीडिया पर लगा रहा। यहां तक कि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, माइक्रोसाफ्ट के सीईओ सत्य नडेला, एप्पल के सीईओ टीम कुक ने भी उन्हें बधाई देने के
लिए ट्विटर का सहारा लिया। सोशल मीडिया किस तरह आम लोगों की आवाज बनकर सामने आ रहा है,
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संजय दत्त के पैरोल पर छूटने के बाद लोगों में आश्चर्य भी
था, गुस्सा भी और तमाम और जानकारियां भी कि उन्हें कैसे और क्यों पैरोल मिला।
गुस्से का भी होता इजहार
जहां तक गुस्से की बात है तो आतंकवादी याकूब मेनन को फांसी दिए जाने की तारीख तय हो जाने और उसके
विरोध में फिल्म अभिनेता सलमान खान ने सिर्फ 49 मिनट के भीतर 14 ट्वीट किए थे। इसके बाद जो विरोध
की आवाज सलमान खान के खिलाफ आई कि उन्हें न सिर्फ छह ट्वीट माफी के लिए मांगे बल्कि पुराने सभी
ट्वीट को हटाने के लिए विवश होना पड़ा। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा था, ‘टाइगर मेमन को फांसी दी, दिखाने
के लिए उसके भाई को नहीं। एक बेकसूर को मारन इंसानियत का कत्ल है। किधर छिपा है टाइगर? ये कोई
टाइगर नहीं है, बिल्ली है और हम एक बिल्ली को नहीं पकड़ सकते।’ वहीं, माफी मांगते हुए सलमान खान ने
लिखा, ‘मेरे पिता ने फोन किया और कहा कि मुझे अपने ट्वीट वापस लेने चाहिए क्योंकि उनसे गलतफहमी हो
सकती है। मैं बिना शर्त किसी गलतफहमी के लिए माफी मांगता हूं। मैंने यह नहीं कहा था कि याकूब निर्दोष
है।’
बयानबाजी का अड्डा
सोशल मीडिया राजनीति और बयानबाजी का अड्डा भी है और किस बात को किस रूप में मोड़ दिया जाएगा
और किस रूप में लिया जाएगा, कोई नहीं जानता। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्विटर पर ‘आस्क
नीतीश’ आयोजन के तहत पूछे एक सवाल के जवाब में रहीम की कविता ‘जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि
सकत कुसंग। चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग’ को पोस्ट किया। इस ट्वीट को भाजपा ने मुद्दा
बनाया और कहा कि नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद को निशाना बनाया है। इसी तरह, केजरीवाल के यह कहने
पर कि योगेंद्र-भूषण पार्टी में लौटें तो अच्छा होगा, योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया कि सुन रहा हूूं कि अरविंद
हमारी वापसी पर खुश होंगे, लेकिन हमने तो कभी ईमानदारी सियासत की राह छोड़ी ही नहीं थी। ऐसा तो
उन्होंने किया। क्या वह वापस लौटेंगे। हम तो आज भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं। आप ही भटके हैं अरविंद।
इसलिए अब आप तय करें कि आदर्शों पर वापस आना है या सत्ता प्यारी है। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद
केजरीवाल गाहे-बगाहे ट्विटर के जरिए केंद्र सरकार पर बरसते रहते हैं।
फर्जी अकाउंट की भीड़
हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इन सोशल मीडिया में फर्जी एकाउंट भी काफी होते हैं
और पिछले दिनों अमेरिका में राष्ट्रपति उम्मीदवारों में डेमोक्रेटिक पार्टी की हिलेरी क्लिंटन के ट्विटर पर दस
लाख से ज्यादा फर्जी फॉलोवर्स का पता चला। वहीं, इंडिया टुडे के पूर्व मैनेजिंग एडिटर दिलीप मंडल को और
एनडीटीवी के एंकर रवीश कुमार को उनके फेसबुक एकाउंट पर फर्जी नाम से किस तरह लगातार गालियां दी
जाती हैं, यह किसी से छुपी हुई नहीं है। वहीं, इसके द्वारा लोगों को झांसा में भी रखा जाता है, जैसा युद्ध
प्रभावित यूरोपीय देशों में सुरक्षित एंट्री दिलाने के नाम पर किया जा रहा है।
नियंत्रण करने की जद्दोजहद
वहीं, सरकार के द्वारा सोशल मीडिया पर नियंत्रण किए जाने की खबरें भी अखबारों की सुर्खियां और न्यूज
चैनलों के प्राइम टीवी पर बहस का मुद्दा बनती हैं। केंद्र के व्हाट्सएप समेत सभी सोशल मीडिया के संदेश 90
दिनों तक सुरक्षित रखने का प्रस्ताव था लेकिन विरोध के कारण सरकार को इसे वापस लेना पड़ा। वहीं कांवड़
यात्रा के दौरान धार्मिक भावनाओं को भड़काने से रोकने के लिए गाजियाबाद पुलिस ने एक टीम को सोशल
मीडिया पर निगरानी रखने का जिम्मा सौंपा था।
सोशल मीडिया चुनाव में भी अपनी अहम भूमिका निभाता है और यही कारण है कि जहां दिल्ली
विश्वविद्यालय के छात्र चुनाव में सोशल मीडिया का काफी बोलबाला रहा। वहीं बिहार चुनाव में प्रचार के
मद्देनजर कांग्रेस ने एप भी बनाया। वहीं, दूसरी ओर इस बार बिहार चुनाव के दौरान चुनाव आयोग फेसबुक के
लाइक्स पर नजर रखेगी क्योंकि माना जा रहा है कि फेसबुक की ओर से लाइक्स की बिक्री होती है, जो दिल्ली
के चुनावी दौर में प्रति लाइक की खरीद छह रुपये तक गई थी। इतना ही नहीं, अब तो इसके माध्यम से क्लास
के साथ-साथ परीक्षा और साक्षात्कार भी लिए जाने लगे और काफी लोकप्रिय हो रहे हैं।
सुझाव भी मांगे जाते हैं
देश की राजधानी दिल्ली की छवि सुधारने के लिए ट्विटर पर माई दिल्ली स्टोरी नाम से स्लोगन मांगे गए थे
और लोगों ने इस प्रतियोगिता में जमकर हिस्सा लिया। वहीं छात्रों ने व्हाट्सएप चौकीदार नामक ग्रुप बनाकर
राजधानी दिल्ली के मुखर्जीनगर इलाके में लैपटॉप और मोबाइल चोरी रोकने के इंतजाम किए। यही कारण था
कि 2014 में जहां एक जनवरी से 15 जुलाई के बीच 113 लैपटॉप चोरी हुए, वहीं 2015 में इसी दौरान चोरियों
की संख्या 60 रह गई। व्हाट्सएप की मदद से पुलिस अपराध पर नियंत्रण करने में काफी सफलता पाई है।
दिल्ली के आनंद पर्वत के अगवा की गई दो वर्षीय बच्ची खुशी को पुलिस ने दो घंटे के भीतर तलाश लिया।
वहीं, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सभी स्कूलों के प्रिंसिपल से कहा कि वे अपने स्कूल की
गतिविधियों की जानकारी ट्विटर पर सार्वजनिक करें ताकि आम लोग अवगत हों।
सम्पादकीय पेज पर मिलती जगह
अब तो फेसबुक के पोस्ट अखबारों में खबरें बनने के साथ-साथ विचार पन्नों पर भी जगह पा रहे हैं। हिंदुस्तान
अखबार रविवार को छोड़कर सभी दिन अपने संपादकीय पृष्ठ पर साइबर संसार का कॉलम प्रकाशित करता है
जिसमें फेसबुक वॉल पर लिखी बातें भी प्रकाशित की जाती हैं। बहरहाल, सोशल मीडिया दुनिया को बदल रही
है। एक ओर जहां फेसबुक की मोबाइल फोटो शेयरिंग सेवा इंस्टाग्राम ने विज्ञापन दाताओं के लिए अपना
प्लेटफार्म खोल दिया है, वहीं दुनिया में व्हाट्सएप यूजर की संख्या 90 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है।
इतना ही नहीं, फेसबुक को हर दिन नए रिकॉर्ड बनाने की ओर अग्रसर है और एक दिन में एक अरब यूजर
फेसबुक को देखते हैं और प्रयोग करते हैं।
(लेखक एक दशक तक दैनिक भास्कर,देशबन्धु, राष्ट्रीय सहारा और हिंदुस्तान जैसे अखबारों में सक्रिय
पत्रकारिता करने के बाद इन दिनों जामिया मिल्लिया इस्लामिया से सोशल मीडिया पर शोध कर रहे हैं. वे
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय नोएडा कैंपस, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के
अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के रामलाल आनंद कॉलेज में बतौर गेस्ट लेक्चरर अध्यापन भी किया है. )