ओमप्रकाश दास।
“यह कहा जा सकता है कि भारत में वेब पत्रकारिता ने एक नई मीडिया संस्कृति को जन्म दिया है। अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी पत्रकारिता को भी एक नई गति मिली है। अधिक से अधिक लोगों तक इंटरनेट की पहुंच हो जाने से यह स्पष्ट है कि वेब पत्रकारिता का भविष्य बेहतर है”
हमारे सामने पिछले लगभग दो सौ सालों के प्रिंट माध्यम के सामने पिछले 20 सालों में चुनौती रखता है, ये चुनौती दृश्य और श्रव्य माध्यम से ज़रिए आती है। प्रिंट इससे लड़ते लड़ते भाषाई स्तर और डिज़ाइन के स्तर पर कई प्रयोग करता है वो भी कंटेंट यानी विषय सामग्री की ज़मानत पर। लेकिन यहीं दृश्य और श्रव्य माध्यम पिछले 10 सालों में एक नए तकनीक से आ भिड़ता है। लेकिन चुनौती देने वाला माध्यम जिसे हम न्यू मीडिया कर रहे हैं वो छपे हुए शब्दों और तस्वीरों के लिए विकल्प देता है तो दृश्यों के प्रसारण समय को अपनी मुठ्ठी में करने की शक्ति देता है वो भी अब कंप्यूटर के हार्ड डिस्क में नहीं बल्कि आपके मोबाइल फोन में। लेकिन भविष्य क्या है। “हैरानी की बात नहीं है कि गूगल ने विभिन्न देशों की सरकारों से मिले अनुरोधों/निर्देशों के आधार पर ऐसा बहुत सारा कंटेंट हटाया है जिसमें राजनीतिक या राजनेताओं की आलोचना थी। लेकिन इसके बावजूद नए साल में गहराते आर्थिक-राजनीतिक संकट और उथल-पुथल के बीच नए माध्यमों खासकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स, विकीलिक्स जैसे साइट्स के अलावा वैकल्पिक राजनीति और विचारों को आगे बढ़ाने वाले रैडिकल समूहों और राजनीतिक संगठनों/दलों की वेब साइट्स की प्रासंगिकता बनी रहेगी”।(1) “यह सत्य है कि समय के अंतराल के साथ न्यू मीडिया की परिभाषा और रूप दोनो बदल जाएं। जो आज नया है संभवत भविष्य में नया न रह जाएगा यथा इसे और संज्ञा दे दी जाए। भविष्य में इसके अभिलक्षणों में बदलाव, विकास या अन्य मीडिया में विलीन होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। न्यू मीडिया ने बड़े सशक्त रूप से प्रचलित पत्रकारिता को प्रभावित किया है। ज्यों-ज्यों नई तकनीक, आधुनिक सूचना-प्रणाली विकसित हो रही है त्यों-त्यों संचार माध्यमों व पत्रकारिता में बदलाव अवश्यंभावी है”। (2)
सबसे पहले जो सवाल सामने आता है वो ये कि क्या मुद्दा विकल्प बनने की ग्रंथी है। क्या ये कोई ग्रंथी है भी। सूचना की शक्ति, उस तक पहुंच और पहुंच के तौर तरीकों के इनोवेशन जो तकनीक के विस्तार की बात करती है। यहां तकनीक तक पहुंच और आगे चलकर तकनीक को उपभोक्ता की ज़रुरत और उसकी पहचान और खोज तक जाती है। खोज का मुद्दा शायद एकाधिकार के सीमा के आगे अभी तक नहीं बढ़ पाया है। वेब पत्रकारिता उस राह पर है जहां वो समाचार पत्रों-पत्रिकाओं के लिए एक विकल्प बन रहा है। न्यू मीडिया, आनलाइन मीडिया, साइबर जर्नलिज्म और वेब जर्नलिज्म जैसे कई नामों से वेब पत्रकारिता को जाना जाता है। लेकिन ये इतना सरल नहीं। टीआरपी की रेस ने टेलिविज़न चैनलों की दुनिया ख़ासकर न्यूज चैनलों को एक अश्क्तता के पड़ाव पर पहुंचाया है, वहीं वेब पत्रकारिता हिट्स (3) के टकराहट अभी से महसूस करती है। ये हिट्स की टकराहट बिज़नेस मॉडल बना रही है और बिगाड़ भी रही है। वेब पत्रकारिता प्रिंट और ब्राडकास्टिंग मीडिया का मिला-जुला रूप है। यह टेक्स्ट, पिक्चर्स, आडियो और वीडियो के जरिये स्क्रीन पर हमारे सामने है। वेब पत्रकारिता का एक स्पष्ट उदाहरण बनकर उभरा है विकीलीक्स। विकीलीक्स ने खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में वेब पत्रकारिता का जमकर उपयोग किया है। खोजी पत्रकारिता अब तक राष्ट्रीय स्तर पर होती थी लेकिन विकीलीक्स ने इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयोग किया व अपनी रिपोर्टों से खुलासे कर पूरी दुनिया में हलचल मचा दी।
न्यू मीडियाः कहां से कहां तक
‘न्यू मीडिया’ संचार का वह संवादात्मक (Interactive) स्वरूप है जिसमें इंटरनेट का उपयोग करते हुए हम पॉडकास्ट, आर एस एस फीड, सोशल नेटवर्क (फेसबुक, माई स्पेस, ट्वीट्र), ब्लाग्स, विक्किस, टैक्सट मैसेजिंग इत्यादि का उपयोग करते हुए पारस्परिक संवाद स्थापित करते हैं। यह संवाद माध्यम बहु-संचार संवाद का रूप धारण कर लेता है जिसमें पाठक/दर्शक/श्रोता तुरंत अपनी टिप्पणी न केवल लेखक/प्रकाशक सेसाझा कर सकते हैं, बल्कि अन्य लोग भी प्रकाशित/प्रसारित/संचारित विषय-वस्तु पर अपनी टिप्पणी दे सकते हैं। यह टिप्पणियां एक से अधिक भी हो सकती है अर्थात बहुधा सशक्त टिप्पणियां परिचर्चा में परिवर्तित हो जाती हैं। न्यू मीडिया वास्तव में परम्परागत मीडिया का संशोधित रूप है जिसमें तकनीकी क्रांतिकारी परिवर्तन व इसका नया रूप सम्मलित है।
वेब पत्रकारिता और परंपरागत मीडियाः तुलनात्मक अध्ययन
समाचार चैनलों पर किसी सूचना या खबर के निकल जाने पर उसके दोबारा आने की कोई गारंटी नहीं होती, लेकिन वहीं वेब पत्रकारिता के आने से ऐसी कोई समस्या नहीं रह गई है। जब चाहे किसी भी समाचार चैनल की वेबसाइट या वेब पत्रिका खोलकर पढ़ा जा सकता है। लगभग सभी बड़े-छोटे समाचार पत्रों ने अपने ई-पेपर‘यानी इंटरनेट संस्करण निकाले हुए हैं। आजकल किताबो के डिजिटल रूप के पाठक सबसे ज्यादा युवा ही हैं। ऐसा इसलिये है क्योंकि युवाओं का ही इतना बड़ा प्रतिशत है जो तकनीक के प्रयोग में सबसे अधिक सक्रिय है।
सारणीः1
उम्र के अनुसार इंटरनेट उपयोगकर्ता | हर घंटे में उपयोगकर्ताओं की औसत संख्या के आधार पर |
उम्र-वर्ग | इंटरनेट इस्तेमाल की अवधि (मिनट प्रति घंटे) |
15-24 साल | 13.2 |
25-34 साल | 12.4 |
35-44 साल | 12.2 |
45-54 साल | 11.4 |
55 साल से ज्यादा | 10.7 |
स्रोतः comscore media metrix, March 2011 |
# भारत में युवा इंटरनेट उभोक्ताओं की संख्या अलग अलग उम्र वर्गों में सबसे ज्यादा
# भारत में 15 से 24 साल तक के युवा औसतन हर घंटे 13 मिनट से ज्यादा इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।
# लेकिन हर घंटे में इंटनेट इस्तेमाल करने के मामले में भारत दुनिया में अभी भी काफी पीछे।
यहां स्पष्ट करना ज़रुरी है कि ये अवधारणा भारत पर सबसे ज्यादा लागु होती है, यानी भूमंडलीकरण ने आकार ग्रहण कर लिया था और नवउदारवादी शर्तें व्यापक कॉरपोरेट मिजाज का निर्माण कर रही थीं। गौर करने वाली बात ये है कि इस नए मिजाज़ में वैकल्पिक मीडिया की जरूरत पहले से भी ज्यादा बढ़ गई है। मामला सिर्फ जीवन शैली या ज़रुरतो का नहीं है, बात अब पोर्टेबल से कहीं आगे बढ़कर संचार माध्यमों के मोबाइल और बेतार होने का भी है। लेकिन उपलब्धता के तौर तरीके की प्रासंगिकता, कोई मुक्त ज्ञान कोश की तरह नहीं है जो चंदे की मांग करता है या कुछ डॉलर सब्सक्रिप्शन फीस की। सच यह है कि गूगल से लेकर फेसबुक तक और ट्विटर से लेकर यू-ट्यूब तक में अरबों डालर की पूंजी लगी हुई है और उनके दांव बहुत ऊँचे हैं। वे भी एक सीमा से अधिक जोखिम नहीं उठा सकते हैं। लेकिन सोशल मीडिया के तथाकथित स्टेटस अपडेट के आगे बढ़कर वेब ने संचार और जनसंचार को ऐसे हाथ पांव दिए हैं जो टाईम-स्पेस यानी समय-काल की सीमाओं को ध्वस्त करता है। शायद यही इसकी सबसे बढ़ी शक्ति भी बना है।
सारणीः2
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# | देश | जनसंख्या (2012) | इंटरनेट उपभोक्ता
(साल 2000) | इंटरनेट उपभोक्ता (2012) | दुनिया के संदर्भ में उपयोग प्रतिशत | ||
1 | चीन | 1,343,239,923 | 22,500,000 | 538,000,000 | 22.4 % | ||
2 | अमेरिका | 313,847,465 | 95,354,000 | 245,203,319 | 10.2 % | ||
3 | भारत | 1,205,073,612 | 5,000,000 | 137,000,000 | 5.7 % | ||
4 | जापान | 127,368,088 | 47,080,000 | 101,228,736 | 4.2 % | ||
5 | ब्राज़ील | 193,946,886 | 5,000,000 | 88,494,756 | 3.7 % | ||
6 | रुस | 142,517,670 | 3,100,000 | 67,982,547 | 2.8 % | ||
7 | जर्मनी | 81,305,856 | 24,000,000 | 67,483,860 | 2.8 % | ||
8 | इंडोनेशिया | 248,645,008 | 2,000,000 | 55,000,000 | 2.3 % | ||
9 | इंग्लैंड | 63,047,162 | 15,400,000 | 52,731,209 | 2.2 % | ||
10 | 65,630,692 | 8,500,000 | 52,228,905 | 2.2 % |
स्रोतः internet world stats-www.internetworldstats.com/top20.htm
भारत में वेब मीडिया
भारत में 1995 में सबसे पहले चेन्नई से प्रकाशित होने वाले ‘हिंदू‘ ने अपना ई-संस्करण निकाला। 1998 तक आते-आते लगभग 48 समाचार पत्रों ने भी अपने ई-संस्करण निकाले। आज वेब पत्रकारिता ने पाठकों के सामने ढेरों विकल्प रख दिए हैं। वर्तमान समय में राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों में जागरण, हिन्दुस्तान, भास्कर, डेली एक्सप्रेस, इकोनामिक टाइम्स और टाइम्स आफ इंडिया जैसे सभी पत्रों के ई-संस्करण मौजूद हैं। भारत में समाचार सेवा देने के लिए गूगल न्यूज, याहू, एमएसएन, एनडीटीवी, बीबीसी हिंदी, जागरण, भड़ास फार मीडिया, ब्लाग प्रहरी, मीडिया मंच, प्रवक्ता, और प्रभासाक्षी प्रमुख वेबसाइट हैं जो अपनी समाचार सेवा देते हैं। यहां तक कि न्यूज चैनल अपनी वेबसाइट बनाकर उन पर ब्रेकिंग न्यूज, स्टोरी, आर्टिकल, रिपोर्ट, वीडियो या साक्षात्कार को अपलोड और अपडेट करते रहते हैं। आज सभी प्रमुख चैनलों (आईबीएन, स्टार, आजतक आदि) और अखबारों ने अपनी वेबसाइट बनाई हुईं हैं। इनके लिए पत्रकारों की नियुक्ति भी अलग से की जाती है।
सारणीः3
भारत की शीर्ष न्यूज़ वेब साइट | उपयोगकर्ताओं का प्रतिशत (%) |
याहू न्यूज़ | 32.7 |
द टाईम्स ऑफ इंडिया | 16.6 |
न्यूयार्क टाईम्स | 11.9 |
एचटी मीडिया | 8.2 |
ऑनइंडिया | 8.0 |
द इकॉनॉमिक टाईम्स | 7.1 |
बीबीसी | 5.7 |
एनडीटीवी.कॉम | 4.9 |
द इंडियन एक्सप्रेस | 4.5 |
सीएनएन नेटवर्क | 3.9 |
स्रोतः comscore media metrix, March 2011 |
सारणीः4
भारत की शीर्ष न्यूज़ वेब साइट | एक मिनट में औसत उपयोगकर्ता |
याहू न्यूज़ | 14.1 |
द टाईम्स ऑफ इंडिया | 15.7 |
न्यूयार्क टाईम्स | 3.9 |
एचटी मीडिया | 6.2 |
ऑनइंडिया | 9.0 |
द इकॉनॉमिक टाईम्स | 12.8 |
बीबीसी | 8.2 |
एनडीटीवी.कॉम | 14.4 |
द इंडियन एक्सप्रेस | 4.3 |
सीएनएन नेटवर्क | 7.4 |
स्रोतः comscore media metrix, March 2011 |
भारत में वेब पत्रकारिता को लगभग एक दशक बीत चुका है। हाल ही में आए ताजा आंकड़ों के अनुसार इंटरनेट के उपयोग के मामले में भारत तीसरे पायदान पर आ चुका है। आधुनिक तकनीक के जरिये इंटरनेट की पहुंच घर-घर तक हो गई है। युवाओं में इसका प्रभाव अधिक दिखाई देता है। परिवार के साथ बैठकर हिंदी खबरिया चैनलों को देखने की बजाए अब युवा इंटरनेट पर वेब पोर्टल से सूचना या आनलाइन समाचार देखना पसंद करते हैं। लेकिन ऐसे में परंपरागत मीडिया कहां खड़ा है। मूख्य धारा का चाहे कोई भी समाचार पत्र हो या टीवी न्यूज़ चैनल, अब बिना वेबसाईट्स और ब्लॉग के इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। ये उस उदाहरण को अब आमो-फहम बनाने जा रहा है, जो अब तक एक इलीट परिदृश्य पेश करती थी, वो है “ऑन डिमांड” यानी मांग आधारित सुविधाएं यानी जब ज़रुरत तब हाज़िर। चाहे खबर हो या कोई वीडियो। लेकिन परंपरागत माध्यमों की चुनौती कितनी सच है इसकी पड़ताल होनी बाकि है। ख़ासकर तब जब भारतीय समाज ब्रॉडबैंड को लेकर अभी दूसरी पीढ़ी (2जी) में ही अटका हो, तीसरी पीढ़ी सच्चाई अब तक न बन पाई हो और फोर जी यानी चौथी पीढ़ी लाइसेंस की पायदान तक ही सिमटी हो। समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की संख्या पिछले 20 साल के भूमंडलीकृत होते समाज में बढ़ी है वो भी चप्पे चप्पे तक—टीवी के चैनल हर साल बढ़ जाते हैं हितों का टकराव सारी आशंकाओं के बाद भी धरी की धरी ही हैं अब तक। सह-अस्तित्व की बात ज्यादा पुख्ता लगती है तो इसलीए कि हमारा समाज एक आगे बढ़ता समाज है, जहां बाज़ार और संभावनाएं काफी गहरी हैं।
निष्कर्ष
वेब पत्रकारिता ने जहां एक ओर मीडिया को एक नया क्षितिज दिया है। इसके साथ ही कई अन्य कंपनियों ने अपने आईफोन निकाले हैं जो सस्ते दामों में लोगों तक अपनी पहुंच बना रहे हैं। 2010 में एप्पल ने अपना ई-बुक रीडर निकाला उसके बाद अप्रैल में इसी साल आईफोन भी निकाला। सितंबर तक आते-आते इसकी 80 लाख डिवाइस बिक गईं। “यह कहा जा सकता है कि भारत में वेब पत्रकारिता ने एक नई मीडिया संस्कृति को जन्म दिया है। अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी पत्रकारिता को भी एक नई गति मिली है। अधिक से अधिक लोगों तक इंटरनेट की पहुंच हो जाने से यह स्पष्ट है कि वेब पत्रकारिता का भविष्य बेहतर है”। (4)
संदर्भ ग्रंथ
- न्यू मीडिया के खिलाफ क्यों हैं सरकारें?: कथादेश’ के जनवरी’१२ के अंक में प्रकाशित स्तम्भ
- Blog: kishtiyan—Wednesday, March 28, 2012–किताबों को अब देखें पढ़ें और सुनें…लेखकः वन्दना शर्मा
- किसी ख़ास वेबसाईट या वेबसाईट की स्टोरी-खबर को आप क्लिक करते हैं उसे सामान्य भाषा में हिट्स कहते हैं। जैसे khabarndtv.com की खबर मोदी बनेगें प्रधानमंत्री को अगर दो लोग अपने अपने कंप्यूटर या किसी भी इंटरनेट की पहुंच रखने वाले यंत्र से स्टोरी तक पहुंचते हैं तो वो हिट्स पा जाती है। जितने हिट्स उतनी बार उसे देखा या पढ़ा गया।
- website: संवादसेतु, title:ब मीडिया का बढ़ता क्षितिज—वंदना शर्मा, अगस्त अंक, २०११
अन्य संदर्भः-
# वेब पत्रकारिताः नया मीडिया नये रुझान, लेखकः शिवप्रसाद जोशी और शालिनी जोशी, राजकमल प्रकाशनः नवंबर 2012.
# संवादसेतु—-वेब मीडिया का बढ़ता क्षितिज—वंदना शर्मा, अगस्त अंक, २०११.
# संवादसेतु—20 अप्रै 2013–फेसबुक क्रांति के नौ वर्ष
# http://kishtiyan.blogspot.in/2012/03/blog-post.html
# comscore media metrix, March 2011
# internet world stats-www.internetworldstats.com/top20.htm
ओमप्रकाश दास दूरदर्शन समाचार से जुड़े एंकर-संवाददाता और डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर हैं और पिछले 11 सालों से कई टीवी चैनलों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।