नाज़िया नाज़
आज डाटा से महत्तवपूर्ण कुछ भी नहीं है इसके बावजूद हम अपने डाटा को जाने–अनजाने में सोशल प्लेटफार्म पर शेयर करने में बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाते.फेसबुक पर हमें प्रत्येक मुद्दे पर पेज और ग्रुप देखने को मिलते हैं. बस एक ‘लाइक’ का बटन दबाते ही फेसबुक हमारे डाटा तक आसानी से पहुंच जाता है. और फिर इसका इस्तेमाल हमारी सोच को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है- हमें तमाम तरह के प्रोडक्ट्स बेचने से लेकर हमारे राजनीतिक रुझान तक को प्रभावित करने के लिए
सोशल मीडिया ने आज हमारी जिन्दगी को काफी आसान बना दिया है । आज न सिर्फ हम सोशल मीडिया के जरिये दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर तक मिनटों में पहुंच जाते हैं बल्कि घर बैठे ही शॉपिग भी कर लेते हैं । आपने ये ध्यान दिया होगा की जब कभी फैशन ऐप पर हम अपनी मनचाही चीज खोजते हैं तो वहीं चीजें या उससे मिलती जुलती हुई चीजें अलग अलग सोशल प्लेटफार्म जैसे गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, इंस्ट्राग्राम पर भी दिखने लगतें हैं । इसका मतलब ये है कि ये दिग्गज आपके डाटा के जरिए आपकी पसंद-नापसंद पर पूरी तरह से नजर रखे हुए हैं. और इस तरह वो सोशल प्लेफार्म पर आपकी पसंद का ऐड दिखा कर आपको वो चीज़ खरीदने पर प्रेरित कर देते हैं. पिछले साल सोशल मीडिया पर ऐड के जरिए 40 मिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया गया था.
दुनिया भर में फेसबुक यूजर्स की तदाद सबसे ज्यादा है. प्रत्येक माह फेसबुक के 1.86 बिलियन एक्टिव यूजर्स हैं. लेकिन कैम्ब्रिज एनालेटिका स्केंडल के बाद फेसबुक पर डाटा की सुरक्षा खतरे में पड़ी हुई है . यकीनन आज डाटा से महत्तवपूर्ण कुछ भी नहीं है. इसके बावजूद हम अपने डाटा को जाने अनजाने में सोशल प्लेटफार्म पर शेयर करने में बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाते.फेसबुक पर हमें प्रत्येक मुद्दे पर पेज और ग्रुप देखने को मिलते हैं. बस एक लाइक का बटन दबाते ही फेसबुक हमारे डाटा तक आसानी से पहुंच जाता है. और इसका इस्तेमाल वो ऐसी जगह कर सकते हैं जो एक आम इंसान कभी सोच भी नहीं सकता.
आपको ये जान कर हैरानी होगी कि होम इंश्योरेंस कपंनी ने एक महिला को कवरेज देने से मना कर दिया .. क्योंकि उसके पास खतरनाक नस्ल का एक कुत्ता था और ये उनकी पॉलिसी के खिलाफ आता था. और ये जानकारी उन्हे उस महिला के सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए मिली. महिला अपने कुत्ते की नस्ल को साबित करने के बाद अतंत: कामयाब रही और बीमा को बहाल करा लिया. इस तरहमीडिया स्क्रीनिंग के अनेकों उदाहरण देखने को मिल जाएगें । फेसबुक पर पोस्ट की जाने वाली जानकरी का उपयोग कर फेक प्रोफाइल बनाना बहुत आसान है और कोई भी हैकर इसका इस्तेमाल गलत उद्देश्य के लिए कर सकता है.
गूगल ,अमाजोन , फेसबुक , एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट ने आम जिन्दगी को पूरी तरह से काबू कर लिया है. ये ऐसे दिगग्ज हैं जिन्होने हमारे डाटा के जरिए हमारे बारे में सारी जानकारियां एकत्रित की हैं. आज इनके पास हमारे बारे में इतनी जानकारियां है जितना हम खुद अपने बारे में याद नहीं रख पाते. लोकतंत्र वह नहीं है जो आप सोचते हैं लोकतंत्र वह है जो आप महसूस करते हैं. इन वैश्विक दिग्गजों ने ‘महसूस’ करने वाली हर एक चीज को पूरी तरह से काबू में कर लिया है. हम क्या महसूस करते हैं ये शायद आपके सबसे अच्छे मित्र को नही पता लेकिन फेसबुक और गूगल को मालूम है. आज हम जो भी महसूस करते हैं उसे फेसबुक पर पोस्ट कर देते हैं या जो कुछ हम सोचते हैं उसे गूगल पर तुरंत सर्च करने लग जाते हैं और इस तरह हम अपने बारे में जरूरी जानकारी किसी ऐसे शख्स को दे रहें होते हैं जिसे हम जानते तक नहीं, जो अदृश्य है.
सोशल मीडिया ने हमें ऐसा ‘गुलाम’ बना दिया है कि हम घंटों स्क्रीन के सामने बैठ कर वक्त बिता देते हैं. स्वास्थय विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया पर अधिक वक्त बिताने वाले लोगों की मौत के आंकड़े ज्यादा आयें हैं. स्वास्थय विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया पर अधिक वक्त बिताना एक नशे की तरह है .. और हम सभी इस नशें का शिकार होते जा रहें हैं. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने ये चेतावनी दी कि छोटे बच्चों और किशोरों में सोशल मीडिया के अधिक नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलतें हैं. आजकल ये आम हो गया है कि बच्चे और यूवा साइबर बुलिंइग और फेसबुक अवसाद के शिकार हो रहें हैं. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सोशल मीडिया मानसिक विकास के लिए बहुत अच्छा नहीं है और कुछ मामलों में यह बहुत हानिकारक हो सकता है।
उपभोक्ताओं को सोशल मीडिया के उचित उपयोग पर शिक्षित करने की आवश्यकता है क्योकि यह गोपनीयता और सुरक्षा से सबंधित है. सोशल मीडिया को भी यह समझने कि जरूरत है कि वह अपने उपभोक्ताओं की सुरक्षा और गोपनीयता को प्रभावित न करें क्योंकि किसी का डाटा अगर दुरुपयोग होता है तो उसका व्यक्तिगत जीवन के साथ साथ सामाजिक जीवन पर भी बहुत गहरा असर पड़ता है. हर तरफ से सामाजिक सरोकारों के प्रति संवेदनशील होने की जरुरत है.
नाजिया नाज़ ने भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता से प्रशिक्षण प्राप्त किया है और वे ऑनलाइन पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हैं